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यूनिवर्सिटी में केवल मैनेजमेंट फैकल्टी में ही रहेगा एमबीए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 11 2016 10:48AM | Updated Date: Nov 11 2016 10:48AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अंतर्गत अब कोई भी मास्टर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्टेÑशन (एमबीए) मैनेजमेंट फैकल्टी के अंतर्गत ही होगा। एमबीए शब्द होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। इससे विवि सहित कॉलेजों के कई एमबीए प्रभावित होंगे।

विवि की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष स्कूल आॅफ एनर्जी में एमबीए इन इनवायर्नमेंट स्टडीज शुरू करने का प्रस्ताव आया। इसमें कहा गया था कि इसे एनर्जी एंड साइंस फैकल्टी के अंतर्गत माना जाए, क्योंकि यह डिपार्टमेंट इसी फैकल्टी के तहत काम करता है। फैकल्टी के अनुसार जब तक उनके अंतर्गत यह नहीं आता, तब तक वे इसका पूरा संचालन नहीं कर सकते।

कमेटी ने किया पारित
स्टैंडिंग कमेटी ने जब इस पर विचार किया तो पाया कि एमबीए मैनेजमेंट फैकल्टी के अंतर्गत आना चाहिए। इसके बाद यह प्रस्ताव पारित कर दिया कि मास्टर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का कोर्स मूलत: मैनेजमेंट फैकल्टी का कोर्स है, इसलिए सारे एमबीए इसी के अंतर्गत होंगे। उन्होंने इसी के साथ एमबीए इन एनर्जी को इसी शर्त के साथ अनुमति दी है। इस निर्णय के बड़े प्रभाव पड़ेंगे और भविष्य में अन्य किसी फैकल्टी में एमबीए नहीं हो सकेंगे। इससे सारी फैकल्टी का कंट्रोल मैनेजमेंट के पास आ जाएगा। साथ ही अन्य डिपार्टमेंट व फैकल्टी अब नए एमबीए शुरू करने से परहेज करेंगे।

सबसे ज्यादा कॉमर्स में
वर्तमान में सबसे ज्यादा एमबीए कॉमर्स फैकल्टी के अंतर्गत चल रहे हैं। विवि का स्कूल आॅफ कॉमर्स ही एमबीए इन टैक्सेशन, एमबीए इन अकाउंट जैसे कोर्स चलाता है तो एमबीए फॉरेन ट्रेड का कोर्स भी होता है। इसके अतिरिक्त स्कूल आॅफ इकॉनॉमिक्स में एमबीए से एमबीए डिजास्टर मैनेजमेंट, मीडिया मैनेजमेंट, मास कम्युनिकेशन तक के कोर्स अलग-अलग स्थानों पर चलते हैं। वहीं कई कॉलेज अपने स्तर पर ऐसे कोर्स चलाते हैं। इन्हें भी अब बदलाव करना होगा। ये सब अब मैनेजमेंट में शामिल होंगे।

कुछ साल पहले बदले
विवि में कुछ वर्ष पहले कई कोर्सेस के नाम एक साथ बदले गए थे। पहले प्रत्येक डिपार्टमेंट में मास्टर के रूप में एमए के कोर्स चलते थे, जिन्हें यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने अवैध घोषित कर दिया था। इसके बाद ताबड़तोड़ इन्हें बदलकर एमबीए कर दिया गया। इससे ये मैनेजमेंट नाम से हो गए थे, लेकिन इनका संचालन अब भी संबंधित डिपार्टमेंट ही करते हैं। इसका कारण कंट्रोल इनके हाथ में होना है। इससे ये कोर्स में बदलाव से अन्य स्कीम तक निश्चित कर लेते हैं।

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