कृष्णपाल सिंह इंदौर। परंपरा के रंग में रंगी छोटी सी दुनिया...। अत्याधुनिक युग में भी हमारी परंपरा को जीवित रखने की मशक्कत...। मिट्टी के खिलौनों से लगाकर कागज की फिरकनी और बांस से बने धनुष बाण तक...। इतिहास और परंपरा की दिखाई देती झलक...। जी हां, हम बात कर रहे उन कारीगरों की जो दिन-रात कड़ी मेहनत कर तैयार करते हैं देसी खिलौने...। सस्ते और बेहद आकर्षक खिलौने जो हर उम्र के लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं...। इन्हें घर लाए बगैर कोई भी मेला या उत्सव अधूरा सा लगता है...। अनंत चतुर्दशी पर लगने वाले मेले के लिए इन लोगों ने दो दिन पहले ही इंदौर में अपना डेरा जमा लिया है...। तलवार, त्रिशूल, सोटा, गूलेल, चकरी, टोपी, बांसुरी, धनुष बाण आदि खिलौनों की सजावट शुरू कर दी, ताकि भीड़ को अपनी और आकर्षित कर सकें।
कच्चा माल लाकर खुद करते हैं तैयार
देपालपुर तहसील गांव चांदेर से आए गंगा बाई व लखन पंवार ने बताया हर साल अनंत चतुर्दशी पर खिलौने लेकर आते हैं। इनका कच्चा माल इंदौर से लेकर ही जाते हैं और गांव में तैयार करते हैं। 55 परिवार हैं जो दिन-रात लकड़ी वाले खिलौने बनाने का काम करते हैं, ताकि परंपरा को जीवित रखें। दो माह पहले इंदौर से ही कच्चा माल लेकर जाते हैं, जिसे बनाकर तैयार करते हैं। इसमें इंदौर के अलावा भोपाल, ग्वालियर, सेंधवा, जबलपुर, कानपूर व अन्य स्थानों पर लगने वाले मेले, नवरात्रि, ताजिये सहित अन्य उत्सव में इन स्थानों पर खिलौने को बेचने पहुंचते हैं। इनकी कीमत भी 10 से 20 रुपए के बीच है। ये खिलौने बच्चों के पसंदीदा रहते हैं। कई पीढ़ी से काम कर रहे हैं, जिससे गुजर बसर करते हैं।
...दिलाते हैं परंपरा की याद
कारीगर पंवार ने बताया कि चायना के आइटम अपनी जगह हैं, लेकिन हमारे खिलौनों को कोई नुकसान नहीं है। देसी लकड़ी का खिलौना बनाते हैं और कुछ पैसा कमा लेते हैं। यह काम सिर्फ त्योहारों पर ही रहता है, जिसमें सौगात देते हैं। उत्सवों के इस मौसम में ये कारीगर अपने पारंपरिक काम के साथ आज भी दूर दराज की उन जगहों से आकर शहरों में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते हैं जिससे इनकी रोजी रोटी जुड़ी हुई है। इसके बाद गांव में सोयाबीन व अन्य फसल काटने का काम करते हैं। इसलिए सभी खिलौनों को आकर्षक बनाने के लिए अलग-अलग पेपर लगाते हैं, ताकि वो खूबसूरत दिखाई दें। यह काम फैरी लगाकर करते हैं, जिसमें हमारा कोई स्थायी ठीया तय नहीं रहता है और एक दिन में लौट भी जाते हैं। इसमें सभी खिलौनों के 500-500 आयटम लेकर आए हैं, जिन्हें बेचेंगे।