विनोद शर्मा इंदौर। जिला प्रशासन ने जिन दो बहनों की जमीन को वारिसों के अभाव में सरकारी घोषित किया है, उनके खिलाफ द रीयल नायक सहकारी साख संस्था आठ साल में ब्याज सहित साढ़े 24 करोड़ की रिकवरी निकालकर बैठी है। 2010 और 2012 में जारी कोर्ट के वसूली आदेश से संस्था 2012 में ही इनकी अचल संपत्ति का भौतिक कब्जा ले चुकी थी। संस्था का कहना है कि कलेक्टर के आदेश से हमारा कोई लेना-देना नहीं है, हमारा मामला कोर्ट में है जो कुर्की आदेश जारी कर चुकी है।
मामला जेरू मादन व नरगिस मेहता का है। दोनों सगी बहनें 3/3 न्यू पलासिया में रहती थीं। दोनों ने 2002 में अस्तित्व में आई द रीयल नायक सहकारी साख संस्था मर्यादित नंदलालपुरा की सदस्यता ली। 2004-05 में उन्होंने स्वसहायता समूह की महिलाओं के नाम सवा करोड़ रुपए की एफडी की। बचत से चार गुना कर्ज की आरबीआई की नीति के आधार पर संस्था ने इसी साल चार करोड़ रुपए का कर्ज दे दिया। इसी बीच संस्था के अध्यक्ष पद को लेकर दीपक पंवार और रामचंद्र सोलंकी के बीच खींचतान शुरू हुई, तभी वसूली का मामला (0715/2005) 1999 एक्ट में गठित मध्यस्थम परिषद न्यायालय पहुंचा। जहां दोनों बहनों ने कहा अध्यक्ष तय हो जाए फिर पैसा जमा कर देंगे। अभी पैसा किसे जमा कराएं।
मप्र राज्य सहकारी अधिकरण भोपाल ने 6 नवंबर 2006 को अपने आदेश में दीपक पंवार को अध्यक्ष घोषित किया। फिर वसूली का तकादा लगा। दोनों ने बीमारी, संस्था में जमा एफडी और गिरवी रखी संपत्ति का हवाला दिया और कहा ऋण अदा कर देंगे। अदायगी नहीं हुई। 30 दिसंबर 2010 और 2 जून 2012 में मध्यस्थम परिषद न्यायालय ने संपत्ति जब्ती-कुर्की के आदेश पारित कर दिए।
इधर बजावरी, उधर रजिस्ट्री
संस्था ने 8 सितंबर 2015 को जज वीएस रघुवंशी की 42 नंबर कोर्ट में बजावरी प्रकरण लगाया। इस बीच दोनों बहनों के तथाकथित वारिस के रूप में सामने आए जहांगीर पिता दाराशाह मेहता, हिल्लू पिता दाराशाह मेहता, रोशन उर्फ रशीदा पिता गुजोर टेंगरा, केटी सुरेंद्र मेहता पिता रतन शाह, मीनू पिता दर्शन मेहता ने बिल्डर अशोक जैन के नाम 3/3 न्यू पलासिया स्थित 11600 वर्गफीट जमीन की रजिस्ट्री कर दी। संस्था के कब्जा बोर्ड के बाद भी जैन ने कब्जे की कोशिश की। संस्था ने विरोध किया। 9 फरवरी 2016 को तुकोगंज थाने पर शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट ने दर्ज किया जैन के खिलाफ मामला
संस्था ने 10 मार्च 2016 को अशोक जैन और नवाब के खिलाफ परिवाद लगाया। कोर्ट ने धारा 506/504 में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। 294, 457, 427, 120 बी/34 जैसी अन्य धाराओं के तहत जज बीके द्विवेदी की 43 नंबर कोर्ट ने जहांगीर, अशोक और नवाब को नोटिस जारी कर दिए।
मामला विचाराधीन, बना दिया फर्जी आदेश
संस्था को जमीन से दूर करने के लिए जहांगीर और अशोक ने सहकारिता ट्रिब्यूनल में अगस्त 2015 को रिविजन प्रस्तुत की। संस्था के पक्ष में 2012 में जारी बजावरी आदेश की फोटोकॉपी कर नया आदेश बनाया और उसमें इसकी तारीखें बदलकर जुलाई 2015 कर दी। ताकि वसूली के प्रकरण को चुनौती देने के लिए जमा की जाने वाली 25 प्रतिशत राशि से बचा जा सके। 45 दिन के बाद अपील नहीं होती। इसलिए जुलाई का आदेश बनाया और अगस्त में रिविजन लगाई।
420 का मुकदमा ठोका संस्था ने
फर्जीवाड़े की जानकारी मिलते ही संस्था ने जहांगीर और अशोक के खिलाफ 25 जनवरी 2016 को धोखाधड़ी का केस लगाया। 25 मार्च 2016 को जज अमित रंजन समाधिया की कोर्ट ने ट्रिब्यूनल से आदेश की ओरिजनल कॉपी मांगी है। नहीं मिलने पर धोखाधड़ी का केस पंजीबद्ध होगा।