विनोद शर्मा भोपाल। टॉप एन टाउन आइसक्रीम ब्रांड वाले रमानी परिवार ने चैरिटी को टैक्स चोरी का धंधा बना दिया है। 1970 में मधु आइसक्रीम के नाम से आइसक्रीम का कारोबार शुरू करने वाले रमानी परिवार ने 2007 में रायसेन रोड पर कोकता बायपास से लगी 15 एकड़ जमीन ट्रिनिटी इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की थी। यहां विद्यार्थियों की संख्या और फीस कम बताकर स्टाफ के साथ ही खर्चे ज्यादा बताए जाते हैं, ताकि टैक्स कम चुकाना पड़े। इसका खुलासा मंगलवार से जारी इनकम टैक्स की छापेमार कार्रवाई में भी हो चुका है।
दो तरह के रजिस्टर
इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग ने रमानी आइसक्रीम के साथ इंस्टिट्यूट में भी दबिश दी। कार्रवाई में पता चला कि कॉलेज में दो तरह के अटेंडेंस रजिस्टर हैं। एक में स्टाफ की वास्तविक संख्या है और उन्हीं के आधार पर एक अन्य वेतन रजिस्टर भी है। दूसरे रजिस्टर में स्टाफ की संख्या और वेतन भी दोगुना ज्यादा दर्ज है। इसके लिए रजिस्टर में ऐसे कई लोगों के नाम हैं, जिनका कोई वजूद नहीं है।
रीयल एस्टेट के धुरंधर खिलाड़ी
रीयल एस्टेट का काम विजय रमानी देखते हैं। अयोध्यानगर के पास परिवार की एक टाउनशिप है, जहां मंदी के बीच भी फटाफट फ्लैट बिक गए। समूह ने हरदा में भी कॉलोनी काट रखी है।
कर्मचारियों ने छिपाए थे कम्प्यूटर
ईशान बिल्डर के आॅफिस पर जब रेड हुई तो वहां कर्मचारियों ने दो कम्प्यूटर एक कार में छिपा दिए थे। इनमें रमानी परिवार की काली कमाई का कच्चा चिट्ठा है। डिप्टी डायरेक्टर इनकम टैक्स सन्नी कछवाह ने सिस्टम पकड़े और डाटा रिकवर किया।
परिवार के लोगों को ही बना दिया प्रोफेसर
कॉलेज में खर्च ज्यादा खर्च दिखाने के लिए प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर की संख्या भी दोगुनी बताई गई है। ये फर्जी प्रोफेसर रमानी परिवार या रिश्तेदार हैं, जिन्हें हर महीने मोटा वेतन मिलता है।
डबल इंट्री सिस्टम
कॉलेज में बच्चों की संख्या दो तरह से दर्ज है। एक वास्तविक और दूसरी कम जो सरकारी विभागों के लिए है। जैसे यदि 100 बच्चे हैं तो आॅन रिकॉर्ड 60 ही बताए जाते हैं। ज्यादातर फीस नकद ली जाती है। ऐसे में 40 बच्चों की फीस जो कि 60 हजार/सालाना से ज्यादा है सीधे संचालकों की जेब में जाती है।
प्रॉफिट 35 प्रतिशत, बताया चार
समूह ने अपना नेट प्रॉफिट चार प्रतिशत बता रखा है, जबकि कार्रवाई के बाद आयकर अधिकारियों का अनुमान है कि नेट प्रॉफिट 35 प्रतिशत तक है। अंतर सीधा 31 प्रतिशत का है, जो काली कमाई है। एक कंपनी से कॉलेज में चैरिटी करके इनकम टैक्स की छूट ले लेते हैं और कॉलेज की कमाई में चैरिटी बताकर उससे भी छूट ले लेते हैं।
रमानी के खिलाफ वॉरंट जारी
कार्रवाई के दौरान फरार हुए विजय रमानी का अब तक पता नहीं चला है। परिवार के लोग उसे कभी बैंकॉक में बताते हैं, कभी कहीं। जांच में सहयोग न मिलने की स्थिति में इनकम टैक्स ने एसपी के नाम विजय का वॉरंट आॅफ प्रोडक्शन जारी कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब विजय को इनकम टैक्स के सामने पेश करने की जिम्मेदारी एसपी, भोपाल की होगी। वॉरंट के बाद रमानी बंधु का रुख बदला है और वे जांच में सहयोग कर रहे हैं।