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पुतलों की परिक्रमा... डोल के श्याम, बन जाते हैं झांकी के राम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 14 2016 10:19AM | Updated Date: Sep 14 2016 10:19AM
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आदित्य शुक्ला इंदौर। जेल रोड पर अनंत चतुर्दशी चल समारोह की झांकी में नजर आने वाली राधा अगले साल देवास या उज्जैन की झांकियों में सीता, पार्वती या मीरा के रूप में भी नजर आए तो चौंकिएगा मत। डोल ग्यारस पर निकले श्याम अनंत चतुर्दशी की झांकी में राम का अवतार भी ले सकते हैं। क्योंकि झांकी बनाने वाले कलाकार झांकियों में इस्तेमाल होने वाले पुतलों को खत्म नहीं करते, उन्हें दूसरे शहर के कलाकारों को बेच देते हैं या थोड़े बदलाव के साथ नए अवतार में पेश कर देते हैं।

अब फाइबर के बनते हैं

झांकी कलाकार प्रवीण हरगांवकर बताते हैं कि वर्ष में एक बार बनने वाली झांकी के लिए विषय का चयन स्वयं ही करते हैं। उसे जीवंत बनाने के लिए सभी संसाधन भी जुटाने पड़ते हैं। झांकियों की शुरुआत के दौर में मिट्टी के पुतले बनते थे। तब कलाकारों को महीनों पहले से झांकी की तैयारी शुरू करना पड़ती थी। अब समय के साथ झांकी बनाने के साजोसामान भी बदल गए। अब फाइबर के पुतले बनने लगे। कलाकार के मन में जो थीम आए उसके हिसाब से स्वयं पुतले तैयार करता है। झांकी निकलने के बाद पुतलों सहित पूरा साजोसामान सहेजकर रखते हैं। 

सालभर सुरक्षित
झांकी कलाकार रामरतन शर्मा बताते हैं, पहले सिर्फ अनंत चतुर्दशी पर ही झांकियां निकालने की परंपरा थी, लेकिन अब कई त्योहार जैसे सावन, गोगा नवमी, डोल ग्यारस आदि में भी झांकियां निकलने लगी हैं। कई बार गणेश महोत्सव में बनाए पुतले अन्य अवसरों पर बनने वाली झांकियों में भी उपयोग में लिए जाते हैं। इसलिए इन पुतलों को सालभर सुरक्षित रखना पड़ता है।

पुस्तकों से चयन
हरगांवकर बताते हैं कि झांकी में क्या बनाना है, इसके लिए धार्मिक पुस्तकें पढ़ते व फिल्में देखते हैं। जैसे माय फे्रेंड गणेशा फिल्म देखकर इस वर्ष राजकुमार मिल में गणेशजी को बाइक चलाते हुए दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। तो भागवत पुराण पढ़कर भीष्म पितामह द्वारा अर्जुन को आशीर्वाद देने का दृश्य बताया जाता है।

बिकते भी हैं पुतले
झांकी कलाकार दीपक लवगंडे बताते हैं एक बार जिन पुतलों का इस्तेमाल कर लेते हैं, उनका इस्तेमाल शहर में किसी दूसरी झांकी में करना मुश्किल होता है। ऐसे में दूसरे शहरों के कलाकारों को बेच देते हैं। यदाकदा कोई विशेष पुतला या सामान रहता है जिसका अलग-अलग स्वरूप में उपयोग हो सकता है। उसे सहेजकर रखना पड़ता है।

टूट जाते हैं कई सामान

झांकी कलाकार नारायण सिंह कुशवाह और मनोज कुशवाह बताते हैं कि एक बार झांकी बनाने के बाद जब उसे खोलते हैं तो अधिकतर सामान टूट जाता है। रिफ्लेक्टर, हाईड्रोलिक या अन्य मशीनरी सहित जो सामान बेहतर रहता है उसे संभालकर गोदाम में रखते हैं।

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