मुनीष शर्मा इंदौर। बीआरटीएस कॉरिडोर सहित अन्य सड़कों के निर्माण में बाधक मंदिरों को जिला प्रशासन ने स्कीम-134 के समीप रिक्त पड़ी नजूल की भूमि पर स्थापित करा दिया था। अब सरकार इसे व्यवस्थित करेगी, ताकि यहां श्रृद्धालु आएं तो उन्हें सारी सुविधा मिल सके। इसके लिए आईडीए में मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें भव्य मंदिर के अलावा सत्संग भवन, गोशाला, आॅफिस आदि के लिए स्थान रहेगा। हालांकि अधिकारियों को इस बात का भय है कि लैंडयूज को लेकर आपत्ति आ सकती है, क्योंकि यह क्षेत्र आवासीय व व्यावसायिक है।
करीब नौ हजार स्क्वेयर फीट क्षेत्र के इस भूखंड में 2008-09 से ही मंदिरों से प्रतिमाएं शिफ्ट की जाती रही थीं। तत्कालीन कलेक्टर ने यह जमीन मंदिरों के लिए ही सुरक्षित कर दी थी। तब से यहां प्रतिमाएं रखी तो गर्इं, लेकिन इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पाया। करीब दो साल पहले दिव्य शक्ति महिला मंडल ने जिम्मेदारी ली तब से यहां पूजन शुरू हुआ। चूंकि प्रतिमाएं ज्यादा हैं और स्थान कम इसलिए भी परेशानी जाती है। प्रशासन चाहता है कि यहां व्यवस्था सुधरे, जिसे लेकर प्राधिकरण मास्टर प्लान तैयार कर रहा है। यह तय हुआ है कि प्राधिकरण परिसर को सुरक्षित करने के लिए दीवार बनाएगा। करीब 30 लाख रुपए की लागत से दीवार का काम शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट में एक बड़ा मंदिर बनाकर उसमें अलग-अलग स्थानों पर मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। यहां गोशाला भी रखी जाएगी और एक बड़ा सत्संग हॉल तैयार किया जाएगा। एक आॅफिस भी प्लान किया गया है। पंडितों के लिए मकान भी यहां बनाए जाएंगे। यह मंदिर परिसर कलेक्टर के निगरानी क्षेत्र में रहेगा जैसा खजराना गणेश, रणजीत हनुमान मंदिर आदि हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर परिसर के निर्माण में लगने वाली राशि दानदाताओं से ही ली जाएगी। प्राधिकरण ने दीवार बनाने का खर्च ही उठाया है।
आसपास के लोग ले सकते हैं आपत्ति
अधिकारियों को भय है कि इस मंदिर परिसर की जमीन से लगकर ही व्यावसायिक काम्प्लेक्स आदि होंगे। उक्त क्षेत्र आवासीय व व्यावसायिक होने से स्कीम-134 के निवासियों को गो-शाला व मंदिरों में आए दिन होने वाले प्रवचनों से आपत्ति हो सकती है। ऐसे में मामला लैंडयूज पर आकर टिक जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे प्राधिकरण के कार्यपालन यंत्री आरसी वर्मा से जब दबंग दुनिया ने लैंडयूज को लेकर बात की तो उनका कहना था यह सरकार तय करेगी। हमें मास्टर प्लान बनाने का काम दिया गया है वह कर रहे हैं।
दूसरे धर्मस्थल भी हो सकते हैं शिफ्ट
सरकार की इस योजना की काफी सराहना भी हो रही है। लोगों का कहना है हिंदू देवी-देवताओं को जब शिफ्ट कर विकास कार्य किया जा सकता है तो अन्य धर्मों के धर्मस्थल भी अन्यत्र जमीन देकर स्थानांतरित किए जा सकते हैं।
हम तो मास्टर प्लान बनाकर दे देंगे
आईडीए दीवार बना रहा है। इसके अलावा हम अन्य किसी कार्य में राशि नहीं लगाएंगे, क्योंकि यह पूरा मंदिर परिसर दानदाताओं द्वारा दी जाने वाली राशि से ही निर्मित होगा। इसका मास्टर प्लान प्राधिकरण तैयार कर सरकार को सौंपेगा। चूंकि यह नजूल की जमीन है, इसलिए सरकार आगे तय करेगी। वैसे मेरा मानना है कि लैंडयूज को लेकर कोई परेशानी नहीं आएगी।
- शंकर लालवानी, अध्यक्ष, इंदौर विकास प्राधिकरण