रफी मोहम्मद शेख इंदौर। सरकारी कॉलेजों के फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों को स्मार्टफोन देने का प्रदेश सरकार का वादा दो साल बाद पूरा होने जा रहा है। हालांकि इससे पहले ही इसमें बड़ी गड़बड़ सामने आ गई। दो साल में 2.84 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को स्मार्टफोन दिया जाना है। करीब 53 हजार को उपस्थिति कम होने के कारण इससे वंचित कर दिया गया है, लेकिन इनमें से अधिकांश को नियम विरुद्ध परीक्षाओं में शामिल कर लिया गया। उधर, इनमें से अधिकांश ने तो करोड़ों रुपए स्कॉलरशिप लेकर शासन को बड़ी चपत भी लगा दी।
रेग्युलर परीक्षा में बैठ गए
परीक्षा में शामिल होने के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति होना अनिवार्य है। इससे कम उपस्थिति होने पर रेग्युलर फार्म नहीं भरने नहीं दिया जाता वहीं ऐसा विद्यार्थी स्कॉलरशिप के लिए भी पात्र नहीं होता। कॉलेजों ने इन नियमों का पालन नहीं किया।
जिन 53 हजार विद्यार्थियों को स्मार्टफोन इस नियम के कारण नहीं दिया जा रहा है उनमें से अधिकांश ने रेग्युलर परीक्षार्थी के रूप में यूनिवर्सिटी की परीक्षा दे दी है। इस बड़ी गड़बड़ का पता स्मार्टफोन पाने वाले विद्यार्थियों की अंतिम लिस्ट घोषित होने से हुआ। इन विद्यार्थियों में आरक्षित वर्ग के विद्यार्थी भी हैं, जिन्होंने बाकायदा स्कॉलरशिप भी पा ली, जो करोड़ों रुपए में होती है।
प्रदेश सरकार ने सत्र 2014-15 में 1,41,416 विद्यार्थियों को स्मार्टफोन देने की घोषणा की है। इसके लिए 1,54,519 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। इसमें से 13,103 विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति बताकर स्मार्टफोन देने से इनकार कर दिया गया। उधर सत्र 2015-16 में 1,83,627 विद्यार्थियों ने इसके लिए आवेदन किया लेकिन मात्र 1,43,446 विद्यार्थियों को यह देने की घोषणा की गई है। इस प्रकार 40,181 विद्यार्थियों को कम उपस्थिति के कारण स्मार्टफोन नहीं मिलेगा।
कोई जवाब नहीं
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कॉलेजों के पास न तो इस बात का जवाब है और न ही उन्होंने इस ओर ध्यान दिया। वास्तव में कॉलेजों ने अपनी मर्जी से अटैंडेंस बताई है। यहां पर अटैंडेंस के लिए कोई सिस्टम ही नहीं है। वैसे भी यह योजना सरकार ने गवर्नमेंट कॉलेजों में विद्यार्थियों को आकर्षित करने और एडमिशन के बाद सालभर विद्यार्थी पढ़ने आए, इसलिए बनाई थी। अब विद्यार्थी भी इस गड़बड़ी पर प्रश्न उठा रहे हैं।
सबसे ज्यादा इंदौर में
प्रदेश में बांटे जाने वाले कुल स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा 14,134 इंदौर जिले में स्वीकृत हुए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा 4,335 विद्यार्थी भी इंदौर जिले के ही हैं, जो कम उपस्थिति के कारण इससे वंचित रह गए। अन्य जिलों में आलीराजपुर में 390, खंडवा में 369, देवास में 1418, धार में 741, झाबुआ में 552, बड़वानी में 477, खरगोन में 474, शाजापुर में 402 व नीमच में 397 विद्यार्थी ऐसे हैं, जो 75 प्रतिशत उपस्थिति के फेर में तो फंस गए लेकिन परीक्षा में शामिल हो गए।
देखेंगे, कैसे हो गए
फोन अगस्त में देना है। विद्यार्थियों की लिस्ट अपलोड हो गई है। इंदौर में ही चार हजार से ज्यादा को कम उपस्थिति के कारण यह फोन नहीं मिलेगा। अब यह यूनिवर्सिटी की परीक्षा में शामिल कैसे हो गए और स्कालरशिप कैसे मिली, इस बात को देखेंगे।
- डॉ. आरएस वर्मा, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा विभाग