कृष्णपाल सिंह इंदौर। यशवंत सागर के नए डेम में बड़े-बड़े लीकेज हो चुके हैं। मात्र चार साल पहले पूरे हुए इस महत्वपूर्ण निर्माण में इतनी बड़ी खामी समझ से परे है। हालत यह है कि दरारों से पानी सिर्फ रिस नहीं रहा है, बल्कि फव्वारे की तरह धार बनकर बह रहा है। ऊपर से जिम्मेदारों को इस बारे में पता तक नहीं है। इतनी बड़ी चूक इसके निगरानी और मेंटेनेंस करने वालों को भी कटघरे में खड़ा कर रही है। इसे शीघ्र ही दुरुस्त किया जाना होगा, वरना यह किसी बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकता है।
दबंग दुनिया जब मौके पर पहुंचा तो पाया कि डेम के गेट नंबर एक, पांच और छह में कई लीकेज हैं। शहर के पश्चिमी हिस्से को तालाब से रोजाना 30 एमएलडी पानी मिलता है। ऐसे में इस लीकेज से रोजाना हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। गौरतलब है कि गर्मी में तालाब में पानी कम होने की वजह से शहर के पश्चिम क्षेत्र को पूरे एक महीने पानी के लिए तरसना पड़ा था।
एनओसी के साथ ही कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी दे दिया कंपनी को
यशवंत सागर का नया डेम जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत 2011-12 में बनकर तैयार हुआ। 32 करोड़ रुपए की लागत से बना यह डेम करीब 120 मीटर लंबा है। इसे गुजरात की इंडियन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था। तब प्रोजेक्ट अधिकारी दीपक रत्नावत और सहायक यंत्री एमके खरे थे। तत्कालीन अधीक्षण यंत्री शिंदे ने बांध का एनओसी के साथ ही कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड सिर्फ डेढ़ साल का था, जिसके तहत इसकी मरम्मत का काम होना था। यह पीरियड भी खत्म हो चुका है। सिर्फ चार साल में ही डेम में बड़े लीकेज होना किसी बड़ी गलती की ओर इशारा करता है। यहां का पानी उज्जैन के गंभीर डेम तक जाता है। इसकी जद में बदरखा, मिर्जापुर, अरण्य सहित अन्य कई गांव आते हैं। विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया कि स्थिति गंभीर है और मामले में तत्काल सुधार किए जाने की जरूरत है।
जिम्मेदारों को भी दबंग ने बताई हकीकत
जलकार्य समिति प्रभारी बलराम वर्मा को इस हकीकत से दबंग दुनिया ने ही रूबरू कराया। जब उन्हें पता चला कि खतरा इतना बढ़ चुका है, तो उन्होंने इसे बड़ी लापरवाही माना और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही।
एक्सपर्ट व्यू
अतुल सेठ, इंजीनियर
यशवंत सागर डेम में लीकेज का मतलब?
- तालाब में लीकेज दिख रहे हैं उसमें पानी की धार प्रेशर से लगातार निकल रही है, जो वास्तव में एक चेतावनी है।
आपके हिसाब से लीकेज का कारण क्या है?
- निश्चित ही निर्माण में क्वालिटी की कमी रही है। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया।
अब क्या किया जाना चाहिए?
- पहले पता करें कि गलती कहां हुई। फिर पानी की मात्रा और खतरे की आशंका का आंकलन किया जाना चाहिए। इसी हिसाब से इसे दुरुस्त करने के लिए सही तकनीक का इस्तेमाल हो।
पानी का लेवल बढ़ने से क्या जोखिम और बढेगा?
- फिलहाल तालाब में पानी उसकी पूरी क्षमता पर है। इस कारण प्रेशर भी अधिकतम है। इससे ऊपर पानी नहीं जाएगा। आंतरिक तौर पर क्लाउंटिंग को बंद किया जाना चाहिए।