रफी मोहम्मद शेख इंदौर। अब ऐसी कंपनियां मजे में नहीं रहेंगी, जो कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड का रुपया सालों से जमा नहीं कर रही है और उसका हेड आॅफिस प्रदेश के बाहर है। इंदौर स्थित मध्यप्रदेश के रीजनल पीएफ संगठन कार्यालय ने ऐसी कंपनियों के खिलाफ सीधे स्ट्राइक कर कर्मचारियों के गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए पेनल्टी व ब्याज सहित वापस प्राप्त किए हैं। हाल ही में स्टील ट्यूब आॅफ इंडिया (एसटीआई) की मुंबई हेड आॅफिस में की गई कार्रवाई के साथ ही चेन्नई, पुणे जैसे शहरों के बैंकों में डिफाल्टर कंपनियों के खाते अटैच कर सीधे कार्रवाई की गई है।
जानकारी के अनुसार पीएफ संगठन ऐसी कंपनियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है, जिनकी कंपनियां, उद्योग या कार्यालय इंदौर या मप्र में कहीं स्थित है और उनके हेड आॅफिस प्रदेश के बाहर है। ऐसी कई कंपनियां अपने कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं कर रही हैं और डिफाल्टर की श्रेणी में आ गई हैं। इसमें वो कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें प्रदेश के बाहर के ग्रुप की कंपनियों ने खरीद लिया है।
नियम खंगाले तो मिला
इस स्थिति से निपटने के लिए इंदौर आॅफिस नियमों को खंगाला गया तो पाया गया कि पीएफ कमिश्नर को सीधे अधिकार है कि वह अपने क्षेत्राधिकार में कार्यरत आॅफिस या कंपनी के कर्मचारियों के बकाया पीएफ की वसूली संबंधित कंपनी के देशभर में स्थित किसी भी बैंक अकाउंट से कर सकता है। एसटीआई से लेकर रोका बाथरूम टाइल्स व फोर्स मोटर्स जैसी कई कंपनियों के बाहर स्थित बैंक खाते अटैच कर यह वसूली की गई है। इससे उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिनका पीएफ कंपनियां बाहर होने के कारण महीनों जमा नहीं करती है।
ऐसे की स्ट्राइक..
एसटीआई का रुपया मुंबई से
स्टील ट्यूब आॅफ इंडिया ने अपने यहां कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों का फरवरी 2016 से लेकर जुलाई 2016 का प्रॉविडेंट जमा नहीं किया था। डिपार्टमेंट ने उक्त राशि, ब्याज और पेनल्टी के साथ रिकवरी निकाली। इसके बाद सीधे अंधेरी ईस्ट स्थित एसबीआई के उनके अकाउंट को अटैच कर एक करोड़ 22 लाख 48 हजार 851 रुपए वसूल किए।
ढाई करोड़ वसूले रोका टाइल्स से
ऐसी ही कार्रवाई इंदौर स्थित रोका बाथरूम टाइल्स के कार्यालय का पीएफ नहीं जमा करने पर उनके चेन्नई स्थित मुख्य कार्यालय से की गई। उनका अकाउंट पेरिस के बैंक बीएनपी परिवास में था। इनसे कर्मचारियों के पीएफ सहित ब्याज व पेनल्टी के ढाई करोड़ रुपए बाकी थे। उक्त विदेशी बैंक के खाते अटैच कर रुपए प्राप्त किए गए।
फोर्स मोटर्स के पुणे अकाउंट्स से
उधर, फोर्स मोटर्स पर भी पीएफ डिपार्टमेंट ने कार्रवाई कर सीधे वसूली की है। कंपनी का खाता पुणे स्थित एचडीएफसी बैंक में है। 2.30 करोड़ रुपए की कुल वसूली के लिए उक्त बैंक में स्थित खातों को सीज किया गया और उसमें मौजूद रकम में से यह सीधे काटकर संबंधितों के खातों में ट्रांसफर की गई है।
पहले थी लंबी कार्रवाई
पहले ऐसी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभी जो प्रक्रिया अपनाई जाती थी, उसमें काफी समय लगता था। पीएफ आॅफिस पहले प्रस्ताव तैयार करता था। इसकी अनुमति संबंधित जोन से ली जाती थी। फिर संबंधित राज्य में स्थित रीजनल आॅफिस को कार्रवाई नोट भेजा जाता था और संबंधित कंपनी को नोटिस देना पड़ता था। कई बार यह पहुंच ही नहीं पाता था। रुपया वसूलने के लिए भी संबंधित आॅफिस पर निर्भर रहना पड़ता था। अब ऐसा नहीं होगा। पीएफ कमिश्नर अजय मेहरा के अनुसार हम नियमानुसार ही काम कर रहे हैं और कर्मचारियों का रुपया वसूला जाएगा।