आदित्य शुक्ला इंदौर। माध्यमिक शिक्षा मंडल (भोपाल) ने इस बार बोर्ड परीक्षाओं को लेकर नई व्यवस्था की है। इसके तहत सत्र की शुरुआत से ही एडमिशन के साथ बोर्ड परीक्षा के फॉर्म भी भरवाए जा रहे हैं। इससे जो छात्र नियमित स्कूल जा रहे हैं, वे ही फॉर्म भर सकेंगे जबकि छूटे विद्यार्थियों को प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में फार्म भरना होगा। इससे रेगुलर की अपेक्षा प्राइवेट परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
12 अगस्त तक भरे जाएंगे
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ से ही शुरू कर दी हैं। हालांकि इस प्रक्रिया ने विद्यार्थियों व शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है। फिर भी 12 अगस्त तक छात्रों के परीक्षा फ ॉर्म आॅनलाइन भरे जाएंगे। इसके बाद सभी स्कूल आवेदनों की जानकारी 20 अगस्त तक समन्वय संस्था को देंगे। उसके बाद फॉर्म भरने से छूटने वाले विद्यार्थी दो हजार रुपए विलंब शुल्क के साथ पांच अक्टूबर तक परीक्षा फॉर्म जमा कर सकेंगे। इस अवधि में जो छात्र फॉर्म जमा नहीं कर सकेंगे, वे पांच हजार रुपए विलंब शुल्क के साथ पांच जनवरी तक फॉर्म जमा कर सकेंगे। हालांकि इससे मंडल का ही भला होगा, क्योंकि वह विलंब शुल्क से अच्छी-खासी कमाई करेगा। वहीं इस बार परीक्षा के समय नियमित छात्र के रूप में ज्यादा परीक्षार्थी शामिल नहीं हो सकेंगे। इस कारण प्राइवेट परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ जाएगी।
निजी स्कूलों पर अंकुश
मंडल अधिकारियों का कहना है कि एडमिशन के साथ ही परीक्षा फॉर्म भरने से यह तय हो जाएगा कि वास्तविकता में जो छात्र नियमित स्कूल जा रहे हैं, वे ही रेगुलर की सूची में शामिल हैं। पहले सितंबर के बाद परीक्षा फॉर्म भरने से निजी स्कूल वाले आखिरी दिन तक एडमिशन कर छात्र को नियमित बता देते थे, जिससे मजबूरन मंडल को परीक्षार्थी को नियमित छात्र मानना पड़ता था, लेकिन अब इस नई पक्रिया से निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगेगा।
अब नहीं मचेगा केंद्रों को लेकर बवाल
बोर्ड परीक्षा के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं, उनके मुताबिक रेगुलर और प्राइवेट विद्यार्थियों के परीक्षा केंद्र भी अलग-अलग रहते हैं। प्राइवेट के शासकीय स्कूलों में तो रेगुलर के निजी स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाते हैं। परीक्षा के ऐन मौके पर विद्यार्थियों की संख्या घटने-बढ़ने से केंद्रों को लेकर भी बवाल मचता है। नई व्यवस्था से इसका निराकरण भी होगा।
मान्यता और संबद्धता की जांच
मंडल की बोर्ड परीक्षा के समय अधिकतर स्कूलों को बोर्ड से संबद्धता मिल जाती है, लेकिन जब परीक्षा फॉर्म पहले से ही भर जाएंगे तो परीक्षा के समय परीक्षा केंद्र बनने वाले स्कूलों की मान्यता जांचने के बाद ही संबद्धता दी जाएगी, जिससे स्कूल चयन पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं रहे। इससे छात्रों को भी स्कूल में बेहतर व्यवस्थाएं मिलेंगी।
श्रेणी सुधार को पात्रता नहीं
मंडल की आंचलिक अधिकारी बेला देवर्षि शुक्ला ने बताया कि किसी अन्य बोर्ड या किसी राज्य से 10वीं और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद छात्र मप्र बोर्ड की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा। ऐसे छात्र को श्रेणी सुधार के लिए दोबारा हाईस्कूल व हायर सेकंडरी की परीक्षा में शामिल होने की पात्रता नहीं होगी।