गौरीशंकर दुबे इंदौर। इंदौर डिविजन क्रिकेट एसोसिएशन (आईडीसीए) आठ साल से मप्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) से अपने मैदान के लिए जमीन की मांग कर रहा है, लेकिन उसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है। 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे नेहरू स्टेडियम बैडमिंटन हॉल में जब आईडीसीए की वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) होगी, तो फिर सदस्य मैनेजिंग कमेटी से मांग करेंगे कि एमपीसीए से जमीन मुहैया कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी वाली जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने पर ही आईडीसीए का हरेक पदाधिकारी और सदस्य सहमत है।
नियम के खिलाफ जाकर...
मप्र की रणजी टीम, अंडर 23, अंडर 19, अंडर 16 और अंडर 14 टीमें अच्छा खेल दिखा रही हैं और उन सभी में इंदौर के पांच से छह आधारस्तंभ क्रिकेटर हैं। आईडीसीए को लगातार तीन साल से बेस्ट डिविजन का अवॉर्ड भी मिल रहा है। इसके बाद भी एमपीसीए आईडीसीए की उपेक्षा कर रहा है। दूसरी ओर ग्वालियर को तो लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ जाकर कोई 40 करोड़ रुपए की जमीन दे दी है। इसे स्टेडियम बनाने के लिए लगभग और 160 करोड़ रुपए और खर्च किए जाएंगे। जबलपुर, सागर, रीवा डिविजन को भी उनके मैदान के लिए जमीन दी गई है। बीसीसीआई हर साल एमपीसीए को क्रिकेट के विकास के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए देता है।
इंदौर में कहां हैं मैदान...
आईडीसीए के पास क्रिकेट कराने के लिए नगर निगम का जिमखाना मैदान है और खालसा कॉलेज मैदान के अलावा कभी कभार एनडीपीएस पर भी मैच कराता है। आईटीआई और विजय क्लब मैदान खत्म हो चुके, जबकि नेहरू स्टेडियम पर क्रिकेट संभव नहीं रह गया। एमरल्ड, शिशुकुंज और एनडीपीएस वालों की पसंद/प्राथमिकता एमपीसीए ही है।
सौदा होने के बाद खींचे हाथ...
हमारे चेयरमैन जीवराज सिंघी, अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय, सचिव अमिताभ विजयवर्गीय सहित सभी सदस्य जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों की पक्ष में हैं। सिफारिशें क्रिकेट में लगी दीमक की सफाई करने के लिए हैं और स्वागत योग्य भी। वैसे हमारा काम पारदर्शी है। हमने एमपीसीए से अपने मैदान के लिए जमीन की मांग की है। सुनने में आया है कि वे पूरब और पश्चिमी क्षेत्र में जमीन देख रहे हैं। मप्र क्रिकेट का विकास इंदौर से जुड़ा है और वह तभी हो पाएगा, जबकि इंदौर के लड़कों को ज्यादा से ज्यादा मैच खेलने को मिलेंगे।
दिनेश शर्मा, सह सचिव आईडीसीए