रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के स्कूल आॅफ लॉ के एचओडी डॉ. दिनेश वार्ष्णेय को कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ ने आखिरकार हटा ही दिया। एचओडी द्वारा फीस नहीं भरने वाले और फेल विद्यार्थियों को नियमानुसार डी-बार करने की सजा कुलपति ने पद से हटाकर दी है। एबीवीपी नेताओं ने अपने करीबी विद्यार्थियों को पास करने के लिए एचओडी पर लगातार दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने नियम विरुद्ध काम करने से इनकार कर दिया था। अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या सही काम नहीं किया जाए।
जानकारी के अनुसार सख्त मिजाज के डॉ. वार्ष्णेय ने इस साल करीब 45 विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने से रोक दिया था। ये विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने सेमेस्टर की फीस ही जमा नहीं की थी। करीब 40 हजार रुपए की फीस जमा करने में आनाकानी कर रहे थे, लेकिन अगली कक्षा में बैठने के लिए अनुमति चाहते थे। एचओडी ने यूनिवर्सिटी की आय और नियमों का हवाला देकर ऐसा करने से मना कर दिया तो नेताओं ने गलत व्यवहार, नॉन लॉ बैकग्राउंड सहित अन्य शिकायतें सामने रखते हुए तालाबंदी कर एचओडी को हटाने की शर्त रख दी। कुलपति भी दबाव में आए और उन्होंने पुलिस में मामला देने के बजाय ईमानदार एचओडी को हटा दिया।
...तो कुलपति से हटवाया
करीब 15 विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनका रिजल्ट एसजीपीए 4 पाइंटर से कम है। यूनिवर्सिटी के आॅर्डिनेंस 31 के अनुसार ये विद्यार्थी फेल माने जाएंगे और अगली क्लास में प्रमोट नहीं हो सकेंगे। साथ ही कई विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनकी अटैंडेंस नियमानुसार 60 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठाया जा रहा था, लेकिन ये सब लगातार दबाव बना रहे थे। इनमें कुछ एबीवीपी नेताओं के करीबी थे। जब इन्होंने पहले दबाव बनाया तो काम नहीं हुआ, फिर दूसरे आरोप लगाकर उन्हें कुलपति से हटवा दिया गया।
टेस्ट दिए बिना पास करो
एबीवीपी नेताओं का एक करीबी विद्यार्थी ऋषभ मिश्रा भी डॉ. वार्ष्णेय को हटाने के कारणों में से है। पिछले साल यह 7 फरवरी से 29 मार्च तक एक दिन भी क्लास में नहीं आया। साथ ही इसने दो टेस्ट भी नहीं दिए। जब इसे सेकंड सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं किया गया तो हंगामा मचा। तब तत्कालीन कुलपति डॉ. आशुतोष मिश्रा ने उसे अंडरटेकिंग लेकर परीक्षा में तो शामिल करा दिया था। अब जब रिजल्ट आया तो वो दो टेस्ट नहीं देने के कारण फेल हो गया। छात्र नेता और छात्र दोनों इसे पास चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने से इनकार कर दिया गया।
अब उठ रहे सवाल
स्कूल आॅफ लॉ में डॉ. अर्चना रांका को कम एसजीपीए के विद्यार्थियों को नियम विरुद्ध अगली कक्षा में प्रमोशन के विवाद के बाद तत्कालीन कुलपति डॉ. डीपी सिंह ने डॉ. आशुतोष मिश्रा को प्रभारी बनाया था। इसके बाद जब डॉ. मिश्रा ने कुलपति का प्रभार संभाला तो यह पद डॉ. दिनेश वार्ष्णेय को सौंपा। तब से वे ही इस पद पर काबिज थे। अब कुलपति ने डॉ. वार्ष्णेय को हटाकर आईआईपीएस के डॉ. मनीष सीतलानी को नया एचओडी बना दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या अन्य विभागों के ऐसे एचओडी को भी हटाया जाएगा, जो उस बैकग्राउंड के नहीं हैं।
मैंने नियम का पालन किया
मैं हमेशा नियम से ही काम करता हूं। जो छात्र आया नहीं, टेस्ट नहीं दिए तो फेल होगा ही। उसे पास कैसे कर सकते हैं। विद्यार्थी फीस नहीं देंगे तो परीक्षा में कैसे शामिल करें?
-डॉ. दिनेश वार्ष्णेय, पूर्व एचओडी, स्कूल आॅफ लॉ
सोच-समझकर लिया निर्णय
एचओडी को बदल दिया गया है। विद्यार्थियों ने मांग उठाई थी। सोच-समझकर ही यह निर्णय लिया गया।
-डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी