रफी मोहम्मद शेख इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी ग्रांट प्राप्त प्राइवेट कॉलेजों के रिटायर्ड प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को 20 साल बाद पांचवें वेतनमान से पेंशन देने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के साथ ही एक नया पेंच भी फंसा दिया है कि इन्हें वेतनमान जारी करने के 14 साल बाद से यह लाभ दिया जाएगा। इससे सैकड़ों शिक्षक व कर्मचारियों को मिली खुशी फिर से काफूर हो गई है। हालांकि अभी छठवां वेतनमान लागू है और उस हिसाब से तो पेंशन भी छठवें वेतनमान के आधार पर मिलना चाहिए।
विभाग ने सरकारी ग्रांट प्राप्त प्राइवेट कॉलेजों में प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को 1996 से पांचवें वेतनमान की घोषणा की थी। यह वेतनमान सुप्रीम कोर्ट तक चली लंबी लड़ाई के बाद 1 अप्रैल 2010 में देने की घोषणा की गई थी। इससे इन्हें 14 साल का एरियर भी दिया गया। जो उन्हें मिल रहे चौथे और पांचवें वेतनमान का अंतर था। इसके साथ ही उस समय तक रिटायर्ड हो चुके स्टाफ को चौथे वेतनमान के आधार पर पेंशन भी दी जाना थी।
नोशनल किए घोषणा के पहले के साल
उच्च शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग की सहमति के बाद 1 अप्रैल 1996 तक रिटायर होने वाले स्टाफ को पांचवें वेतनमान से पेंशन देने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में 1996 से ही पेंशन मिलने का उल्लेख किया गया है। इस आधार पर इन शिक्षक व कर्मचारियों का पांचवें वेतनमान का निर्धारण किया जाना है क्योंकि ये चौथे वेतनमान के वेतन के आधार पर रिटायर हुए थे लेकिन उक्त पेंशन का पुनरीक्षण 1 अप्रैल 1996 से लेकर 1 अप्रैल 2010 तक नोशनल कर दिया गया है। यानी नए वेतन का निर्धारण तो होगा लेकिन चौथे व पांचवें वेतनमान के अंतर की पेंशन उन्हें दी नहीं जाएगी।
लाखों रुपए का नुकसान
इस प्रकार इन्हें दी गई पेंशन 1996 से लागू नहीं करते हुए 1 अप्रैल 2010 से मिलेगी। इससे सीधे-सीधे सैकड़ों प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को 14 साल की पेंशन के एरियर के रूप में मिलने वाले लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि अब इन्हें पिछले छह साल का एरियर भी एक साथ मिलेगा। स्टाफ को उम्मीद थी कि शासन 1996 से ही उन्हें पूरे लाभ देगा लेकिन करोड़ों रुपए का एरियर होने से शासन ने हाथ खींच लिए। वित्त विभाग ने इस फाइल को इसी शर्त के साथ स्वीकृत किया है।
तीन साल से चल रहा
उच्च शिक्षा विभाग ने भले ही 2010 में पांचवां वेतनमान देने की घोषणा की लेकिन पेंशनर्स को कोई भी लाभ देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद 15 फरवरी 2013 को सबसे पहले इसे लागू करने की स्वीकृति दी थी। इसके बाद एक साल तक यह लागू नहीं हुआ फिर 15 फरवरी 2014 को फिर आदेश निकाला गया लेकिन ढाई साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जाकर अंतिम संशोधित आदेश दिया गया है, उसमें भी पेंच फंसा दिया है।
छठवें से देना चाहिए
इस समय सातवां वेतनमान जल्द लागू होना है, लेकिन ग्रांट वाले कॉलेजों में छठवां वेतनमान लागू है। इसके लागू होने की तारीख और वर्तमान में रिटायर होने वाले शिक्षक व कर्मचारियों को अभी भी पांचवें वेतनमान से ही पेंशन दी जा रही है जबकि यह छठवें से देना चाहिए। शासन ने इन कॉलेजों के लिए यही पॉलिसी तय कर ली है।