राहुल सेठी इंदौर। एक ओर तो जिला प्रशासन के अधिकारी जिले में लगातार जलस्रोतों को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं वहीं दूसरी ओर जिले की एक तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव के लोगों ने बडे भारी तालाब को पाटकर वहां धर्मशाला का निर्माण शुरू कर दिया है।
मामला हातोद तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सुमठा का है। वहां रहवासियों द्वारा बीते कुछ माह से तालाब को पाटने का काम किया जा रहा है। इसको लेकर कई बार जिला प्रशासन के अधिकारियों को शिकायतें की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब ग्रामीणों के हौसले और अधिक बुलंद हो गए हैं। उन्होंने तालाब को पाटकर वहां धर्मशाला का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इससे तालाब आधे से ज्यादा खत्म हो गया है। इससे गांव का एक बड़ा पेयजल स्रोत शीघ्र ही खत्म होने की कगार पर आ गया है।
पानी तो फिर पूरा ही खराब होगा
अब जो तालाब बचा है, उसका पानी भी भविष्य में किसी काम का नहीं रहेगा। कारण कि धर्मशाला में होने वाले आयोजनों के बाद लोगों द्वारा जूठन पानी में फेंकी जाएगी, इससे पानी प्रदूषित हो जाएगा। वैसे भी जिले की अधिकांश धर्मशालाओं के आसपास काफी गदंगी व्याप्त है। इसके बावजूद वहां सफाई के मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती है।
नहर पर भी हो गया कब्जा
इस गांव के लोगों द्वारा तालाब तो ठीक खेतों में पानी पहुंचाने वाली नहर को भी नहीं छोड़ा है। नहर में कब्जा कर मंदिर का निर्माण कर लिया गया है। मंदिर के निर्माण के दौरान जिला प्रशासन द्वारा नोटिस भी दिए गए, लेकिन इसके बाद अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
विधायक दे रहे साथ
मामले में विधायक मनोज पटेल भी ग्रामीणों का साथ दे रहे हैं। उन्हें धर्मशाला निर्माण की पूरी जानकारी है, लेकिन वे चुप्पी साधे हैं। वहीं अधिकारी भी शिकायते मिलने के बाद कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
एक नजर में तालाब की स्थिति
साढ़े तीन एकड़ जमीन पर बना हुआ।
पानी खेतों की सिंचाई के उपयोग में आता है।
पशुओं के पीने के उपयोग में पानी लिया जाता।
वर्षों पुराना तालाब हैं।
पूर्व विधायक ने गहरीकरण की योजना बनाई थी।
मेरी जानकारी में नहीं
मुझे वहां हो रहे किसी भी निर्माण कार्य की जानकारी नहीं है। तालाब पर यदि किसी ने कब्जा किया है, तो वह अवैध है। सरकारी जमीन पर निर्माण की हमारी ओर से किसी को स्वीकृति नहीं दी जाती है।
दामोदर शर्मा
पटवारी,
जिला प्रशासन