25 Apr 2024, 07:51:41 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

संतोष शितोले इंदौर। लोगों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के मद्देनजर हाईटेक हो चुकी मध्यप्रदेश पुलिस के सिटीजन कॉप ऐप कीएसओएस (सेव अवर सोल) सुविधा इन दिनों बड़ी रोचक हो गई है।

इसके तहत ऐप डॉउनलोड कर एसओएस में पुलिस सहित चार खास व्यक्तियों के नंबर सेव कर विपरीत परिस्थियों में फंसने पर आसानी से संबंधितों को सूचना भेजी जा सकती है। उपयोग भी आसान है, सिर्फ मोबाइल को जोर से शेक करना (हिलाना) है। हालांकि इसके दुरुपयोग ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है। कई लोग मस्ती के लिए नंबर सेव कर देते हैं तो कुछ सिर्फ टेस्ट करने के मकसद से मोबाइल शेक कर देते हैं। कई बार तो बच्चों के मोबाइल से खेलने पर ही पुलिस को सूचना मिल चुकी है। जब कंट्रोल रूम से जानकारी ली जाती है तो जवाब मिलता है, ‘सॉरी, बस... टेस्ट के लिए मोबाइल हिलाया दिया था’।

जुड़ने लगे हैं लोग: इंदौर पुलिस ने लॉन्चिंग के दौरान इस ऐप के कई फीचर्स से जनता को अवगत कराया था। इसके तहत मोबाइल चोरी या गुम होने, वाहन चोरी, ट्रैफिक सिग्नल के उल्लंघन आदि की आॅनलाइन शिकायतें की जा सकती हैं। धीरे-धीरे लोग भी इससे जुड़ने लगे हैं। इससे वे पुलिस की मदद भी करते हैं और जरूरत पड़ने पर पुलिस को मदद लेते भी हैं। वैसे आजकल कई मोबाइल फोन में एसओएस ऐप इनबिल्ट रहता है लेकिन लोग सिटीजन ऐप के एसओएस को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

बदमाशों से बची थी युवती: कुछ समय पहले रात में कुछ बदमाशों ने पलासिया थाना क्षेत्र में एक युवती को घेर लिया था और उसके साथ गलत हरकतें करने की कोशिश की। चूंकि उसके मोबाइल पर उक्त ऐप में पुलिस का नंबर सेव था इसलिए उसने मोबाइल हिलाया और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई। इस तरह एक बड़ी घटना टल गई। मामले में पुलिस ने उक्त युवती को पुरस्कृत करने की पहल की थी, लेकिन उसने इनकार कर दिया था।

नौ महीने में 406 रिक्वेस्ट
जनवरी से लेकर अब तक सिटीजन कॉप पर शहर से ऐसे 406 मामले आ चुके हैं। ऐप से इस तरह की मदद मांगे जाने के दौरान संबंधित को यह भी पता चल जाता है कि मुसीबत में फंसे व्यक्ति की लोकेशन क्या है। ऐसे में थाना पुलिस से समन्वय बनाकर मौके तक पहुंचना आसान हो जाता है। खैर, 406 में से आधे से ज्यादा में स्थिति यह रही कि पुलिस ने तुरंत उस नंबर पर फोन लगाकर पूछा तो बताया गया कि सॉरी... ऐप डॉउनलोड करने के बाद टेस्ट किया था। कुछ मामलों में जवाब मिला कि ‘साहब... ऐसी कोई बात नहीं है’। बच्चे ने खेल-खेल में मोबाइल ज्यादा हिला दिया था।

चार नंबरों में पहले पुलिस का
एसओएस (हेल्प मी) का उपयोग करने के दौरान अधिकतर मोबाइल धारक चार में से शुरू के दो नंबरों में पुलिस कंट्रोल रूम और संबंधित थाने के टीआई के नंबर फीड कर रहे हैं। बाकी दो विकल्प में वे परिवार या खास लोगों के नंबर फीड कर देते हैं।

टेस्ट करना आदत
आमतौर पर कोई भी एप डॉउनलोड करने के बाद लोग उसका टेस्ट करते हैं। इस ऐप की एसओएस सुविधा में भी लोगों ने यही किया। इससे सूचना मिली और पुलिस सतर्क हो गई। 406 सूचनाओं में गंंभीर स्थिति जैसा मामले कम ही मिले।
- सोनाली दुबे, एआईजी

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