कृष्णपाल सिंह इंदौर। ‘कालेधन’ के कुबेरों ने 1000 और 500 रुपए के नोटों को खपाने के लिए बहुमूल्य धातुओं को सहारा बना लिया है। यही कारण है कि इनके भावों में तेजी आ गई है। बड़े उद्योगपतियों से लेकर नेता व अफसर नोटों के बंडल झोलों में भरकर बाजार में दौड़ लगा रहे हैं। इससे सोना, चांदी समेत अन्य धातुओं की कीमतों में अचानक 10 से 15 हजार रुपए तक का उछाल आ गया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिस तेजी से भाव बढ़े हैं, उसी तेजी से इनके भावों में गिरावट भी आएगी।
काला धन रखने वालों के कारण बन रही स्थिति
कालाधन रखने वालों को लगने लगा है कि बड़े नोट कागज के ढेर में तब्दील होने वाले हैं, इसलिए वे दुकानदारों के मनमाफिक दामों पर सोना खरीद रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जिस तेजी से सोने के भाव आसमान पर पहुंचे हैं, उसी तेजी से जमीन पर भी आ जाएंगे। दिसंबर में जैसे ही रुपए जमा करने की अंतिम तारीख 30 दिसंबर खत्म होगी सोने के भाव कम होकर 25 हजार रुपए तक आ जाएंगे। इससे उन लोगों को झटका लगेगा जो अभी 1000-500 के नोट खपाने के लिए ऊंचे दामों पर सोना खरीद रहे हैं, क्योंकि अब प्रधानमंत्री की नजर सोने पर है। शुक्रवार शाम 7 बजे तक सोने का भाव 29396 रुपए था, जबकि चांदी 42194 रुपए थी। सोने में शनिवार सुबह से शाम तक 504 रुपए की गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह चांदी में सुबह से शाम 7 बजे तक 1972 रुपए की गिरावट दर्ज हुई। बाजार में 500 व 1000 के नोट पर सोना 42 हजार रुपए तोला (10 ग्राम) बिक रहा है।
ऐसे आएगी भाव में गिरावट
सोने के दाम में अचानक आई तेजी से शादी-ब्याह के चलते आम जनता परेशानी में पड़ गई है। अब उन्हें इंतजार है तो दामों के कम होने का। कई परिवारों ने तो शादी में ज्वेलरी देने से ही परहेज कर लिया है। उधर, ब्लैक मनी यानी दो नंबर के रुपयों को सोने में खर्च तो कर दिया, लेकिन अब फंड मेंटेन करने में जुट जाएंगे। यही कारण रहेगा कि सोने के भाव में धीरे-धीरे गिरावट आएगी, जिसके 25 हजार रहने की संभावना है।
पांच लाख का सोना साढ़े तीन लाख में
सूत्रों के मुताबिक सोने की खरीदारी में जो लोग 500 और 1000 के नोट खपाना चाहते थे, उन्हें बड़े स्तर पर खरीदी करने पर पांच लाख रुपए में साढ़े तीन लाख रुपए का सोना दिया जा रहा है। इसके लिए अन्य तरह का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है। एक व्यापारी ने बताया कि कालाधन रखने वालों की नई चाल से पीएम मोदी की योजना को झटका लगा है। 500 व 1000 के नोट रखने के बजाए यह लोग सोना खरीदना पसंद कर रहे हैं। सोने की खरीदारी होने के बाद उनका पैसा नंबर एक का होगा। बाद में सोने को बेचकर नकदी लेना आसान होगा, लेकिन भाव कम रहे तो नुकसान तय है।
ज्वेलर्स पर छापों की तैयारी
नोटबंदी की सरकार की योजना को पलीता लगाने की कोशिश करने वाले देश के सराफा कारोबारियों पर सरकार की नजरें टेड़ी हो गई हैं। देशभर के इन ज्वेलर्स ने नोटबंदी के तत्काल बाद अफसरों, नेताओं और अन्य कालाधन रखने वालों को बिना पैनकार्ड और बिल के बड़े पैमाने पर सोना बेचा। इसके बाद सरकार ने डीजीसीआई को ंइन पर छापामार कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, अगले दो-तीन दिन में बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो सकती है।