20 Apr 2024, 05:18:45 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुनीष शर्मा  इंदौर। इंदौर शहर के बीच होलकर राजवंश के खासगी ट्रस्ट की एक अलग ही रियासत चल रही है। यहां लगभग 20 एकड़ जमीन पर बसी तीन कॉलोनियों अहिल्यापुरी, ब्रह्मपुरी व अनंतपुरी सहित समीप की कुछ अन्य जमीनों से वह लीज वसूल रहा है। ट्रस्ट लीज वसूली तो कर रहा है, लेकिन प्लॉटधारकों के नाम पर न तो वह रजिस्ट्री कर रहा है और न ही राजस्व विभाग को जमीन का डायवर्शन शुल्क अदा कर रहा है। यही नहीं ट्रस्ट के कारण इन कॉलोनियों का नियमितीकरण भी नहीं हो पा रहा है, क्योंकि नगर निगम जब नियमितीकरण की बात करता है तो तुरंत जमीन को लेकर न्यायालय में प्रकरण चलने की बात वह करने लगता है। लगातार फलने-फूलने वाले इस क्षेत्र में दिनों-दिन काफी बिल्डिंग खड़ी हो रही हैं, लेकिन यहां सभी बगैर नक्शा पास किए काम हो रहा है, निगम यहां रिमूवल की कार्रवाई भी नहीं करता।

ट्रस्ट अपना रहा दोहरी नीति

करीब 25 साल पहले खासगी ट्रस्ट के गणेश मंदिर की इस जमीन पर कुछ लोगों ने मिलकर कॉलोनी विकसित कर दी थी। ट्रस्ट ने इस मामले में पुजारी के खिलाफ न्यायालयीन कार्रवाई कर रखी है। अभी भी यह प्रकरण न्यायालय में लंबित है। जो मामला सामने आ रहा है उसमें ट्रस्ट दोहरी नीति अपनाता दिख रहा है, यानी एक तरफ वह न्यायालय में केस लड़ रहा है और दूसरी तरफ लोगों का खाता खोलकर लीज नवीनीकरण या लीज राशि लेने का काम भी कर रहा है। यह पूरी जमीन अभी तक कृषि भूमि ही है। नियम के अनुसार इसका डायवर्शन कराया जाना चाहिए था। ट्रस्ट अपनी जमीन पर बाले-बाले कॉलोनी काटने वाले पर न्यायालयीन कार्रवाई कर रहा है, लेकिन वह लोगों को मकान बनाने से भी नहीं रोक रहा है। इसके अलावा वह बकायदा लीज रेंट ले रहा है और नामांतरण फीस भी लेने से नहीं चूकता है। यह फीस भी कोई कम नहीं है, क्योंकि यहां बड़ी जमीनें करोड़ों रुपए मूल्य में बेची गई हैं। पिछले दिनों नगर निगम ने इन तीनों कॉलोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करना चाही, लेकिन तब भी खासगी ट्र्स्ट ने अड़ंगा लगा दिया। उसका कहना था मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

...फिर प्रशासन-निगम कैसे बनाने दे रहे मकान

इस क्षेत्र में जब सारी प्रक्रिया खासगी ट्रस्ट के इद-गिर्द ही घूम रही है और सैकड़ों की संख्या में मकान अवैध बन गए या अभी और बनाए जा रहे हैं तब जिला प्रशासन व नगर निगम संयुक्त कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं। कलेक्टर कार्यालय से डायवर्शन राशि नहीं जमा करने को लेकर प्रकरण बनाया जा सकता है तो वहीं नगर निगम अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चला सकता है। बताया जाता है नगर निगम के अधिकारी इन निर्माण स्थलों पर जाते हैं और अवैध निर्माण का नोटिस देकर गायब हो जाते हैं। जहां बात नहीं बनती वहां रिमूवल की कार्रवाई कर देते हैं। इस क्षेत्र के एक प्लॉटधारक का कहना है दो सप्ताह पहले निगम के अधिकारियों से एक बिल्डिंग मालिक की बात नहीं बनी तो उसके यहां रिमूवल लगा दिया। यहां पांच सौ से ज्यादा मकान अवैध बने हुए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करता।

शासन ने दी लीज वसूलने की मंजूरी
दबंग दुनिया ने खासगी ट्रस्ट से उसकी बात रखने को कहा। उनके आॅफिस में बैठे स्टाफ का कहना है हमने पुजारी के खिलाफ न्यायालय में केस लगाया था जो लंबित है। शासन ने हमें लोगों से लीज वसूली की अनुमति दी है, जिससे हम लीज ले रहे हैं। लोगों के जो मकान बन रहे हैं उसे हम इसलिए नहीं रोक रहे हैं, क्योंकि पहले से ही काफी मकान बन चुके हैं। नियमितीकरण के लिए निगम से हमारे पास पत्र आया था, लेकिन हमने न्यायालयीन प्रक्रिया की जानकारी उन्हें उपलब्ध करा दी।

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