रफी मोहम्मद शेख इंदौर। राऊ स्थित इंस्टिट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड साइंस आईपीएस एकेडमी में रैगिंग का आरोप लगा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की रैगिंग के लिए अधिकृत वेबसाइट पर हुई शिकायत में संस्थान के सीनियर्स द्वारा इंदौर और प्रदेश से बाहर के विद्यार्थियों को छांटकर उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की बात कही गई है। उधर, कॉलेज ने शिकायतकर्ता छात्र के संस्थान में ही नहीं होने की बात कह रैगिंग से इनकार किया है।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर आॅनलाइन हुई शिकायत में राजा हसन ने बताया है कि कॉलेज में सीनियर्स द्वारा जूनियर विद्यार्थियों को कैंपस के अंदर और बाहर प्रताड़ित किया जाता है। यह प्रताड़ना केवल मानसिक रूप से ही नहीं होती है, बल्कि शारीरिक रूप से भी मारपीट की जाती है। शिकायतकर्ता हसन ने अपने भाई के साथ ऐसा होने का दावा किया है।
...तो कौन आएगा यहां पढ़ने
शिकायत में बताया गया है कि इंदौर और प्रदेश की शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान है, लेकिन रैगिंग करने वाले सीनियर्स खास तौर पर यह देखते हैं कि कौन विद्यार्थी इंदौर और प्रदेश के बाहर का है। उन्हें ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है। सीनियर का इतना खौफ है कि किसी जूनियर की उनके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत नहीं होती है। उसने कहा है कि अगर ऐसा चलता रहा तो मध्यप्रदेश में कोई विद्यार्थी पढ़ने आएगा ही नहीं। आईपीएस की घटना पूरे प्रदेश पर प्रभाव डालती है।
हसन सरनेम का विद्यार्थी है ही नहीं
शिकायत के बाद यूजीसी की रैगिंग विंग ने कॉलेज को इस मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा है। साथ ही कॉलेज का मामला माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी को भी भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि यह कॉलेज आरजीपीवी के अंतर्गत आता है। कॉलेज ने अपने जवाब में बताया है उनके यहां पर फर्स्ट ईयर में हसन सरनेम का कोई विद्यार्थी है ही नहीं। साथ ही इस साल का नया सत्र ही 22 अगस्त से शुरू होने की बात कह 23 अगस्त को हुई इस शिकायत को झूठा बताया है। उन्होंने सीनियर विद्यार्थियों के 29 अगस्त से कॉलेज में आने की बात कही है। साथ ही यूनिवर्सिटी भी दूसरी होना बताया है।
देश में दूसरे स्थान पर प्रदेश
भले ही रैगिंग के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सजा का प्रावधान है, लेकिन यह मामले कम नहीं हो रहे हैं। रैगिंग की शिकायतों के मामले में इस साल मध्यप्रदेश देश में उत्तरप्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। अब तक ही 38 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। पिछले सालों में भी प्रदेश टॉप थ्री में रहा है। हालांकि इसमें से अधिकांश शिकायतें गलत साबित हुई हैं। पिछले आठ साल के कुल मामलों की संख्या भी प्रदेश में 382 है जो कुल मामलों के हिसाब से उप्र और प. बंगाल के बाद तीसरे स्थान पर है।