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‘एंटीक’ सिक्कों की कीमत में पांच सौ रुपए की गिरावट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 28 2016 11:12AM | Updated Date: Oct 28 2016 11:12AM
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कृष्णपाल सिंह इंदौर। त्योहार पर भले ही लक्ष्मी और गणेश के चांदी के सिक्के, चांदी की मूर्तियां और नई डिजाइन के फैंसी बर्तन आ गए हों, लेकिन फिर भी धनतेरस पर रानी विक्टोरिया एवं जॉर्ज पंचम के जमाने के सिक्कों की डिमांड कम नहीं हुई है। हालांकि राहत की बात यह है कि खनकने वाले ‘एंटीक’ सिक्कों के भाव में पिछले साल की तुलना में 500 रुपए की गिरावट आई है। अंग्रेजों के जमाने में चलने वाले चांदी के एक रुपए के सिक्के के डुप्लीकेट भी मार्केट में बिक रहे हैं।

इस बार महारानी विक्टोरिया और किंग जॉर्ज के असली चांदी सिक्के की कीमत 725 से 750 है, जो पिछले साल 1200 से 1250 थी। कारण है कि चांदी का भाव पिछले साल की तुलना में कम है। पिछले साल इसका भाव 60 हजार था, जो इस बार 41 हजार है, इसलिए इन सिक्कों की कीमत में भी भारी गिरावट आई है।  दरअसल, पुराने सिक्कों की लगातार खपत होने और उन्हें गलाए जाने के कारण अब बाजार में असली सिक्कों की किल्लत है। नकली सिक्के दिखने में हूबहू असली की तरह ही होते हैं। इन पर भी किंग जॉर्ज या महारानी विक्टोरिया की तस्वीर बनी होती है, लेकिन असल में ये राजकोट से बनकर आ रही विक्टोरिया की नकल हैं। सुनार इन्हें बोल्डर कहते हैं और ये असली विक्टोरिया, चांदी से भी महंगा बिकता है।

बाजार में नकली चांदी के सिक्के भी
व्यापारियों का कहना है कि रानी विक्टोरिया और जॉर्ज पंचम के असली सिक्कों में 91.60 प्रतिशत चांदी होती है, जबकि वर्तमान में कुछ स्थानों में बिकने वाले लक्ष्मी एवं गणेश के सिक्कों में 60 से 80 प्रतिशत ही चांदी आ रही है। धनतेरस पर भारी मात्रा में सोने के सिक्कों की भी शगुन के तौर पर खरीदी होती है, इसलिए इनकी डिमांड भी बढ़ी है। हालांकि, राजकोट के अलावा अन्य स्थानों से बाजार में बिकने वाले नकली सिक्के भी आए हैं।

ये है धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर सबसे शुद्ध धातु चांदी खरीदने को लक्ष्मी घर लाना माना जाता है। दिवाली के दिन पान पर देसी घी से उकेरे गए मां लक्ष्मी के चित्र पर चांदी के सिक्के को हलवे से चिपका कर पूजन किया जाता है, ताकि पूरे साल मां लक्ष्मी धन की कृपा बनाए रखें।

ऐसे पहचानें असली-नकली
असली विक्टोरिया की तरह पुराना दिखने के लिए सिक्कों को आॅक्सीडाइज्ड किया जाता है। इन्हें सिर्फ किनारों से पहचाना जा सकता है। नकली के किनारे पर पांच रुपए के सिक्के की तरह मोटी लकीरें बनी होती हैं। इनके बीच गैप होती है। असली विक्टोरिया में पुराने एक रुपए के सिक्के की तरह किनारे पर बारीक लकीरें होती हैं, जो पास-पास बनी होती है। असली सिक्का जमीन पर गिरने से खनकने की आवाज आती है, जबकि नकली सिक्के की आवाज नहीं आती।

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