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आॅर्डर में ‘न्यू’ पर व्हाइटनर लगाकर बनाया ओल्ड जीडीसी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 7 2016 10:42AM | Updated Date: Sep 7 2016 10:42AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। ओल्ड जीडीसी के खेल मैदान के पास बनने वाले पोस्ट मैट्रिक होस्टल का आॅर्डर चौंकाने वाला है। 26 अप्रैल को एससी/एसटी की छात्राओं के लिए 15 हजार स्क्वेयर फीट पर 60 सीटर नए होस्टल के निर्माण का आदेश निकाला गया।

इसमें होस्टल की जगह पहले न्यू जीडीसी लिखी थी, लेकिन बाद में इसके ‘न्यू’ पर व्हाइटनर लगा दिया गया, जिससे यह ओल्ड जीडीसी बन गया। कॉलेज की प्रतिलिपि भी हाथ से नाम लिखकर भेजी है। पत्र कलेक्टर पी. नरहरि के हस्ताक्षर का है, लेकिन कांट-छांट में उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। उधर, कॉलेज को अपना होस्टल बनाने की स्वीकृति मिली है, लेकिन उसके स्थान पर कॉलेज को सूचित किए बगैर दूसरा होस्टल बनने लगा है। अब कलेक्टर ने सभी बातों से इनकार करते हुए होस्टल का काम रोक दिया है। दूसरी ओर कॉलेज में यूजीसी की मदद से खेल मैदान व एथलेटिक्स ट्रैक बनना है। अगर यह होस्टल बना तो वह पूरी तरह नहीं बन पाएगा।

नक्शे पर भी सवाल
कॉलेज प्रशासन को भी इस निर्माण की जानकारी नहीं दी गई है। पिछले दिनों जब इस पर बवाल मचा , तब परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) के अधिकारियों ने यह पत्र और नक्शा कॉलेज को सौंपा। कॉलेज के अनुसार नक्शे में इसके आसपास गार्डन बताए गए हैं, साथ ही कर्बला का भी नाम नहीं लिखा है। इससे यह किसी अन्य स्थान का हो सकता है। वही नक्शे में कही कॉलेज का नाम नहीं लिखा है।

खुद का समझ रहे थे
कॉलेज को यूजीसी से स्वयं का होस्टल बनाने की अनुमति मिल चुकी है। इसके लिए 40 लाख रुपए भी कॉलेज पीआईयू को ट्रांसफर भी कर चुका है। कॉलेज समझ रहा था कि इस होस्टल का निर्माण हो रहा है, लेकिन जब बड़ा काम शुरु हुआ तो माथा ठनका और शिकायतें कीं।
 
कलेक्टर की साइन नहीं
इस पत्र में बड़ी खामी है। ओल्ड जीडीसी में यह होस्टल बनना है, लेकिन कलेक्टर के पत्र में यह नाम नहीं लिखा है, बल्कि शासकीय महाविद्यालय राऊ लिखा है। बाद में इसे काटकर ओल्ड जीडीसी इंदौर हाथ से लिखा गया है, इस करेक्शन में भी कलेक्टर की साइन नहीं है, जबकि शब्द को हटाने या जोड़ने पर संबंधित अधिकारी की साइन जरूरी है।

बाद में चुनी जगह
राज्य शासन द्वारा होस्टल निर्माण की स्वीकृति दी गई है और भूमि का चयन कलेक्टर द्वारा परियोजना क्रियान्वयन इकाई के कार्यपालन यंत्री द्वारा किया जाता है। संभव है होस्टल की स्वीकृति के बाद किसी भी गवर्नमेंट कॉलेज की जमीन पर यह बनाने का निर्णय लिया गया हो।

हमने मामले में आपत्ति ली है
कॉलेज को कोई सूचना नहीं दी गई है। यहां कोई निर्माण करना है तो प्रमुख सचिव से स्वीकृति ली जाती है। इसके साथ ही कॉलेज का नाम व नक्शे में भी कई पेंच हैं। हमने आपत्ति उठाई है।
- डॉ. माधुरी पटेरिया, प्रभारी प्रिंसिपल-
 ओल्ड जीडीसी

दो विभागों के बीच का मामला

होस्टल शासन की योजना के अंतर्गत बन रहे हंै। ऐसा नहीं होता है कि कहीं भी कोई निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाए। हमने अभी काम रोक दिया है और पहले मैदान का मेजरमेंट करने को कहा है। यह दो विभागों के बीच का मामला है, जिसे सुलझाने का काम हमारा है।
 - पी. नरहरि, कलेक्टर - इंदौर

जल्दी ही सुलझा लेंगे
हमें जमीन चयनित करने को कहा गया था। हमने सूचना दी थी, लेकिन कॉलेज ने इनकार कर दिया है। अब यह मामला अपर लेवल पर चल रहा है । यह समस्या जल्द सुलझा ली जाएगी।
- आनंद राणे, कार्यपालन यंत्री, पीआईयू

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