मुकेश मुवाल इंदौर। तुम लोगों को पोस्टमार्टम जैसे गंभीर मामले की जानकारी नहीं है और ऊपर से शव परीक्षण फॉर्म ऊल-जुलूल भरते रहते हो। बाद में हमें (डॉक्टर) और मृतकों के परिजन को परेशान होना पड़ता है। जब पता है कि दुर्घटना में मौत हुई है तो फॉर्म में कुछ भी लिखकर क्यों सनसनीखेज बना रहे हो? ... और तुम्हें ऊपर के फॉर्म से मतलब है। जरा देखो नीचे कार्बन से उकरे अक्षर कितने धुंधले हैं, तुम ही पढ़कर बताओ मुझे। आप भाई साहब कौन से थाने से हैं? जवाबदेह बनकर हस्ताक्षर तो कर दिए, लेकिन अपना पूरा नाम लिखने में डर लगता है या शर्म आती है? ऐसे काम नहीं चलेगा। लो ऐसे भरो फॉर्म और लिखो कि... ।
ये फटकार गुरुवार दोपहर पीएम रूम में शवों के बीच बैठे फोरेंसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अनिल हुंडा ने उन पुलिसकर्मियों को लगाई, जो पीएम कराने एमवाय अस्पताल पहुंचे थे। कहने को विभाग में लंबा समय बिता चुके और कई पीएम करा चुके इन पुलिसकर्मियों के कांधे पर स्टार लग गए, लेकिन शव परीक्षण फॉर्म भरने में इन्होंने छोटी-मोटी गलतियां की तो डॉक्टर ने उन्हें फटकारा, बल्कि गलतियां भी हाथोहाथ दुरुस्त करार्इं। डॉ. हुंडा की फटकार से औसतन रोज दो-तीन पीएम कराने वाले अस्पताल चौकी के पुलिसकर्मी भी नहीं बच सके।
केस-1
देवास में हाल ही में हुए सड़क हादसे में घायल एसआई कमलसिंह डाबी की मौत के बाद एमआईजी थाने के एएसआई एचएच कुरैशी पीएम के लिए पहुंचे थे। उन्होंने शव परीक्षण फॉर्म भरकर भिजवाया, जिसे पढ़ते ही डॉ. हुंडा भड़क गए। वे कुरैशी को फटकारते हुए बोले कि सड़क हादसे के सामान्य मामले में मौत के कारण को लेकर कोई संशय नहीं है, उसमें तुमने लिखा कि मृतक के कपड़े सुरक्षित रखे जाएं। क्यों... मामले को सनसनीखेज बना रहे हो? इस लाइन को तत्काल काटो। एएसआई कुरैशी को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने उक्त लाइन काटने में ही भलाई समझी।
केस-2
पारसी मोहल्ले के पीछे महादेव घाट के नाले से संयोगितागंज पुलिस ने नवजात का शव बरामद किया था। इसके पीएम के लिए थाने के एएसआई एन. कुजूर अस्पताल पहुंचे थे। उनका भरा फॉर्म डॉ. हुंडा तक पहुंचा तो उन्होंने कुजूर को बुलाकर कहा कि तुमने जो फॉर्म भरा, उसमें सिर्फ ऊपर लिखा ही समझ में आ रहा है। प्रतिलिपि में लिखी बात तो कार्बन हलका होने से समझ नहीं आ रही। जब भी पीएम के लिए आओ, किसी दुकान से दो रुपए का कार्बन ले लिया करो, ताकि समझ तो आए कि तुमने लिखा क्या है। तुम तो फॉर्म भरकर मुक्त हो गए, कोई बात बिगड़ गई तो जवाब तो हमें (पीएम करने वाले डॉक्टर) को देना होगा। कुजूर आगे से ध्यान रखने का कहकर निकल गए।
केस-3
तेजाजी नगर क्षेत्र में झुलसने से हुई वृद्धा परमादेवी शुक्ला की मौत में शव परीक्षण की खानापूर्ति के बाद एसआई एमएस चौहान ने अंत में फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दिए। फॉर्म डॉ. हुंडा के पास गया तो उन्होंने चौहान को फटकारा कि हस्ताक्षर कर दिए, वो तो ठीक, पर पूरा नाम तो लिख देते। भई, हमें फॉर्म पढ़कर ये तो पता लगे कि पीएम कराने आए अफसर कौन हैं? सालों विभाग में बिताने के बाद भी इतना तो सीखा ही होगा कि कहीं एक जगह तो आपका पूरा नाम आना चाहिए। बाद में चौहान ने भी वहीं खड़े होकर फॉर्म पर पूरा नाम और अन्य जानकारी लिखी।