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मैच से पहले एमपीसीए को चेताएगा पीएफ डिपार्टमेंट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 29 2016 10:08AM | Updated Date: Sep 29 2016 10:08AM
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रफी मोहम्मद शेख  इंदौर। इंदौर के इतिहास में पहली बार 8 अक्टूबर से शुरू हो रहे टेस्ट मैच से पहले एक बार फिर प्रॉविडेंट फंड डिपार्टमेंट सक्रिय हो गया है। पिछली बार हुए भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में विवाद के बाद इस बार मैच से पहले ही डिपार्टमेंट ने आयोजक मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को मजदूरों से लेकर काम करने वाले अन्य कर्मचारियों तक को पीएफ का लाभ देने की याद दिलाने की तैयारी कर ली है। एक-दो दिन में एमपीसीए के पास यह जानकारी पहुंच जाएगी।

प्रॉविडेंट फंड डिपार्टमेंट ने इंदौर को मिले टेस्ट मैच के बाद ही यह निश्चित कर लिया था कि आयोजकों को पहले से ही इस मामले में बता दिया जाए, ताकि कोई विवाद न हो। डिपार्टमेंट के अधिकारी या तो एमपीसीए आॅफिस जाएंगे या फिर उन्हें बुलाकर कर साफ कर दिया जाएगा कि टेस्ट मैच की तैयारियों में जो भी काम जिस भी कंपनी या ठेकेदार को दिया जाए, उससे यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि वह यहां पर काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी का प्रॉविडेंट फंड जरूर जमा करेगा। अंतिम भुगतान से पहले भी इसकी जांच कर ली जाए। एमपीसीए मैच के दौरान होने वाली तैयारियों और व्यवस्थाओं के लिए अधिकांश काम आउटसोर्सिंग कंपनियों व ठेकेदारों से कराता है। पिछली बार हुए विवाद के चलते कोई भी पीएफ अधिकारी सामने आकर नहीं बोल रहा है। वहीं एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित के अनुसार अभी हमारे पास इस संबंध में कोई पत्र नहीं आया है। आएगा तो जानकारी दे दी जाएगी।

इस बार ज्यादा काम
जानकारी अनुसार इस बार आयोजकों ने पीएफ में रजिस्टर्ड ठेकेदारों को ही काम दिया है। पांच दिन के इस मैच के दौरान सुरक्षा एजेंसी, कुर्सियां, पुताई आदि के लिए लगने वाले कर्मचारी, मजदूर व अन्य व्यवस्थाओं में लगे बाहरी कर्मचारियों का काम शुरू हो गया है। इसके अलावा एमपीसीए कई कर्मचारियों को सीधे तौर पर भी बुला रहा है। अनुमान के अनुसार करीब एक हजार बाहरी कर्मचारी व मजदूर इन व्यवस्थाओं में रहेंगे।

पिछली बार मिला था नोटिस

पिछले साल 14 अक्टूबर को इंदौर में हुए भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में पीएफ डिपार्टमेंट ने सभी आउटसोर्सिंग व ठेकेदार के कर्मचारियों और मजदूरों तक का पीएफ काटने के लिए एमपीसीए को नोटिस दिया था। इसमें यहां काम करने वाले सभी लोगों का पीएफ काटने की जिम्मेदारी एमपीसीए की बताई थी। ठेकेदार को भुगतान से पहले एमपीसीए को यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि पीएफ काटा गया है या नहीं। इसके बाद एमपीसीए ने जानकारी उपलब्ध कराई थी।

मुख्य नियोक्ता की जिम्मेदारी
पीएफ के नियमानुसार जो भी मुख्य नियोक्ता होता है, उसके जिम्मे यह होता है कि उसके यहां पर किसी भी प्रकार का काम करने वाले कर्मचारी का प्रॉविडेंट फंड काटा जा रहा हो। इस व्यवस्था में लगने वाले पुलिस बल, एमपीसीए के कर्मचारी और अन्य सरकारी कर्मचारियों का तो पीएफ काटा जाता है, लेकिन सुरक्षाकर्मियों से लेकर अन्य व्यवस्थाओं में लगे कर्मचारियों व मजदूरों का नहीं, जबकि नियमों में साफ है कि ऐसे सभी व्यक्तियों का पीएफ काटा जाना चाहिए। आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनी नहीं काटती है तो फिर इन्हें आउटसोर्स करने वाले संस्थान की यह जिम्मेदारी बनती है।

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