राहुल सेठी इंदौर। देश की सरकार ने भले ही पांच सौ और एक हजार के नोट बंद कर दिए, लेकिन शहर के सराफा में इन नोटों से करोड़ों की खरीदी-बिक्री जमकर जारी है। सराफा के बड़े व्यापारी रातोरात बड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में कालाबाजारी पर उतर आए हैं। इसमें वहीं के कुछ दलाल भी सक्रिय हैं, जो इनको ग्राहक ढूंढने में मदद करते हैं। इसके बदले मोटी राशि का कमीशन भी मिलता है।
8 नवबंर की रात्रि 12 बजे से बंद हो गए हैं, लेकिन शहर के सराफा में अभी भी इन नोटों से व्यापारी लोगों से लेन-देन में लगे हुए हैं। सराफा के कई व्यापारी जिनके पास 500-1000 के पुराने नोट हैं, वे अब उन नोटों से सोने के आभूषण, सिक्के और बिस्किट खरीद रहे हैं। यदि व्यापारी एक नंबर में सोना खरीदते हैं, तो उसकी कीमत बाजार भाव के हिसाब से दी जाती है, लेकिन स्वयं के पास रखे 500-1000 के नोटों को चलाने के लिए वे लोगों से पुराने स्वर्ण आभूषणों को 41 से 43 हजार रुपए प्रति तोला (10 ग्राम) के हिसाब से खरीद रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बाजार में 9 नवंबर से 12 नवंबर तक ये कालाधंधा जारी रहा, इसके बावजूद सरकारी विभागों के अधिकारियों ने मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
तीन से चार घंटे का इंतजार
व्यापारी और ग्राहक के बीच जब दूसरे रास्ते के व्यापार की स्वीकृति पर ग्राहक के सामने ही उसके सोने का वजन किया जाता है। यदि आभूषण 85 प्रतिशत वाला है तो उसे खार काटकर 80 प्रतिशत रुपए और यदि सोना 91 प्रतिशत वाला है तो उसे 88-90 प्रतिशत के हिसाब से रुपए देने का वादा किया जाता है। सौदा पक्का होने पर व्यापारी द्वारा ग्राहक को तीन से चार घंटे का इंतजार करने का कहकर दुकान से दूरी पर भेज देते हैं। इसी बीच आभूषण गलाकर सिक्के या केडबरी के रूप में तब्दील होता है तब ग्राहक को बुलाकर व्यापारी तय कीमत अदा करता है।
सीसीटीवी कैमरे से बचाकर
सूत्रों की मानें तो व्यापारियों ने सरकारी कार्रवाई से बचने के लिए दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए हैं। कर्इं जगह शाम सात से आठ बजे के बाद इस कालेधंधे को अंजाम दिया जा रहा है। सराफा में शाम को तल मंजिला की दुकानें बंद होने के बाद चाट-चौपाटी और भीड़ का फायदा उठाकर प्रथम या द्वितीय तल पर बैठे व्यापारियों द्वारा इस धंधे को किया जा रहा है।
अफसरों के परिवारों ने की खरीदी
सूत्रों की मानें तो सरकारी महकमों के कर्इं अधिकारी-कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों ने व्यापारियों को 500-1000 के नोट देकर 46 से 48 हजार रुपए प्रति तोला के हिसाब से जमकर केडबरी, सिक्के और भारी भरकम ज्वेलरी की खरीदी की है। अधिकांश दुकानों में यह खरीदी 8 नवंबर की रात्रि के बाद 9-10 नवंबर को हुई है। अब वो ही जमा रुपए को व्यापारी द्वारा ठिकाने लगाने के लिए आमजन से सोना खरीदा जा रहा है। इसमें उन्हें तीन से चार हजार रुपए प्रति तोला का फायदा हो रहा है।
तल पर चर्चा और प्रथम-द्वितीय पर व्यापार
इस काले धंधे के लिए बाजार के तल मंजिलों पर स्थित दुकानों में व्यापारियों द्वारा ग्राहकों से चर्चा की जाती है। इसके बाद उन्हें प्रथम या द्वितीय तल पर ले जाकर सभी बात समझाई जाती है। कई बार व्यापारियों द्वारा पूरी डीलिंग बाजार के दलालों के माध्यम से भी की जाती है।
चालू खाते में, बैंक ट्रांजेक्शन भी नही
सबसे खास बात यह है कि बाजार के कुछ व्यापारियों द्वारा अब तक बैंकों के चालू खाते में कोई रुपया जमा नहीं किया गया है। 9 नवबंर को बैंक बंद थे, लेकिन 10 से लेकर 12 नवंबर तक बैंक चालू थीं, लेकिन व्यापारियों ने खातों में ट्रांजेक्शन नहीं किया। इसके पीछे एक साथ काफी मात्रा में 500-1000 के नोट जमा करना मुख्य कारण बताया जा रहा है। यदि वे चालू खाते में 9 नवबंर के बाद रुपया जमा करा देंगे तो दूसरी बार पुराने नोटों को बैंक स्वीकार नहीं करेगी। बैंक के अधिकारी ही सवाल खड़े कर देंगे कि नोट बंद होने के बाद व्यापारी पुराने नोट से व्यापार कैसे कर रहा है?