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मल्टी ट्रांजेक्शन व बैंकिंग से पकड़ में आएंगे काले कुबेर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 10 2016 10:43AM | Updated Date: Nov 10 2016 10:43AM
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विनोद शर्मा इंदौर। पांच सौ और एक हजार के नोट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक की और मैदान छोड़ दिया बैंकों और इनकम टैक्स के लिए। मल्टी ट्रांजेक्शन और मल्टी बैंकिंग पर नजर रखने के लिए डिपार्टमेंट तैयार है। मतलब, ज्यादा खाते और ज्यादाबार पुराने नोट बदलवाने वाले डिपार्टमेंट की राडार पर रहेंगे। पकड़ में आई अघोषित रकम पर 200 प्रतिशत तक की पेनल्टी लग सकती है। इधर, जानकारों की मानें तो काली कमाई वाले निगाह में 10 नवंबर से ही आ जाएंगे, पूछताछ व कार्रवाई का असर भले दिसंबर बाद देखने को मिले।

जानकारों की मानें तो तिजोरियों में जमा काले धन की धरपकड़, जाली नोटों के जाल तोड़ने के साथ ही अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को आयकर के दायरे में आएंगे। सरकार को अच्छा रेवेन्यू हासिल होगा। इसके लिए 10 नवंबर से इनकम टैक्स खास हर व्यक्ति के पैन कार्ड डिटेल्स के साथ दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न को टेली करेगा ताकि अचानक पैसा उगलने वाले लोगों को धरा जा सके।  जितनी अघोषित रकम सामने आएगी उस पर डिपार्टमेंट 33 से प्रतिशत से लेकर अधिक तक की पैनल्टी लगाएगा।

काम आएगा आईटी का डाटा
रजिस्ट्रार, म्यूचुअल फंड, शेयर ट्रेडिंग, केश डिपॉजिट, आॅनलाइन खरीदी, क्रेडिट कार्ड-डेबिट कार्ड के उपयोग, फॉरेन ट्रांजेक्शन, फॉरेन टूर की डिटेल के साथ डिपार्टमेंट के पास करीब एक करोड़ लोगों का डाटा है। डिपॉजिट के साथ रिटर्न और इस डाटा को भी टेली किया जाएगा।

फसेंगे ब्यूरोक्रेट्स
रिश्वत से अपना घर भरने वालों के सामने संकट यह है कि वे किस मुंह से पैसा जमा करने जाएं। क्योंकि सर्विस कोड के तहत  वे पूंजी को बिजनेस इनकम भी नहीं बता सकते। न संपत्ति की खरीद-बिक्री से प्राप्त राशि बता सकते हैं क्योंकि उसके लिए विभागीय अनुमति आवश्यक है। उजागर करने की स्थिति में सर्विस कोड के तहत सस्पेंशन जैसी कार्रवाई का भी शिकार हो सकते हैं। हालांकि कई अधिकारी ब्याज पर पैसा चला रहे हैं उन्हें दिक्कत नहीं होगी।

ऐसे आएंगे पकड़ में
बतौर उदारहण कोई व्यक्ति 25 लाख रुपए बैंक में जमा करने जाता है तो बैंक से मिली डिटेल पर डिपार्टमेंट स्तर पर यह देखा जाएगा कि  उक्त व्यक्ति सालाना कितना रिटर्न दाखिल करता है। यदि 5 लाख का रिटर्न दाखिल करता है तो 20 लाख कहां से लाया? इसका हिसाब मांगा जाएगा।
बैंकें पहचान-पत्र के साथ व्यक्तिवार किए गए ट्रांजेक्शन की लिस्टिंग करेगी ताकि देखा जा सके कि 50 दिन की अवधि में किसने कितनी बार मनी एक्सचेंज की।
50 हजार से ऊपर की रकम पेन कार्ड के साथ जमा होगी। चूंकि जहां भी खाते खुलवाए हैं वहां पेन कार्ड लगा है। इसीलिए अलग-अलग बैंक में डिपॉजिट करने जाते हैं तब व्यक्ति की डिटेल एक जगह पहुंचेगी। 
अभी डिपार्टमेंट की बारीकी से मॉनिटरिंग है। मतलब, 10 हजार जमा करने वाला भी निशाने पर है। इसीलिए कोई सोचता है कि बिना पेन के 40 हजार जमा करके बच जाऊंगा तो वह गलत है।

नहीं चलेंगे बहाने
रकम जमा करने वाला कहता है कि उक्त रकम उसे कोई संपत्ति बेचने के बाद बतौर कीमत मिली है। क्योंकि संपत्ति की बिक्री में 20 हजार से अधिक का केश ट्रांजेक्शन वैसे भी अवैध माना गया है।
व्यक्ति को संपत्ति की रजिस्ट्री की प्रमाणित कॉपी देना होगी। अन्यथा नंबर देना होगा ताकि डिपार्टमेंट कॉपी निकाल सके। बेचने वाला केपिटल गेन टैक्स के दायरे में आएगा।
पेन है लेकिन सौदे में उसका जिक्र नहीं किया। ऐसे लोगों का डाटा भी इनकम टैक्स के पास है। पेन डिटेल रजिस्ट्री पर क्यों नहीं डाली, यह बड़ा सवाल है उनके लिए।

अब मौका है कहां?
वरिष्ठ कर सलाहकार राजेश जोशी ने बताया कि आईडीएस के तहत सरकार काली कमाई स्वीकारने के लिए 30 सितंबर तक का वक्त दे चुकी थी। अब काली कमाई स्वीकारने के बाद व्यक्ति राहत की उम्मीद नहीं कर सकता। निगरानी में अभी से आ जाएंगे। कार्रवाई भले दिसंबर या मार्च के बाद देखने को मिले। सीए अभय शर्मा ने बताया कि निर्णय अच्छा है इससे टैक्स पेयर के साथ ही सरकार को मिलने वाला टैक्स भी बढ़ेगा। जीडीपी बढ़ेगी। विकास तेज होगा।

जीडीपी बढ़ेगा
छिपाने वाले टारगेट होंगे

आईडीएस में 65 हजार करोड़ की काली कमाई सामने आई थी जबकि मोदी की यह सर्जिकल स्ट्राइक इससे दो-तीन गुना तक काली कमाई उजागर या चलन से बाहर कर देगी। जिन्होंने रिटर्न में कमाई बताई है उन्हें दिक्कत नहीं है। डिपार्टमेंट से छिपाने वाले ही टारगेट होंगे।
- राजेश जोशी, वरिष्ठ कर सलाहकार

इकोनॉमी बूस्ट होगी

निर्णय का सकारात्मक असर दिखेगा। दबा पैसा बाहर आता है तो जीडीपी बढ़ेगी। इकोनॉमी बूस्ट होगी। अभी 30 से 40 प्रतिशत ग्रे इकोनॉमी है जिसमें 80 प्रतिशत तक सुधार आएगा। आईडीएस बीत गई, अब सरेंडर करना भी नाकाफी है। अब रकम ब्लोक ही होगी।
अभय शर्मा, सीए

विदेश से लाएं ब्लैकमनी

आईडीएस लाए थे, तब सरकार नोट बंदी की जानकारी देती तो डिस्क्लोजर उस वक्त ही बढ़ जाता। डिपार्टमेंट को दोहरी मेहनत नहीं करना पड़ती।  विदेशों की तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर दिए बिना ब्लैकमनी को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। विदेश से काला धन लाने पर भी सरकार जोर दे। 
महेश अग्रवाल, सीए

नकली नोट पर रोक

व्हाइट पैसा बैंकों में जमा होगा। ब्लैक सर्कुलेशन से आउट हो जाएगा। जिनके पास सोर्स नहीं है वे डिपॉजिट नहीं कर पाएंगे उनके लिए जमा पैसा रद्दी ही होना है। नकली नोट पर रोक लगेगी। अभी परेशानी है तब तक रहेगी जब तक कि नए नोट फ्लो में नहीं आते।
निलेश  परतानी, सीए

 

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