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लालवानी की जड़ें खोदने में लगे बोर्ड के पूर्व सदस्य

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 13 2016 11:23AM | Updated Date: Oct 13 2016 11:23AM
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मुनीष शर्मा  इंदौर। आईडीए अध्यक्ष के रूप में शंकर लालवानी का ही कार्यकाल क्या बढ़ा भाजपा की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। पार्टी के ही कुछ अध्यक्ष पद के दावेदार या फिर संचालक मंडल के पूर्व सदस्य लालवानी की जड़ें खोदने में जुट गए हैं। फिलहाल ये हमले गुपचुप किए जा रहे हैं। आरोप लगाने वाले अपने नाम उजागर नहीं करना चाहते। वे ऐसे मामले निकालकर हाईकमान तक पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें बता सकें कि लालवानी पाक साफ नहीं हैं और उनका चयन गलत है। एक दावेदार ने तो प्राधिकरण की कुछ फाइलों की फोटोकॉपी निजी कार्यालय पर रख ली है, जहां से वे कुछ मामले कांग्रेसियों को तो कुछ मामले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचा रहे हैं।

लालवानी के अकेले अध्यक्ष पद संभालने के आदेश ने सभी को चौंका दिया। उनके साथ 4 अक्टूबर को समाप्त हुए कार्यकाल में संचालक मंडल के सदस्य रहे कुछ साथियों की आपत्ति यह थी कि सभी का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए था। इन लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि लालवानी ने उन पर अंगुली उठाकर खुद के नए आदेश जारी करा लिए। यदि तीन साल प्राधिकरण बोर्ड कुछ नहीं कर सका तो उसमें अध्यक्ष पूरी तरह से जिम्मेदार है।

हमारी इमेज चोर जैसी रखी गई...
एक सदस्य का कहना है सरकार के सामने हमारी ऐसी इमेज रखी गई जैसे हम चोर हैं और लालवानी ही ईमानदार हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी जरा झांककर देखें की तीन साल के कार्यकाल में लालवानी ने क्या किया? स्कीम-78 के तीन प्लॉट्स को लेकर शिकायत भेजी जा रही है। इसमें हाईकमान को कहा जा रहा है कि अधिकारियों से पूछे क्यों इन प्लॉट्स के रेट प्राधिकरण द्वारा टेंडर में जारी न्यूतम दर से ज्यादा आने के बावजूद आवंटन रोक दिए गए। प्राधिकरण न्यूनतम दर देना छोड़ दे या फिर वह खुलासा करें कि आवंटन क्यों नहीं कर रहे। तीन साल में यह काम भी हुए कि अपने वाले की जमीन के भाव बढ़ाने के लिए आसपास के प्लॉट के टेंडर जारी किए गए, लेकिन आवंटन नहीं किया।

तो नहीं ढहता राजबाड़ा का हिस्सा
अध्यक्ष पद के एक दावेदार भाजपा नेता का कहना है कि लालवानी का पूरा कार्यकाल देखेंगे तो विवाद ही मिलेंगे। जब नगर निगम में वे जनकार्य समिति के प्रभारी थे तब असली राजबाड़ा की दुर्गति की थी। तब राजबाड़ा के समीप की सड़क बंद कर वहां अहिल्या माता की मूर्ति स्थापित कर दी थी। इसके बाद यह निर्णय वापस लेना पड़ा था। अब जब प्राधिकरण अध्यक्ष बने तो राजबाड़ा की प्रतिकृति बनाकर विवादों में आए। इस नेता का कहना है जो राशि राजबाड़ा की प्रतिकृति में लगाई गई, उसे यदि असली राजबाड़ा में लगाते तो आज राजबाड़ा ढहता नहीं।

तीन साल बाद भी प्लॉट्स नहीं बना सके...
एक अन्य सदस्य का कहना है हम जब काम करने आए थे तब सुपर कॉरिडोर पर प्लॉट विकसित करने की बात हुई थी। तीन साल बाद भी वहां प्लॉट नहीं बना सके, जबकि आसपास कुछ निजी कॉलोनाइजरों ने कॉलोनियां विकसित कर काफी प्लॉट्स बेचे। जो माल उन्होंने बेचा भी वह हमारा कॉरिडोर बताकर बेचा। ऐसा नहीं कि हम वहां विकास नहीं कर सकते थे। लगभग 70 प्रतिशत किसानों के साथ हमारे अनुबंध हो चुके थे, हमें तो प्लॉट विकसित कर बेचना ही थे। इससे पांच हजार करोड़ रुपए तक प्राधिकरण के खाते में आते। एक और सदस्य का कहना है कि पीयू-4 के प्लॉट्स के टेंडर भी ऐसे ही गोलमोल किए गए, जिसका जवाब भी हाईकमान मांगे। स्कीम-171 की कुछ जमीने छोड़ने को लेकर भी सदस्य मामला उठाने की तैयारी में जुट गए हैं। वहीं, स्कीम-140 हाईराइज की दुकानों के टेंडर भी न्यूनतम दर से ज्यादा मूल्य आने के बावजूद रद्दी की टोकरी में फेंक दिए गए, उसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सायाजी होटल की लीज निरस्ती हो या फिर सपना-संगीता का मामला हर मोर्चे पर लालवानी को घेरे में लेने की तैयारी है।

मैं अकेला तो बोर्ड में रहता नहीं हूं
जो लोग आरोप लगा रहे हैं वे ऐसा क्यों समझ रहे हैं कि मैं अकेला ही बोर्ड चलाता था। जो फैसले होते हैं वे बोर्ड में होते हैं और उसमें सभी सदस्य बैठते थे। कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी भी शामिल रहते थे। 
- शंकर लालवानी, अध्यक्ष इंदौर विकास प्राधिकरण

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