29 Mar 2024, 14:35:07 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। कर्जे के नाम पर तीन बैंकों को 125 करोड़ की चपत लगाने वाले अम्बिका सॉल्वेक्स के सर्वेसर्वा कैलाश गर्ग पर तेजाजीनगर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। हालांकि भंवरकुआं पुलिस उसे बचाने के प्रयास में लगी है। शायद इसीलिए 75 लाख की धोखाधड़ी के मामले में पहले हाई कोर्ट के निर्देश पर एफआईआर की और अब 40 लाख चुकाते ही खात्मा लगाने की तैयारी कर दी। वह तो सही वक्त पर पीड़ित ने पुलिस की साजिश भांप ली और आपत्ति लेते हुए खात्मा रुकवाया।

तेजाजीनगर थाना बनने से पहले मुंडला नायता भंवरकुआं थाना क्षेत्र का हिस्सा था। यहां एवलांचा रियलिटी की जमीन पर कटी सैटेलाइट हिल्स (कॉलोनी) में मुनाफे का सब्जबाग दिखाकर गर्ग ने बलराम सचदेव और नागरानी वेयरहाउसिंग को दो दर्जन प्लॉट बेचे थे, जिनका कुल क्षेत्रफल 55 हजार वर्गफीट था। बाद में समाचार-पत्रों से पता चला कि जो प्लॉट उन्हें बेचे गए हैं, उनका सौदा पहले भी किया जा चुका है। जमीन को गिरवी रखकर लोन भी लिया है। विवादों में कौन पड़े, यही सोचकर दोनों ने गर्ग से पैसे मांगे। नहीं मिलने पर 2013 में कोर्ट की शरण ली और कोर्ट आदेश पर 19 दिसंबर 2013 को भंवरकुआं पुलिस ने गर्ग के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा 923/2013 दर्ज कर लिया।

ऐसे की धोखाधड़ी
सैटेलाइट हिल्स की जमीन एवलांचा रियलिटी की थी। डायरेक्टरों ने नारायण अम्बिका इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के नाम 21 अक्टूबर 2011 को पॉवर आॅफ अटर्नी कर दी, जबकि बलराम और नागरानी के डायरेक्टरों के साथ गर्ग ने 30 अगस्त 2011 को 55 हजार वर्गफीट जमीन का एग्रीमेंट किया था। गर्ग ने पीएनबी, कॉर्पोरेशन और यूको बैंक से अगस्त 2010 में 110.50 करोड़ का लोन लिया था, जबकि एवलांचा ने उसके नाम पॉवर आॅफ अटर्नी 14 महीने बाद की थी।

ठगी की रकम दो, तभी जमानत
गर्ग ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में आवेदन किया तो वहां से कहा कि पैसे लौटाओ तभी जमानत मिलेगी। गर्ग ने बलराम सचदेव के 40 लाख रुपए लौटा दिए और उसे जमानत भी मिल गई।

गर्ग के सुर में, पुलिस ने मिलाया सुर
पुलिस ने गर्ग के सुर में सुर मिलाते हुए इन्वेस्टिगेशन के बजाए खात्मा पेश करने की तैयारी कर ली। पुलिस का कहना है कि रकम लौटा दी तो केस भी खत्म हो गया। हालांकि अब तक न सचदेव ने शिकायत वापस ली और न ही नागरानी को 35 लाख रुपए मिले हैं।

ये सवाल मांग रहे जवाब
कौन से एग्रीमेंट से बैंकों ने लोन दिया?
एवलांचा की जमीन गिरवी रख चुके थे तो उन्होंने सचदेव और नागरानी को अगस्त 2011 में प्लॉट क्यों बेचे? जबकि इन्हें पहले बेचा जा चुका था।
उस वक्त गर्ग न एवलांचा में डायरेक्टर थे और न ही नारायण अम्बिका इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के डायरेक्टर थे। फिर भी उन्होंने रजिस्ट्री की, क्यों? दस्तावेजों पर उनके दस्तखत हैं।

ब्याज सहित पैसा दें या प्लॉट दें
525 रुपए/वर्गफीट के हिसाब से कुल सौदा 2 करोड़ 88 लाख 75 हजार रुपए में हुआ था। 75 लाख दे चुके थे, जबकि 40 लाख वापस कर दिए। 35 लाख अब भी जमा है। बचते हैं 2 करोड़ 53 लाख 75 हजार। गर्ग जब चाहे हम उसे पैसा दे सकते हैं या फिर गर्ग हमें हमारा पैसा ब्याज सहित लौटा दे। हम तो यही चाहते हैं, जबकि पैसा मांगने पर वह मारपीट और धक्कामुक्की कर चुका है।
-मुकेश तिवारी, संचालक, नागरानी वेयरहाउसिंग

खात्मे का सवाल ही नहीं
हमने कभी शिकायत वापस नहीं ली है। गर्ग ने जो पैसा लौटाया है, वह जमानत के लिए कोर्ट द्वारा तय की गई शर्त के अनुसार लौटाया है। वह भी मूलधन जो गर्ग ने चार साल इस्तेमाल किए। खात्मे का सवाल ही नहीं उठता, इसीलिए आपत्ति ली है।
-बलराम सचदेव,  पीड़ित

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