रफी मोहम्मद शेख इंदौर। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ और देश में अपना नाम रखने वाले आॅटोनॉमस होलकर साइंस कॉलेज में इस बार कटआॅफ 91.8 से गिरकर 57 परसेंट तक जा पहुंचा है। एडमिशन के अंतिम दिन के बाद एक-एक सीट के लिए मारामारी वाले कोर्सेस भी फुल नहीं हो पाए हैं। एमएससी में तो करीब 30 प्रतिशत सीटों पर विद्यार्थी नहीं हैं। कुल मिलाकर 300 से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। वहीं सीटों के कैंसिलेशन के बाद यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो जाएगा। कॉलेज में सालों बाद इतना कम कटआॅफ और खाली सीटों की ऐसी स्थिति आई है। इसके पीछे उच्च शिक्षा विभाग की नीति का दोष बताया जा रहा है।
कॉलेजों की आॅनलाइन एडमिशन की पहली लिस्ट में हमेशा की तरह अपना दबदबा बनाने वाले होलकर साइंस कॉलेज में इस बार बीएससी प्लेन विषय में ही कटआॅफ 91.8 तक जा पहुंचा था। यह कटआॅफ पिछले साल भी 92 प्रतिशत के करीब ही था। बुधवार को जब एडमिशन की कॉलेज लेवल काउंसलिंग खत्म हुई तो स्थिति उलट हो गई। कॉलेज को 57 परसेंटेज वाले विद्यार्थियों को भी एडमिशन देना पड़ा।
भर ही नहीं पार्इं
अंतिम दिन के बाद स्थिति यह है कि बीएससी मैथेमेटिक्स में कुल 160 सीटों में से 34 खाली रह गर्इं। यह वह कोर्स है जो पहली काउंसलिंग में भी पूरी तरह भर गया था। ऐसी ही स्थिति सबसे ज्यादा मांग वाले बीएससी कम्प्यूटर साइंस की भी हुई है। 89.3 प्रतिशत कटआॅफ गिरकर 60 प्रतिशत तक जा पहुंचा और इसमें भी 18 सीटें नहीं भर पार्इं। बीएससी बॉयोटेक में 81 प्रतिशत का कटआॅफ भी 61 पर जा पहुंचा। इसमें भी 78 सीटें नहीं भर पार्इं। ऐसी ही स्थिति बीएससी बॉयो की हुई जहां पर कुल 14 सीटें नहीं भर पार्इं, जबकि इसका कटआॅफ पहली लिस्ट में 85.6 था।
नहीं तो और कम होता
खास बात यह रही कि कॉलेज तो एडमिशन देने के लिए तैयार था, लेकिन विद्यार्थी एडमिशन के लिए पहुंचे ही नहीं। थर्ड काउंसलिंग के बाद बीएससी प्लेन में 45 सीटें खाली थीं, लेकिन केवल 11 विद्यार्थी ही आए। बीएससी कम्प्यूटर साइंस में खाली 95 सीटों पर 77, बॉयोटेक की 90 सीटों पर 22 और बॉयो की 23 खाली सीटों पर नौ विद्यार्थी ही एडमिशन लेने पहुंचे। जितने विद्यार्थी पहुंचे उन सभी का एडमिशन हो गया। आॅटोनॉमस कॉलेज में अधिकांश कोर्सेस में 60 परसेंट से कम पर एडमिशन नहीं देने की शर्त थी, अन्यथा कटआॅफ और भी कम पर चला जाता।
एमएससी की स्थिति खराब
इन कोर्सेस में 185 सीटें खाली रह गई हैं। उधर, एमएससी में तो स्थिति ज्यादा खराब है। कॉलेज की कुल 330 सीटों में से 200 ही भर पार्इं। खाली सीटों की और बढ़ सकती है। इसका कारण टॉपर्स विद्यार्थियों द्वारा एडमिशन कैंसिल कराना है। चूंकि उन्होंने फीस जमा कर दी थी, इसलिए कॉलेज ने उन्हें उसी लिस्ट में माना है। ऐसे एडमिशन 100 से ज्यादा हैं, इसलिए आंकड़ा 450 के करीब पहुंच रहा है। कुल सीटों के हिसाब से यह बड़ा नंबर है।
शासन की गलत नीति
होलकर साइंस कॉलेज की इस स्थिति के पीछे उच्च शिक्षा विभाग की नीति को जिम्मेदार माना जा रहा है। वास्तव में शासन ने इस बार एडमिशन लेने के बाद अगली काउंसलिंग में फिर से रजिस्टर्ड होने की छूट दी थी। इस कारण कई विद्यार्थियों ने न तो एडमिशन लिए और न ही सीटें छोड़ीं। उसके बाद कॉलेज लेवल काउंसलिंग की सूचना भी विभाग ने अंतिम दिन 12.30 बजे दी। इससे विद्यार्थियों को तो पता ही नहीं चल पाया।