25 Apr 2024, 11:26:15 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा/कृष्णपाल सिंह इंदौर। एअर सिलेंडर फटने से सोमवार रात जिस क्योरवेल हॉस्पिटल में हंगामा मच गया, वह नींव से छत तक गड़बड़ियों का गढ़ है। अस्पताल न्यू पलासिया के तीन आवासीय प्लॉटों को जोड़कर बनाया गया है। इतना ही नहीं मनमाने तरीके से बेसमेंट को जनरल वार्ड बनाकर वहां भी करीब दो दर्जन बेड लगा दिए गए। न हवा की पर्याप्त व्यवस्था की, न प्राकृतिक रोशनी की। यहां तक कि पार्किंग की जमीन भी हजम कर गए। अस्पताल में आने-जाने वालों की गाड़ियों ने सड़क को बीमार कर दिया है। 

हॉस्पिटल का अधिकृत पता 19/1 सी न्यू पलासिया है, जबकि बिल्डिंग बनी है क्योरवेल हॉस्पिटल प्रा.लि. के प्लॉट नं. 19/1 सी और 19/बी के साथ ही 19/4/1 पर जो कि अभय, दिलीप, विमल पिता गेंदालाल सुराना के नाम है। इसमें प्लॉट नं.  19/4/1 पर आईसीयू बना है। नियमानुसार प्लॉटों का संयुक्तीकरण प्रतिबंधित है। आईसीसीयू तक पहुंचने का रास्ता भूलभूलैया से कम नहीं है। अस्पताल की मूल बिल्डिंग से भवन के बीच की दूरी 50 फीट से ज्यादा है जिसे गलियारा बनाकर मूल भवन से जोड़ा गया है।

संपत्ति कर सिर्फ 10 फीसदी...
प्लॉट नं.         19/4/1    19/1 सी    19/1 बी      कुल
ग्राउंड फ्लोर      849        924        924        2697
पहली मंजिल    849        2131        2131        5111
दूसरी मंजिल    849        1000        1000        2849
तीसरी मंजिल    355         924        924        2203
चौथी मंजिल     000        235        235        470
कुल                                 13330

मंजूरी से भी ज्यादा

7662 वर्गफीट पर एमओएस हजम करके 6130 वर्गफीट का ग्राउंड कवरेज किया है। इस पर नगर निगम ने  10215 वर्गफीट निर्माण मंजूर किया था जबकि निर्माण हुआ है 20 हजार वर्गफीट से ज्यादा। संपत्ति कर चुकाया जा रहा है 13330 वर्गफीट का।

अस्पताल की जमीनी हकीकत
56 दुकान को छोड़ न्यू पलासिया का भू-उपयोग आवासीय रहा है। 1988-1990 के बीच जब यहां अस्पताल बना, तब भी प्लॉटों का उपयोग आवासीय ही था। इसीलिए 7662 वर्गफीट जमीन प्लॉट पर बी+जी+3 (11.80 मीटर ऊंचाई) की 10215 वर्गफीट कुल निर्माण की अनुमति मिली थी। भवन अनुज्ञा के रिकॉर्ड के विपरीत राजस्व विभाग निर्माण को व्यावसायिक मानकर ही संपत्तिकर ले रहा है।

होना यह था : नियमानुसार यहां फ्रंट में नौ, पीछे तीन और दोनों तरफ 3.65 मीटर एमओएस छोड़ना था। न्यूनतम 15 कारों की पार्किंग व्यवस्था प्लॉट क्षेत्र में ही होना थी।

हुआ यह : फ्रंट एमओएस में लॉबी बना दी। पेड़-पौधे लगा दिए। पीछे अटालाघर बना दिया। सिलेंडर रखे जाते हैं। वृंदावन होटल की तरफ केंटिन बना दी। जंजीरवाला चौराहा की ओर थोड़ी सी जगह छोड़ी पीछे जाने के लिए, लेकिन वहां गेट लगा दिया।

अधिकारियों की जांच में क्योरवेल कथा
1. आवासीय अनुमति लेकर अस्पताल के रूप में व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।
2. हॉस्पिटल में अवैध निर्माण भी है।
3. पार्किंग भी उपलब्ध नहीं।

यह है तर्क-वितर्क
अस्पताल ने निगम में पक्ष रखा कि 1989 को अस्पताल निर्मित हुआ है। जिसकी अनुज्ञा क्योरवेल हॉस्पिटल के नाम से आवासीय उपयोग के लिए स्वीकृत है। तभी से हॉस्पिटल संचालित है। इसके अतिरिक्त हमें कुछ नहीं कहना हैं। निगम ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश 5 नवंबर 2015 के क्रम में शासन द्वारा मप्र भूमि विकास अधिनियम-2012 और मास्टर प्लान 2021 में हॉस्पिटल, नर्सिंग होम के नियमों में परिवर्तन नहीं किया है।  

यह है नियम
मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के अनुसार मास्टर प्लान में जमीन का भू-उपयोग तय होता है। भू-उपयोग के आधार पर ही नगर निगम भवन अनुज्ञा जारी कर सकता है। भवन अनुज्ञा के विपरीत निर्माण अवैध कहलाता है। भू-उपयोग और प्लॉट की साइज के हिसाब से ही उसका एमओएस और एफएआर तय होता है जिसकी गणना करने के बाद ही ग्राउंड कवरेज छोड़ने और कुल निर्माण की अनुमति दी जाती है।

सख्ती से करेंगे कार्रवाई
नक्शे के विपरीत निर्माण है तो निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी। एमओएस और पार्किंग को लेकर जांच के आदेश दिए हैं।
मालिनी गौड़, मेयर

गड़बड़ी पर करेंगे कार्रवाई
एमओएस-पार्किंग के साथ पूरे निर्माण की जांच शुरू कर दी है। आवासीय नक्शे और व्यावसायिक उपयोग के मामले में भी जांच कर आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे।
मनीषसिंह, कमिश्नर, नगर निगम

मॉनिटरिंग नहीं हो पाती
हमारे पास मैदानी अमला कम है,  इसीलिए नियमित मॉनिटरिंग तो नहीं कर सकते लेकिन अब आकस्मिक जांच जरूर होगी।
डॉ. एस.पोरवाल, सीएमएचओ

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