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मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की अटेंडेंस होगी आॅनलाइन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 28 2016 10:46AM | Updated Date: Aug 28 2016 10:46AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में चल रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया ने कमर कस ली है। एमसीआई अब पूरी तरह डिजिटल होने जा रहा है। इसके लिए उसने डिजिटल मिशन मोड प्रोजेक्ट (डीएमएमपी) लांच किया है। सबसे पहले देशभर के 439 मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले फैकल्टी और काम करने वाले स्टाफ की अटेंडेंस आॅनलाइन की जाएगी, जिसकी मॉनिटरिंग दिल्ली स्थित एमसीआई के मुख्यालय से होगी। प्रोजेक्ट अगले छह महीने में पूरी तरह शुरू हो जाएगा।

सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा मेडिकल कॉलेज अपने यहां फैकल्टी व स्टाफ की नियुक्ति में करते हैं। एमसीआई जब मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए निरीक्षण करती है तो कॉलेज अपने यहां पूरे फैकल्टी बताते हैं लेकिन उनके जाने और मान्यता मिलने के बाद इन्हें हटा देते हैं। खासतौर पर प्राइवेट कॉलेजों में यह शिकायत लगातार आ रही है।

स्पेशल विंग करेगी मॉनिटरिंग
यह फर्जीवाड़ा रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (आईएफआईडी) के अंतर्गत बॉयोमेट्रिक मशीन से अटेंडेंस ली जाएगी। यह मशीन इंटरनेट फ्रिक्वेंसी से जुड़ी रहेगी। दिल्ली में बैठी एक स्पेशल विंग किसी भी कॉलेज में प्रतिदिन कितने फैकल्टी या स्टाफ आया, देख पाएंगे।

सर्वर में होगा पूरा डाटा
एमसीआई प्रोजेक्ट के शुरू होने के पहले सारे मेडिकल कॉलेजों के फैकल्टी और स्टाफ का डाटा आॅनलाइन करने काम अगले महीने से शुरू करेगी। इसे मुख्यालय स्थित सर्वर में रखा जाएगा। न केवल फैकल्टी बल्कि देशभर में काम कर रहे रजिस्टर्ड डॉक्टर्स का आधार कार्ड की तरह वन कंट्री वन रजिस्ट्रेशन का प्रोजेक्ट भी शुरू होगा। इसमें डॉक्टर्स को एक डिजिटल कार्ड इश्यू किया जाएगा, जो उनकी यूनिक पहचान होगा।

कॉलेजों में नोडल आॅफिसर

एमसीआई ने इस प्रोजेक्ट के लिए 45 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसके लिए दो कंपनियों को ठेका दिया गया है जो इसका पूरा काम देखेंगी। एमसीआई ने देशभर के मेडिकल कॉलेजों को पत्र भेजकर अपने यहां के एक फैकल्टी को नोडल आॅफिसर बनाने को कहा है, जिससे एमसीआई सीधे संपर्क में रहेगी।

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