रफी मोहम्मद शेख इंदौर। अक्टूबर आधा बीतने के बाद भी इस साल देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में पीएचडी की एंट्रेंस परीक्षा का अब तक अता-पता नहीं है। वास्तव में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा इस साल किए संशोधनों, नए गाइड और उपलब्ध सीट संख्या की जानकारी में उलझ गई है। यूनिवर्सिटी ने कार्यपरिषद में इसे पारित करने के बाद को-आॅर्डिनेशन कमेटी में भेज दिया है। अब वहां से मंजूरी नहीं मिलती तब तक यह परीक्षा नहीं होगी, जबकि ऐसा करने की जरूरत ही नहीं थी।
यूनिवर्सिटी ने यूजीसी के नए नियमों के बाद इसे एचओडी की मीटिंग में फाइनल किया। इसके बाद यह स्टैंडिंग कमेटी और उसके बाद कार्यपरिषद में भी पारित कर दिए। इन नियमों को इसके बाद सर्वोच्च परिषद को-आॅर्डिनेशन की अनुमति की जरूरत होती है। चूंकि यूजीसी ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया है, इसलिए यूनिवर्सिटी को नए नियमों को लागू करना अनिवार्य होता है।
करवाना था प्रतिपालन
यूनिवर्सिटी शासन को टेलीफोनिक या पत्र भेजकर यह नियम लागू करने की बात कह सकती है। इसे प्रतिपालन कहा जाता है और को-आॅर्डिनेशन की बैठक में यह नियम यूजीसी के गजट के आधार पर लागू कर प्रतिपालन में पारित हो जाते, लेकिन यूनिवर्सिटी ने ऐसा नहीं करते हुए इसका प्रस्ताव स्टैंडिंग कमेटी और उसके बाद को-आॅर्डिनेशन कमेटी के लिए भेज दिए हैं। इससे जब तक वहां से यह पारित नहीं हो जाते हैं, तब तक इसे लागू नहीं किया जा सकता है।
दिसंबर तक जा सकती है परीक्षा
खास बात यह है कि पिछली बार हुए संशोधन में यूजीसी ने स्पष्ट कर दिया था कि यह यूनिवर्सिटी को अनिवार्य रूप से लागू करना है और आगे होने वाले संशोधनों को भी ऐसा ही करना है। कार्यपरिषद में पारित हुए इन नियमों को भी को-आॅर्डिनेशन में भेजने की बात नहीं कही गई थी। को-आॅर्डिनेशन की बैठक नवंबर में प्रस्तावित है। इसमें प्रस्ताव होने के बाद कम से कम 25 दिन इस प्रक्रिया में लगेंगे यानी नवंबर अंत या दिसंबर से पहले यह परीक्षा आयोजित नहीं हो पाएगी।
नए गाइड व संख्या नहीं
बड़ी समस्या एंट्रेंस परीक्षा के लिए नए गाइड और उपलब्ध सीटों की संख्या नहीं होना है। नए यूजीसी नियमों के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर या लेक्चरर को चार अभ्यर्थी, एसोसिएट प्रोफेसर या रीडर को छह और प्रोफेसर को आठ अभ्यर्थियों को ही पीएचडी करवाने की पात्रता होगी। अभी यह संख्या छह से लेकर आठ तक थी। इस कारण अब पीएचडी में उपलब्ध सीटों की संख्या कम हो जाएगी। इससे यूनिवर्सिटी ने अब नए गाइड बनाना भी तय किया है, लेकिन अब तक नोटिफिकेशन ही नहीं निकाला जिससे जानकारी नहीं आई है।
कई परिवर्तन किए
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने जुलाई में एमफिल-पीएचडी रेग्युलेशन में संशोधन कर गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें पीएचडी एंट्रेंस परीक्षा में बी प्लस ग्रेड, पीएचडी कोर्स वर्क में 55 प्रतिशत, कोर्स वर्क की अवधि भी पीएचडी की कुल अवधि में शामिल करने और असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएशन प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिए पीएचडी रिसर्चर भी अलग-अलग तय करने के संबंध में नए नियम बनाए हैं। एमफिल अब दो के स्थान पर एक साल का होगा। एमफिल करने वाले विद्यार्थी को अब पीएचडी में कोर्स वर्क करने से भी छूट होगी।
प्रस्ताव भोपाल भेजा
पीएचडी संशोधन का प्रस्ताव भोपाल भेज दिया है। वहां इसे स्टैंडिंग और को-आॅर्डिनेशन में रखा जाएगा।
- डॉ. वीके सिंह,
प्रभारी रजिस्ट्रार
तैयारी पूरी
हमारी तैयारी पूरी है, लेकिन इसका नोटिफिकेशन तो जारी हो, उसके बाद ही परीक्षा होगी।
- डॉ. गणेश कावड़िया, प्रभारी, पीएचडी सेल