संतोष शितोले इंदौर। तीन दिन पहले शासन ने सहकारिता विभाग में व्यापक स्तर पर फेरबदल किया है। खास बात यह कि जिले में डेढ़ साल से पदस्थ उपायुक्त राजेश क्षत्री का तबादला गुना कर दिया गया। विभाग में छोटे ही नहीं, बड़े स्तर के अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। किसी भी गृह निर्माण सहकारी संस्था की जांच, आॅडिट रिपोर्ट या सहकारी निरीक्षक को रिसीवर बनाने के बाद वे खुद ही उसके पदाधिकारियों से सांठगांठ करने लगते हैं। भ्रष्ट सहकारी निरीक्षकों के खिलाफ चल रही जांच को लेकर दबंग दुनिया की रिपोर्ट-
प्लॉटों के घपले में पालीवाल
सहकारिता निरीक्षक एमसी पालीवाल द्वारा गौतम गृह निर्माण सहकारी संस्था के प्रभारी के नाते तीन प्लॉट गलत तरीके से बेचे जाने की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। इसके चलते विभाग ने उन्हें प्रभारी पद से हटा दिया, जबकि उसी ने उनकी नियुक्ति की थी। पालीवाल ने तीन ऐसे लोगों को प्लॉट आवंटित कर रजिस्ट्री कर दी, जो संस्था के सदस्य नहीं हैं।
एक ने पाया दोषी, दूसरे ने दी क्लीन चिट
प्रिय सखी महिला सहकारी संस्था में गड़बड़ी की शिकायत पहली जांच में सही पाई गई। यह जांच सहकारिता निरीक्षक मोनिका सिंह ने की थी, जबकि दूसरी जांच निरीक्षक जगदीश जलोदिया ने कर संस्था को क्लीन चिट दे दी। इस विरोधाभास के चलते उपायुक्त ने तीसरी बार निरीक्षक संजय कौशल को जांच के आदेश दिए। इस बीच एक शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंची, जहां से पत्र आने के बाद आरएस ठाकुर को जांच अधिकारी नियुक्त किया। इस तरह मामला विवादित हो गया।
तीन निरीक्षक घेरे में
एक मामले में शासन को 2.98 करोड़ की क्षति पहुंचाने तथा अपात्रों के नाम ऋण माफी सूची में डालने जैसे घपले के मामले में लोकायुक्त ने वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक जेके शर्मा, सहकारी निरीक्षक एमके सिंघल, राजकुमार शर्मा व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था मर्यादित पिपरौआ के प्रबंधक की ओर से कई अपात्रों के नाम ऋण माफी की सूची में लिख नाबार्ड को क्लेम किया गया। इसकी जांच तत्कालीन सहायक पंजीयक एमके त्रिवेदी के नेतृत्व में गठित दल के सहकारी निरीक्षक जेके शर्मा, एमके सिंघल व राजकुमार शर्मा ने की थी।
फर्जी रजिस्ट्री व नामांतरण में तीन के खिलाफ जांच
नेहरू नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था में फर्जी रजिस्ट्री व नामांतरण मामले में तीन सहकारी निरीक्षकों राकेश व्यास, एमसी पालीवाल, एमसी मालवीय और संस्था के मैनेजर मोहनलाल व्यास के खिलाफ प्राथमिक जांच पंजीबद्ध है। इसके चुनाव अंतिम बार 2002 में हुए थे। 2006 में सहकारिता विभाग ने इसका संचालक मंडल भंग कर दिया था। इसके बाद तीनों निरीक्षकों ने जानबूझकर चुनाव नहीं कराए। वहीं कार्यकारिणी भंग होने के बाद भी नए सदस्य बनाकर फर्जी रजिस्ट्री कर कई नामांतरण भी किए गए।
35 मृत सदस्यों को जिंदा बताने में पांच निरीक्षक फंसे
महावर नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था मामले में अन्नपूर्णा पुलिस ने पिछले साल संयुक्त आयुक्त सहकारिता सहित 29 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। इनमें पांच आॅडिटर्स जेएस चौहान, विजया कौरने, रमा कालवा, आईसी वर्मा और विवेक व्यास भी हैं। इन्होंने 2006-12 तक के आॅडिट में करीब 35 सदस्यों को मृत बताया। इनके वारिसों के नामांतरण न करते हुए कई गड़बड़ियां की।
फर्जी टीएंडसीपी नक्शे में निरीक्षक आरोपित
महावर नगर संस्था में ही कॉलोनी के फर्जी टीएंडसीपी नक्शे में सहकारिता निरीक्षक मोनिका सिंह आरोपित है। संस्था के तत्कालीन पदाधिकारियों व भूमाफिया द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर वर्षों पहले जो फर्जी नक्शा तैयार किया गया था और नहीं मिल रहा था, वह निरीक्षक मोनिका सिंह के जांच प्रतिवेदन में पाया गया। मामले में एसडीएम की जांच के तहत मोनिका के बयान हो चुके हैं।