रफी मोहम्मद शेख इंदौर। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा अंशदान करने वाले सभी सदस्यों के लिए घर उपलब्ध कराने की योजना को मूर्तरूप देने का काम शुरू हो गया है। लोन की पात्रता को तीन मुख्य बिंदुओं के आधार पर तय किया जाएगा, जिसमें सदस्य की उम्र, उसके द्वारा दिए जाने वाला अंशदान और नौकरी के वर्ष तय करेंगे कि उसे किस तरह का घर दिया जा सकता है। इसमें संगठन द्वारा घर बनाकर देने के साथ ही प्लॉट पर लोन उपलब्ध कराने की योजना भी है। मध्यप्रदेश में करीब 20 लाख पीएफ सदस्यों को लाभ मिलने की संभावना है, जिसमें करीब 40 प्रतिशत इंदौर के हैं।
कितना रुपया जमा हुआ, कितना और होगा
तीसरा बिंदु कर्मचारी की नौकरी अभी कितने साल बची हुई है और वह कितना संभावित अंशदान दे सकता है, जिससे वह लोन की किस्त भर सके। तीनों बिंदुओं के आधार पर तय होगा कि वह पात्र है या नहीं। जल्दी रिटायर होने वाले या फिर ऐसे कर्मचारी जिन्होंने पीएफ का रुपया किसी न किसी कारण से निकाल लिया है, योजना में फिट नहीं बैठेंगे। नौकरी शुरू करने वाले या नए सदस्यों के लिए उनकी उम्र ज्यादा मायने रखेगी।
दूसरा बिंदु उसके द्वारा जमा किया जा रहा अंशदान होगा। अंशदान की कुल राशि दो भागों में बंटी रहती है। एक हिस्सा खुद का और दूसरा नियोक्ता का होता है। इसमें से पेंशन और इंश्योरेंस फंड की राशि को घटा देने के बाद फंड की वास्तविक स्थिति दिखती है। अंशधारी सदस्य का अब तक कितना रुपया जमा हो चुका है, उस आधार पर तय किया जाएगा कि उसे घर दिया जा सकता है या फ्लैट। यह राशि कुल राशि के यानी पेंशन फंड मिलाकर भी गणना की जा सकती है।
मॉर्टगेज रखेंगे प्रॉपर्टी
अधिकारियों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में फ्लैट बनाकर देने की योजना है, ताकि इसका कुल खर्च कम से कम हो। इसमें लोन की राशि पूरी होने तक मकान या फ्लैट के कागजात सुरक्षा की दृष्टि से मॉर्टगेज के रूप में संगठन के पास ही रहेंगे। संगठन योजना के लिए एक अलग डिपार्टमेंट तैयार करेगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर भी बनाया जाएगा जोकर्मचारी की पात्रता की गणना कर तुरंत बता देगा। यह योजना अगले साल 26 जनवरी को शुरू की जा सकती है और प्रारंभिक फेज में बड़े शहर इसमें रहेंगे।
यह है सबसे प्रमुख बिंदु
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, सबसे प्रमुख बिंदु अंशदान करने वाले सदस्य की उम्र है। इसमें यह देखा जाएगा कि सदस्य कितने साल का है, अब तक कितना रुपया जमा कर दिया है और कितना आगे जमा होगा। संगठन में सामान्यत: नौकरी से रिटायरमेंट की उम्र 58 साल होती है, इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सदस्य कितने साल बाद रिटायर हो रहा है, यानी नौकरी के कितने साल बचे हैं। इसी आधार पर उसे लोन देने की पात्रता की गणना की होगी।