रफी मोहम्मद शेख इंदौर। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में शिक्षकों की भर्ती खुद कर सकेंगे। इसके लिए निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होगा। यह नियम केवल वित्तीय रूप से सक्षम विवि के लिए लागू होगा। इससे सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस और यूजीसी की विभिन्न योजनाओं में आने वाले नए कोर्सेस में नियुक्ति की लंबी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। वहीं पूर्व निर्धारित एक्जिट पॉलिसी में भी बदलाव की चर्चा है।
कुलपतियों की उपसमिति ने बैठक में तय किया है कि विवि सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में प्रोफेसर, रीडर और लेक्चरर की नियुक्तियां अध्यादेश 4 (सी) के प्रावधानों के अनुसार करने के लिए सक्षम होंगे। यह प्रावधान अभी भी लागू है, लेकिन नियुक्तियों की सारी प्रक्रिया कैबिनेट और उच्च शिक्षा विभाग से ही होती है।
शासन ने तय की एक्जिट पॉलिसी
बैठक में बताया गया कि राज्य शासन ने इस मामले में एक्जिट पॉलिसी तय की है। इसके अनुसार सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में किसी भी शिक्षक या गैर शिक्षक को स्थायी नहीं किया जा सकता। इसके पीछे तर्क है कि ये नियुक्तियां कोर्स चलने तक ही वैध रहती हैं। इस कारण अगर कोई स्थायी नियुक्ति की जाती है तो कोर्स खत्म होने के बाद उसका भार सीधे शासन पर आता है। इस पॉलिसी के कारण प्रदेश के किसी भी सेल्फ फाइनेंस कोर्स में स्थायी फैकल्टी नहीं है।
संसाधनों वाले इच्छुक विवि को मिलेगी अनुमति
शासन इस पॉलिसी में भी बदलाव करने का मन बना रहा है। संभवत: ऐसे विवि, जो सक्षम होने के साथ ही उन्हें इन कोर्सेस में पर्याप्त आय है, वे अगर अपने संसाधनों से नियुक्ति करना चाहें तो उन्हें अनुमति दी जाएगी। सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में नियुक्तियों के लिए पहले उच्च शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजना पड़ता है, जो को-आॅर्डिनेशन कमेटी में पारित होता है। इसके बाद इसे कैबिनेट की भी मंजूरी लेना होती है। अब नए प्रस्ताव के अंतर्गत विवि अपने स्तर पर पूरी प्रक्रिया कर सकेगा। हालांकि उसे शासन को अनिवार्य रूप से सूचना देना होगी।
यूजीसी ने बीच में ही खत्म की योजना
बैठक में यह बात सामने आई कि यूजीसी द्वारा पांच साल के लिए नए कोर्स को अनुमति दी जाती है। इसमें राज्य शासन और कैबिनेट की मंजूरी लेना जरूरी है। कई विवि में शासन द्वारा इन पदों को भी भरने की अनुमति नहीं दी जा रही। पद न भर पाने के कारण यूजीसी ने बीच में ही योजना खत्म कर दी। अब ऐसे कोर्सेस में भी विवि को सीधे अधिकार मिल जाएंगे। हालांकि प्रमुख सचिव ने पूरी प्रक्रिया अपनाने की बात साफ कर दी है। यह मामला पहले स्टैंडिंग कमेटी, फिर को-आॅर्डिनेशन में पारित होने के लिए रखा जाएगा।
देअविवि को मिलेगा अधिकार
इस निर्णय से देअविवि के 17 सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस में होने वाली 170 शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार उसे मिल जाएगा। ये नियुक्तियां दो साल से अटकी हैं। इन पदों के लिए शासन से अनुमति भी मिल गई। यूजीसी द्वारा नेट की अनिवार्यता और छूट के कारण इसे होल्ड पर रखा गया है। शिक्षकों के बाद नॉनटीचिंग पदों पर भी यही नियम लागू करने की कवायद है, जिससे 253 पदों का रास्ता साफ होगा।