रफी मोहम्मद शेख इंदौर। प्रदेश की यूनिवर्सिटीज में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के पद अगर पहले से स्वीकृत नहीं हुए तो उन्हें उच्च शिक्षा विभाग मान्यता नहीं देगा। इस संबंध में विभाग ने प्यून से लेकर प्रोफेसर्स तक की पूरी जानकारी अब तक नहीं मिलने पर उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने यूनिवर्सिटी के कुलसचिवों पर गुस्सा निकाला है। उन्होंने आधी-अधूरी जानकारी पर सीधे लताड़ लगाते हुए कुलसचिव को कहा है कि वे उनके भेजे पत्र खुद पढे और उसके बाद जानकारी भेजें।
उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आशीष उपाध्याय ने पद संभालने के बाद से ही प्रदेश की यूनिवर्सिटीज पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उन्होंने यूनिवर्सिटीज में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति का ब्योरा मांगा है। साथ ही यह भी जानकारी मांगी है कि यह नियुक्ति किस डिपार्टमेंट में कब हुई है और इसके लिए किससे अनुमति ली गई है?
स्वीकृत आदेश भेजें
प्रमुख सचिव ने खास तौर पर यूनिवर्सिटी में सभी प्रकार से और सभी कैडर की जानकारी के साथ उनके स्वीकृत आदेश अनिवार्य रूप से भेजने को कहा है। इससे विभाग यह निश्चित करेगा कि यह पद सक्षम प्राधिकारी और अनुमतियों के बाद ही भरा गया है या नहीं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विभाग इसे मान्य नहीं करेगा। वर्तमान में प्रमोशन से लेकर नियुक्ति तक में बिना स्वीकृत आदेश से बने कुछ पदों को शासन बनाना चाह रहा है, क्योंकि अधिकांश स्थान पर ऐसे पद स्वीकृत नहीं हैं। अब शासन ने साफ कर दिया है कि बिना अनुमति से हुई नियुक्तियों में ऐसा नहीं किया जा सकेगा।
निशाने पर लिया
यूनिवर्सिटीज को इसके लिए 15 दिन का समय दिया गया था, लेकिन अधिकांश ने केवल यह जानकारी भेजी कि कितने पदों पर कितने शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन उन्होंने स्वीकृत आदेश की फोटोकॉपी नहीं भेजी। हाल ही में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव ने इस मामले में कुलसचिवों को निशाने पर लिया। जब कुलसचिवों ने कहा कि उन्होंने आदेश में ऐसा नहीं लिखा था तो साफतौर पर निर्देश जारी किए कि जब आदेश उनके लिए जारी किए गए तो वे खुद आदेश पढ़ा करें न कि अन्य कोई। साथ ही चेता भी दिया कि अगर जानकारी एक हफ्ते में नहीं भेजी गई तो प्रस्तावित नीति में ऐसे पदों का निर्माण करना संभव नहीं होगा।
नौकरी लग सकती है दांव पर...
उच्च शिक्षा विभाग के पास यूनिवर्सिटी में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के बिना स्वीकृत पद के विरुद्ध कार्य करने की कई शिकायतें पहुंची है। इसमें नियुक्तियों में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करना भी है। ऐसी नियुक्तियां देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में भी है जो स्वीकृत किए गए पदों के खिलाफ हुई हैं। अधिकांश मामलों में ऐसे पदों पर नौकरी कर रहे लोगों का हटना तय है। वहीं कुछ मामलों में लंबी नौकरियां हो जाने के बाद विभाग ने ऐसे पदों के निर्माण करना तय किया है ताकि सालों से कार्यरत कर्मचारी स्थाई रूप से इस पर बने रह सकें लेकिन कुछ मामलों में ऐसे पदों को अमान्य भी किया जाएगा और नियुक्ति को नहीं माना जाएगा।