कृष्णपाल सिंह इंदौर। नौनिहालों के लिए जगह-जगह आंगनवाड़ी बनाने का काम काम राज्य शासन ने नगर निगम को सौंपा है, ताकि जरूरतमंद बच्चों को लाभ मिले। इसके लिए प्रचार-प्रसार कर जमीन तलाशी गई। आंगनवाड़ी निर्माण के लिए सरकार ने 5.43 लाख रुपए भी निगम को दे दिए। इसमें भोपाल मुख्यालय में बैठे अफसरों ने बेहतर स्ट्रक्चर खड़ा करने का दावा किया। जब बात बात निर्माण की आई तो मामला आया-गया हो गया। निगम ने जिस जगह काम करने की इच्छा जताई, वहां नेतागीरी आड़े आ गई। बच्चों के काम में भी कमीशनखोर बाज नहीं आए और उन्होंने पेंच फंसा दिया। इस कारण इसके निर्माण पर संकट खड़ा हो गया, क्योंकि पैसा तो निगम की तिजोरी में है, पर काम करने वाले नहीं मिल रहे।
दो साल में नहीं बन पाई एक भी आंगनवाड़ी
सूत्रों के अनुसार दो साल में एक भी आंगनवाड़ी नहीं बन सकी। इसे लेकर गरीब बस्तियों में आस भी जागी कि उनके बच्चों की देख-रेख आंगनवाड़ी में होगी, लेकिन काम नहीं बना। राज्य सरकार से फंड मिलने के बावजूद नगर निगम काम शुरू कराने में पूरी तरह विफल साबित हुआ। हर बार दस्तावेज बनाए गए, लेकिन किसी ने रुचि नहीं ली। मामले में वरिष्ठ अधिकारियों ने परियोजना अधिकारी एवं कार्यक्रम अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश जारी किए। आनन-फानन में निर्माण की योजना बनाकर जगह चिह्नित की, लेकिन निर्माण नहीं हो सका।
वर्षों से चल रहे यहां प्रयास
रवि नगर मंदिर के पास, चिराड़ मोहल्ला, यादव नगर श्मशान घाट बगीचे के पास, न्यू मालवीय नगर, कृष्णबाग कॉलोनी सीतलामाता मंदिर के पास, संजय गांधी नगर सामुदायिक भवन के पास, जबरन कॉलोनी में सामुदायिक भवन के पास, प्रकाश का बगीचा सामुदायिक भवन के पास। इसके अलावा अन्य कई स्थान चिह्नित किए गए हैं।
इसलिए है खास
बच्चों में कुपोषण दूर करना।
भोजन की गुणवत्ता अच्छी रहे।
बच्चों को दोनों समय का भोजन।
कुपोषित बच्चों का नियमित रूप से वजन।
बच्चों की नियमित रूप से हाजिरी भरी जाए।
च्चों का ग्रोथ चार्ट तैयार करना।
यहां आने वाले बच्चों को घर से लाने एवं छोड़ने की जिम्मेवारी आंगनवाड़ी सहायिका की।
यह मिल चुकी है गड़बड़ी
आंगनवाड़ी केंद्रों पर छह वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के आने की संख्या काफी कम।
कई केंद्रों ने बच्चों को घर ले जाने के लिए दिए जाने वाला टेक होम राशन ही नहीं बांटा।
50 लाख करेंगे खर्च
आंगनवाड़ी में होने वाले कार्यों की मॉनिटरिंग की जाएगी। 50 लाख से ज्यादा खर्च कर आंगनवाड़ियां बनाई जाएंगी। इसके लिए आॅनलाइन निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, ताकि गड़बड़ी न हो।
-देवेंद्र सिंह,
अपर आयुक्त, नगर निगम