राजेंद्र खंडेलवाल इंदौर। फूड सैफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी आॅफ इंडिया ने सोमवार को देशभर में चांदी के वरक में जानवरों के अंश मिलाने पर रोक लगा दी लेकिन इंदौर में चांदी के वर्क को बनाने में मवेशियों की आंतों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे लेकर अर्से से आंदोलन चल रहा है। हाई कोर्ट में याचिका के अलावा, कथाओं में संतों ने चांदी का वरक चढ़ी मिठाइयों के बहिष्कार को लेकर भी लोगों से संकल्प लिया है। खजराना मंदिर में सिद्धी विनायक गणेश समेत अन्य प्रतिमाओं पर वर्क चढ़ाना कई वर्षों से बंद किया जा चुका है।
ये आदेश दिया है एफएसएसएआई ने
एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी आॅफ इंडिया) ने सोमवार को एक आदेश जारी कर चांदी के वरक निर्माण में गोवंश का अंश मिलाने पर रोक लगा दी। रोक इसलिए लगाई कि चांदी के वरक को पतला करने के लिए गाय और भैंसों की आंतों का इस्तेमाल किया जाता है। जांच के दौरान ये पाया गया कि ये जानवरों के साथ क्रूरता और उपभोक्ताओं के लिए हेल्थ रिस्क है।
आसपास के जिलों में भी जाता है
आमतौर पर इंदौर में रोजाना करीब 50 किलो चांदी वरक का काम हो रहा है लेकिन त्योहारों के मौसम में इंदौर में मात्रा बढ़कर 80 किलो या अधिक भी हो जाती है। इंदौर में बनी चांदी की वरक का कारोबार आसपास के जिलों और कस्बों तक होता है। चांदी का वर्क बनाने का काम खजराना, जूना रिसाला, चंदन नगर समेत कुछ घने इलाकों में होता है और मारोठिया, सियागंज, जवाहर मार्ग समेत अनेक इलाकों में थोकभाव में उपलब्ध है। गली-मोहल्लों में किराना दुकानों पर रंगीन कागज में लिपटी चांदी का वर्क आसानी से मिल जाता है।
इस तरह बनता है चांदी का वरक
चांदी को गाय या भैंस की आंतों के बीच दबाकर रखा जाता है और लगातार आठ घंटे तक उसे पीटा जाता है। इसके बाद वो बेहद पतली हो जाती है। फिर इसे कागज में सावधानी से लपेटकर बाजार में बेचा जाता है।
इस तरह रुका उपयोग लेकिन..
करीब छह साल पहले गोसेवा भारती से जुड़े कैलाश खंडेलवाल मावावाला, पेटा से जुडेÞ डॉ. सुधीर खेतावत आदि ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर अभी सुनवाई जारी है। इसके बाद भागवत कथाओं में संतों-महात्माओं से मुलाकात कर उनसे कथा सुनने आए श्रद्धालुओं को चांदी का वरक लगी मिठाइयों का उपयोग न करने के संकल्प कराए गए। दो वर्ष पूर्व खजराना स्थित मंदिर में सिद्धी विनायक गणेश समेत अन्य प्रतिमाओं पर चांदी का वरक लगाना बंद कर दिया गया। पुजारी सतपाल महाराज के अनुसार, जब पता चला कि वरक को गाय की आंतों में रखकर तैयार किया गया है तो सर्वसम्मति से इस पर रोक लगाई गई जो अब तक जारी है। हालांकि अभी तक एक भी चांदी का वरक निर्माण करने की जगह पर छापामारी नहीं हुई है।
त्योहार आने पर बढ़ेगी खपत
रक्षा बंधन का त्यौहार निकट है। इसके बाद दीपावली तक अनेक त्यौहार आएंगे, जिन पर मिठाई खाने-खिलाने की परंपरा है। जाहिर है कि इस मौके पर चांदी का वर्क लगी मिठाइयां खूब बनाई और बेची जाएंगी। काजू कतली पर वरक तो अनिवार्य सा है। बंगाली समेत कई तरह की मिठाइयों पर वर्क लगाया जाता है। चांदी का वरक बनाने वाले सोहेलभाई का कहना है कि अभी मशीन से वरक बनाने का काम इंदौर में शुरू नहीं हुआ है क्योंकि ये मशीन महंगी है। भविष्य में मशीन खरीदने की तैयारी है।