विनोद शर्मा इंदौर। 1962 में 150 रुपए और पांच किलो मूंगदाल के साथ कारोबार शुरू कर आज अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका 420 पापड़ जिन कारखानों में बन रहा है वह ग्रीन बेल्ट की जमीन पर तने हुए हैं। इन कारखानों को न टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अनुमति है न नगर निगम की। बावजूद इसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तमाम कायदों को ठेंगा बताते सघन आबादी के बीच अग्रवाल पापड़ प्रालि की ‘चार सौ बीसी’ जारी है।
सिरपुर गांव के सर्वे नं. 244/1/क/मिन-2 व 244/1/ज, 244/1/झ व अन्य खसरों की दो एकड़ से ज्यादा जमीन पर अग्रवाल पापड़ प्रालि द्वारा पांच कारखाने संचालित किए जा रहे हैं। जमीन अग्रवाल पापड़ तर्फे नारायण पिता हुुकुमचंद अग्रवाल के नाम पर है। इनमें 420 पापड़, 420 इंजीनियरिंग, केपीआर पापड़-नमकीन, 420 इंस्टंट मिक्स और क्रांति-देशी अंदाज पापड़ के कारखाने हैं। वहीं मास्टर प्लॉन 2021 में सिरपुर गांव की यह जमीन आरक्षित ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है।
दिन दूना, रात चौगुना बढ़ा कारोबार
अग्रवाल पापड़ की नींव 1962 में हुकुमचंद अग्रवाल ने सीमित संसाधनों के साथ रखी थी। फिल्म अभिनेता राजकपूर के फेन रहे अग्रवाल परिवार ने 6 सितंबर 1955 को प्रदर्शित हुई राजकपूर की फिल्म ‘श्री 420’ के नाम पर पापड़ का नामकरण कर दिया। 2 जून 1997 को एमसीए में कंपनी ने आरओसी रजिस्टर्ड करवाई और लिस्टेड लिमिटेड कंपनियों की सूची में आई।
420 पापड़ का कारखाना सबसे पहले 374 हुकुमचंद कॉलोनी की 12000 वर्गफीट पर बना। यहीं 5000 वर्गफीट जमीन पर कंपनी के डायरेक्टर व अग्रवाल परिवार के सदस्य रहते भी हैं। इसी को एक्सटेंड करके 420 इंजीनियरिंग शुरू की। इसका पता 244ए-245, हुकुमचंद कॉलोनी है। इस पते पर अग्रवाल मसाले एलएलपी भी रजिस्टर्ड है।
2007-08 में 5500 वर्गफीट पर केपीआर और 2008-09 में 9500 वर्गफीट से अधिक जमीन पर केपीआर-1 के नाम से नमकीन और पापड़ की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खड़ी की। 2011-12 में लक्ष्मणदास महाराज के आश्रम के पास 18000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर इंस्टेंट मिक्स की यूनिट खड़ी की।
अग्रवाल-सिंघल की जुगलबंदी
सर्वे नं. 244 का बड़ा हिस्सा अग्रवाल पापड़ और उसके डायरेक्टर्स के नाम पर है। इसमें नारायण अग्रवाल, नमन मित्तल, अनूप सिंघल व राजेश सिंघल शामिल हैं। यही लोग अग्रवाल मार्केट्स आॅनलाइन सर्विस एलएलपी, अग्रवाल मसाले एलएलपी और केसरतुलसी रियल बिल्ड प्रालि में भी डायरेक्टर हैं।
ग्रीन बेल्ट पर अनुमति कैसे
टीएंडसीपी के अधिकारियों का कहना है कि 1 जनवरी 2008 को जारी मास्टर प्लान 2021 के अनुसार जो जमीन ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है उस पर कारखानों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। युक्तियुक्तकरण से यदि मंजूरी मिली भी है तो अग्रवाल परिवार उसे दिखा दे। वहीं 420 का मैनेजमेंट दावा करता है कि उसके कारखाने वैध हैं।