अनिल धारवा इंदौर। प्रशासनिक संकुल में पांच-दस साल में कलेक्टर से लेकर तहसीलदार बदल गए, लेकिन कई बाबू और कर्मचारी अब तक जमे बैठे हैं। इनका तबादला करने की सूची कई बार बनाई गई, लेकिन फाइलों में दफन होकर रह गई। अब फिर पूरे प्रदेश में तबादलों को लेकर प्रशासनिक सर्जरी हो रही है तो प्रशासनिक संकुल के मुखिया ने भी यहां की सूची बनाना शुरू कर दी है। अब देखना है कि अफसरों पर भारी पड़ने वाले इन बाबुओं और कर्मचारियों का तबादला होता है या सूची फाइलों में गुम हो जाती है।
ज्ञात हो कि कलेक्टर पी. नरहरि ने शहर में जनता की सुविधाओं को ध्यान में रख इंदौर तहसील को पांच से आठ भागों में बांटा था। तब एसडीएम और तहसील कार्यालय में कर्मचारियों की सीट में भी बड़ा बदलाव किया, लेकिन 2009 से 2013 तक जमे इन बाबुओं को हटाया नहीं गया।
...इसलिए अफसर असहाय
बाबुओं को अफसर इसलिए नहीं हटा पाते, क्योंकि कोर्ट केस के साथ कई महत्वपूर्ण फाइलों की जानकारी इन बाबुओं को होती है। वहीं, बाबुओं की एक लॉबी भी सक्रिय है, जो महत्वपूर्ण जगह पर अन्य कर्मचारियों को बैठने नहीं देती।
दो में हुआ फेरबदल
हालांकि 27 बाबू जो लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे थे, उनमें से स्थापना शाखा में 2012 से जमे बैठे चंद्रभूषण संपाल को लाइसेंस शाखा और जून 2011 से जमे विजय खरे को लाइसेंस शाखा से स्थापना शाखा में भेजा गया है।