विनोद शर्मा इंदौर। बेदाग राजनीति से इंदौर में अपनी छाप छोड़ गए स्व. निर्भयसिंह पटेल के नाम से शिवमपुरी में डॉ. अनिल घई का जो मेमोरियल हॉस्पिटल चल रहा है उसका दादा या दादा के परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। सीलिंग की जमीन पर मनमाने तरीके से फल-फूल रहे इस अस्पताल को सरकारी नजर से बचाए रखने के लिए दादा का नाम दिया गया। नक्शे और पार्किंग के बिना बने इस अस्पताल की इलाज क्वालिटी अब तक आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है। बीते सप्ताह भी हादसा हो चुका है।
भंवरकुआं क्षेत्र स्थित भोलाराम उस्ताद मार्ग पर दादा निर्भय सिंह मेमोरियल हॉस्पिटल चल रहा है। अस्पताल पीपल्याराव गांव की सर्वे नं. 166/1/1 और 166/2 की 0.664 हेक्टेयर जमीन के बड़े हिस्से पर बना है। राजस्व रिकॉर्ड में जमीन शहरी सीलिंग की दर्ज है। बिना किसी नक्शे के जी+2 हॉस्पिटल चल रहा है। 30 बेड के इस हॉस्पिटल में पार्किंग तक नहीं है। मरीज और उनके परिजन की गाड़ियां सड़क पर खड़ी होती हैं। इससे भोलाराम उस्ताद मार्ग का यातायात भी प्रभावित होता है। आसपास के लोगों को तकलीफ होती है सो अलग।
ताकि पकड़ में न आए पता
अस्पताल की मनमानी पर सरकारी सख्ती न हो और न ही किसी तरह की शिकायतबाजी हो इसके लिए डॉ. घई ने अपने अस्पताल का पता अलग-अलग लिखवा रखा है। कहीं 10 भोलाराम उस्ताद मार्ग लिखा है तो कहीं 1 शिवमपुरी लिखा है। कहीं 11 पीपल्याराव तो कहीं 11 शिवमपुरी लिखा है। असल पता 11 पीपल्याराव है।
1, शिवमपुरी पर गुरुनानक अपार्टमेंट बना है जिसके 16 खाते नगर निगम में दर्ज हैं। इसके अलावा सुनील गलानी, जगदीश मंघानी और प्रीकेश चंद की दुकानों का संपत्ति कर खाता है।
11, शिवमपुरी के पते पर मिरास विला बना है। चार संपत्तिकर खाते हैं। इसमें से एक डॉ. अनिल एस घई पिता श्रीचंद घई का है जो कि जी-1 मिरास विला का है। 1440 वर्गफीट एरिया है जो आवासीय दर्ज है।
निगम की पेयजल लाइन है नीचे
जिस जमीन पर अस्पताल तना हुआ है उसके ठीक नीचे से नगर निगम की मेन लाइन गुजरती है। सात दशक पुरानी यह लाइन बिलावली तालाब से बिलावली जोन फिल्टर प्लांट के बीच डली है। अस्पताल के निर्माण के दौरान जब नींव खोदी गई थी तब पाइप उजागर हो गए थे जिन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया ताकि शिकायत न हो और काम नहीं रुके।
लगातार फैल रहा है अस्पताल
कुछ समय पहले एक क्लिनिक से कामकाज शुरू करने वाले डॉ. घई आज 30 बेड का हॉस्पिटल चला रहे हैं। अस्पताल एक-दो नहीं बल्कि तीन प्लॉटों को जोड़कर बना है। पीछे एक बिल्डिंग नई है जो कि अलग से बनी हुई नजर आती है, निगम को भी नहीं दिखती।
लगातार बिगड़ रहे हैं केस
अस्पताल में इलाज की क्वालिटी हमेशा से नकारात्मक चर्चा का केंद्र रही है। 21 अक्टूबर को ही यहां इलाज के दौरान एक वृद्ध मरीज की मौत हो गई थी। नाराज परिजन ने तोड़फोड़ की। पुलिस ने मर्ग तो कायम किया लेकिन इन्वेस्टर्स समिट की आड़ में मामला दब गया। इससे पहले भी भंवरकुआं पुलिस तक ऐसे मामले पहुंचे हैं लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसकी वजह डॉ. घई की चंदा बांटने की आदत बताई जाती है।