25 Apr 2024, 06:41:49 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। लोकायुक्त की सतत जांच, इंदौर विकास प्राधिकरण और कोर्ट में विचाराधीन लीज शर्त के मामले के बावजूद नगर निगम के राजस्व अधिकारियों ने विवादित सायाजी प्लाजा की 10 दुकानों का नामांतरण कर डाला। लीज शर्तों के विपरीत जो दुकानें बनाकर बेची गई थीं उन्हें नामांतरण कर दोबारा सायाजी होटल्स प्रा.लि. के नाम चढ़ा दिया गया है। डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत लेकर राजस्व अधिकारियों द्वारा किए गए इस नामांतरण के बाद सायाजी प्रबंधन ने प्राधिकरण पर पलटवार करते हुए अपनी लीज की दावेदारी पुख्ता कर ली है।

प्राधिकरण ने स्कीम-54 में प्लॉट एच-1 (क्षेत्रफल 304000 वर्गफीट) 11 जून 1993 को सायाजी होटल्स प्रा.लि. को लीज पर दिया था। 2003-04 में होटल प्रबंधन ने 7000 वर्गफीट जमीन पर सायाजी प्लाजा के नाम से कॉम्प्लेक्स बना दिया। पूर्व महापौर व मंत्री सुरेश सेठ की शिकायत पर हुई प्राधिकरण की जांच रिपोर्ट के अनुसार, ग्राउंड फ्लोर  पर 10, अपर ग्राउंड फ्लोर पर 10 और पहली मंजिल पर दो दुकानें बनाई गईं। वास्तव में 29 दुकानें बनी हैं। लीज शर्तों में प्लॉट अविभाजित था, फिर भी कंपनी ने दुकानें बेच दीं।

29 रजिस्ट्रियां हुईं। इसमें सायाजी प्रबंधन की सुचित्रा धनानी की चार दुकानें छोड़कर 25 अन्य लोगों को बेच दी गई। सेठ ने इनकी रजिस्ट्री भी शिकायत के साथ प्राधिकरण को दी थी। इन रजिस्ट्रियों के आधार पर संपत्तिकर के खाते खोले गए थे। इनमें से 10 दुकानों का नामांतरण आठ दिन पहले ही दोबारा सायाजी होटल्स के नाम किया जा चुका है।

इसलिए गैरकानूनी है नामांतरण
1- सायाजी के खिलाफ लोकायुक्त, प्राधिकरण और कोर्ट में मामले विचाराधीन हैं। निराकरण न होने तक नामांतरण नहीं किया जा सकता।
2- बीते दिनों उजागर हुए नामांतरण घपलों के बाद ही तय हुआ है कि जाहिर सूचना देकर दावे-आपत्ति बुलाने के बाद ही किसी संपत्ति का नामांतरण हो सकता है। तो फिर यहां बिना जाहिर सूचना के नामांतरण कैसे हो गया?
3- सायाजी की लीज जिन वजह से अटकी हुई है, उनमें उन दुकानदारों की संयुक्त आपत्ति भी शामिल है जिनके नाम हटाकर दोबारा सायाजी का नाम चढ़ाया गया।

प्रमोशन से मिला प्रोत्साहन
वार्ड परिसीमन के हिसाब से होटल सायाजी जोन-5 में आता है, जबकि इंटरनेट पर डिटेल जोन-7 में दिखती है। जोन-5 के एआरओ रहे किशोर दुबे ने नामांतरण किया है। नामांतरण के तीन दिन बाद ही दुबे को सबसे मलाईदार जोन साकेत का एआरओ बना दिया गया। इस काम में जोन के बिल कलेक्टर गौतम मालवीय और कैलाश दलवी के साथ ही दुबे के ड्राइवर ‘जो कि निगम से ही मिला है’ संदीप ने भी दुबे की भरपूर मदद की।

कोरी नोटशीट पर कराए साइन
सायाजी और दुबे के षड्यंत्र का हिस्सा रहे एक बिल कलेक्टर ने बताया कि दुबे ने कोरी नोटशीट पर हमसे साइन लिए थे और मौका रिपोर्ट बाद में बनाई। हमसे साइन लेते हुए कहा था कि मामला ऊपर से ही सेट है तुम तो साइन कर दो, वरना किसी सड़े जोन में ट्रांसफर हो जाएगा। अब हम तो ऊपर वालों से कन्फर्म करने से रहे, इसीलिए साइन कर दिए।

इसीलिए जरूरी था नामांतरण
प्राधिकरण की जांच में सायाजी प्लाजा और दुकानों की रजिस्ट्रियां लीज उल्लंघन का बड़ा मुद्दा है। कोर्ट और प्राधिकरण के साथ ही लोकायुक्त के सामने यह प्रबंधन की कमजोरी भी बन चुका था। इसीलिए सायाजी प्रबंधन ने दुकानों को फिर से अपने नाम करवाना शुरू किया।

यह तो पहला चरण था-                                                                                                                                                         बताया जा रहा है कि सायाजी प्लाजा में सुचित्रा धनानी को छोड़ 25 अलग-अलग खाते थे। इनमें से पहले चरण में 10 दुकानों का नामांतरण हुआ है। अगले चरण में 14 दुकानें व नाकोड़ा डेवलपर्स को बेची गई 29000 वर्गफीट जमीन का नामांतरण होना था। इसके लिए बाकी के दुकान मालिकों को मनाया जा रहा है।

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