अनूप सोनी इंदौर। इंदौर-सराय रोहिल्ला-इंदौर ट्रेन में महिला और दिव्यांग कोच नहीं होने से करीब एक महीने से यात्री परेशान हैं। खास बात यह है यात्रियों की अधिक सुविधाएं देने के लिए ट्रेन के रूट और इसके कोच में हाल ही में बदलाव किया गया था। इसके तहत ट्रेन से पुराने आईसीएफ रैक हटाकर नए एलएचबी कोच लगाए गए हैं। इससे कोच में बर्थ की संख्या भी बढ़ गई है। साथ ही इसे हजरत निजामुद्दीन से बढ़ाकर सराय रोहिल्ला तक चलाया जा रहा है। इन सबके बावजूद रेलवे महिलाओं और दिव्यांगों के बड़े और जरूरतमंद वर्ग को भूल गया और ट्रेन से इनके लिए आरक्षित कोच को हटा दिया गया। इससे इन वर्गों के सैकड़ों यात्रियों को हर दिन जनरल कोच में सफर करना पड़ रहा है।
स्टेशन पर रहती है विशेष व्यवस्था
दिव्यांगों और बुजुर्ग यात्रियों के लिए हर स्टेशन पर विशेष व्यवस्था रहती है। उनके लिए एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर जाने के लिए अलग पाथवे बनाया जाता है। पार्किंग से ट्रेन तक जाने के लिए उन्हें व्हील चेअर भी मुहैया कराई जाती है।
यह ट्रेन लगभग हर दिन इंदौर, दिल्ली और निजामुद्दीन स्टेशन से फुल रवाना होती है। कई यात्रियों को अपना टिकट वेटिंग में होने के कारण कैंसल करवाना पड़ता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि महिलाओं और दिव्यांगों को कितनी मुसीबते आती है
चार से घटाकर तीन कर दिए सामान्य कोच
इस ट्रेन में पहले दो-दो सामान्य कोच आगे और पीछे रहते थे। पिछले हिस्से के दो सामान्य कोच में से एक आधा महिलाओं और आधा दिव्यांगों के लिए आरक्षित रहता था, लेकिन जब से इसमें आधुनिक कोच लगे हैं तब से सामान्य कोच की संख्या घटाकर तीन कर दी गई है। दो आगे और एक पीछे। इससे साफ है कि रेलवे अधिकारियों को शायद महिलाओं और दिव्यांगों की कोई चिंता नहीं है।
रतलाम मंडल ने लिखा पत्र
यह ट्रेन दिल्ली मंडल के तहत आती है। इसमें इतनी बड़ी भूल और यात्रियों को हो रही परेशानी को लेकर रतलाम मंडल के अधिकारियों ने एक पत्र भी लिखा है। इसमें मांग की गई है कि ट्रेन में महिला और दिव्यांग कोच जोड़ा जाए।
पत्र लिखा है
यह बात सही है कि ट्रेन में महिला और दिव्यांग कोच नहीं जुड़ा है। इससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। इस संबंध में हमने पत्र लिखा है।
- जीतेंद्र कुमार जयंत, सीनियर पीआरओ, पश्चिमी रेलवे