कृष्णपाल सिंह इंदौर। ग्रेटर कैलाश रोड के फुटपाथ पर पसरी फल, सब्जी, और चाइनीज वालों की 63 गुमटियां हटाने के लिए नगर निगम जहां चार दिन से ‘एक्टिंग’ कर रहा है, वहीं पुलिस भी झूठ बोलकर पल्ला झाड़ रही है। निगम का यह तो कहना है कि हमें कार्रवाई को अंजाम देने के लिए पुलिस मदद नहीं कर रही है। निगम का दावा है कि चार दिन पहले पुलिस बल मांगा था, लेकिन कोई मदद नहीं मिली, लेकिन निगम चिट्ठी लिखकर चुप बैठ गया। वहीं पुलिस दो कदम और आगे निकली, उसने साफ कह दिया कि निगम ने हमसे मदद मांगी ही नहीं। वैसे दबंग दुनिया के पास उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक निगम का दावा सही है, लेकिन नीयत पर शक है। तो क्या पुलिस और निगम की इन गुमटी वालों से कोई फिक्सिंग है। थाने से चार कदम दूर चार-छह जवानों के पहुंचने में चार दिन क्यों लग गए और निगम चिट्ठी को और ऊपर क्यों नहीं बढ़ा रहा है?
नगर निगम ने 23 जुलाई 2016 को एक पत्र सीएसपी संयोगितागंज आरसी राजपूत को लिखकर साफ कहा था कि पार्षद और एमआाईसी सदस्य दिलीप शर्मा ने फुटपाथ की दुकानों के खिलाफ शिकायत की है। हमें उन्हें 25 जुलाई को हटाना है। लिहाजा हमें इस दिन सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक बल उपलब्ध करवाएं ताकि विवाद की स्थिति में पुलिस की मदद ली जा सके। 27 जुलाई तक पुलिस जगह से हिली नहीं थी, बल्कि कह रही थी हमसे तो बल मांगा ही नहीं। निगम ने भी उसके बाद चुप्पी साध ली।
ये 63 दुकानें इस क्षेत्र में रहने और यहां से गुजरने वाली दो लाख की आबादी का स्थायी सिरदर्द हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई इस सड़क से रोजाना करीब एक लाख लोग और वाहन आते-जाते हैं, लेकिन इनकी परेशानी समझने के बजाए अफसर, पुलिस और नेता इन 63 को पालने-पोसने में रुचि दिखाते हैं। कालांतर में इन दुकानों को कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं ने पाला और स्थापित करने में मदद की। अब वे नेता तो नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत दोनों पार्टी के दूसरे नेताओं ने संभाल ली है। यही वजह है कि इन दुकानों के खिलाफ कालांतर में शगुन की छुटपुट कार्रवाई होती है और ये फिर यहीं आ विराजती हैं। अब भी निगम की कार्रवाई में पुलिस के असहयोग के अलावा नेताओं का दुकानदारों को सहयोग आड़े आ रहा है। इनमें कांग्रेस के एक पूर्व पार्षद, भाजपा के दो वर्तमान पार्षद सहित कई बड़ों की रुचि है कि इन्हें बख्श दिया जाए। शायद उन्हें जनता से ज्यादा अपने स्वार्थ की चिंता है।
ये चल रहा है अभी...
मामले में निगम की टीम पुलिस फोर्स नहीं मिलने का बहाना बना रही है। 23 जुलाई को पलासिया पुलिस से बल मांगने के लिए पत्र लिखा गया, उसके बाद फॉलोअप नहीं किया। उधर, दुकानदारों ने भी विरोध करते हुए दो दिन से दुकानें नहीं खोली हैं। उन्होंने अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह से मुलाकात कर दस्तावेज बताए।
मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं
अब तक मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिसमें नगर निगम द्वारा पलासिया थाना क्षेत्र में अतिक्रमण की कार्रवाई के लिए पुलिस बल मांगा गया हो।
- आरसी राजपूत (सीएसपी संयोगितागंज)
नहीं मांगा कोई बल
मुझसे कार्रवाई के लिए कोई बल नहीं मांगा गया है। यदि अफसरों का आदेश होगा तो निश्चिततौर पर पुलिस बल उपलब्ध कराया जाएगा।
- राजेंद्र सोनी (टीआई पलासिया)