सुधीर शिंदे इंदौर। असंतुष्टों को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कृष्णमुरारी मोघे और बाबूसिंह रघुवंशी जैसे जमीनी नेताओं को निगम, मंडल में तो भेज दिया, लेकिन उन्हें मंत्री का दर्जा देना भूल गए। इसका असर ये हुआ कि अधिकृत तौर पर वे अभी भी लालबत्ती से वंचित हैं। 17 मार्च को रघुवंशी को लघु उद्योग निगम और 18 जुलाई को मोघे को मप्र गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी।
एक बत्ती चालू तो दूसरी पर पर्दा
नियम-कायदों के पक्के मोघे ने अपनी गाड़ी पर लालबत्ती तो लगा ली, लेकिन वे उसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बत्ती पर सफेद कवर डाल रखा है। दूसरी ओर पदभार ग्रहण करने के बाद से रघुवंशी बत्ती लगाकर पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं।
हर यात्रा पर सीएम कहते हैं- आपका काम करना है
निगम-मंडल का झुनझुना पकड़ाकर सरकार ने अपना काम तो कर दिया, लेकिन वो बज नहीं रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान अपनी हर यात्रा के दौरान मोघे और रघुवंशी को देखकर एक ही बात कहते, वो फाइल (नोटिफिकेशन के फाइल पर हस्ताक्षर) निपटानी है। लेकिन बत्ती की फाइल ऊपर ही नहीं आ रही है।
हर सप्ताह होती है बैठक
निगम-मंडल के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को कैबिनेट या राज्यमंत्री का दर्जा देना है, इसका फैसला कैबिनेट की बैठक में होता है। बैठक में बत्ती को लेकर एक-दो सप्ताह में आदेश जारी हो जाना चाहिए।
जब होना है होगा
निगम, मंडल की जिम्मेदारी मिलने के बाद आदेश जारी होना चाहिए। हालांकि मैंने इस संबंध में किसी से बात नहीं की। जब होना है होगा, नहीं तो नहीं होगा। अब क्या किया जा सकता है।
- कृष्णमुरारी मोघे, अध्यक्ष, मप्र गृह निर्माण
कोई फर्क नहीं पड़ता
अभी दर्जा किसी को नहीं दिया, पेंडिंग पड़ा हुआ है। दर्जे से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो तो साफ लिखा है कि सुविधाएं हैं। दर्जे से मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता है।
- बाबूसिंह रघुवंशी,
अध्यक्ष, लघु उद्योग निगम