रफी मोहम्मद शेख इंदौर। पैरामेडिकल कॉलेजों में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। खुलासा हुआ है कि कई ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा दिला दी गई है, जिनका डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (डीएमएलटी) या डिप्लोमा इन आॅपरेशन रिसर्च (डीओआर) में एडमिशन ही नहीं है। बिना रजिस्ट्रेशन के दिलवाई गई इस परीक्षा के फॉर्म भी फर्जी तरीके से भरे गए हैं। यूनिवर्सिटी ने भी बिना जांच किए ऐसे विद्यार्थियों की परीक्षा तक ले ली। हाल ही में स्कॉलरशिप घोटाले के बाद डीओआर कोर्स में एडमिशन देकर दूसरे कोर्स डीएमएलटी की परीक्षा देने का मामला सामने आया था।
देवी अहिल्या पैरा मेडिकल कॉलेज द्वारा यूनिवर्सिटी को डीएमएलटी और डीओआर में दिए गए एडमिशन की लिस्ट भेजी गई थी। इसके बाद विद्यार्थियों ने परीक्षा फॉर्म भरे। जब एनएसयूआई नेता विकास नंदवाना ने आरटीआई के अंतर्गत यूनिवर्सिटी से इसकी जानकारी निकाली तो नया फर्जीवाड़ा पकड़ में आया।
अक्टूबर-2015 की परीक्षा के लिए भरे फॉर्म-फीस
डीएमएलटी की परीक्षा देने वाले 17 विद्यार्थियों के परीक्षा फॉर्म में से रोल नंबर 233 का छात्र अश्विनी गुप्ता और रोल नंबर 259 का छात्र राजेंद्र कुमार ऐसे निकले जिनका कॉलेज की एडमिशन लिस्ट में नाम ही नहीं है। इन दोनों विद्यार्थियों के बाकायदा परीक्षा फॉर्म और फीस भरी गई। एक विद्यार्थी ने अक्टूबर 2015 में परीक्षा भी दी और दूसरा अनुपस्थित रहा।
एक पता-जानकारी भी नहीं
परीक्षा फार्म भरने में भी फर्जीवाड़ा हुआ। इसमें राजेन्द्र का फोटो नहीं लगा है, लेकिन कॉलेज की सील लगी है। दोनों ही फॉर्म एक ही व्यक्ति द्वारा भरे गए हैं और हस्ताक्षर नकली है। दोनों फॉर्म पर पता 1, आनंद नगर इंदौर लिखा है। फॉर्म के पीछे पिछली परीक्षा की जानकारी भी नहीं भरी गई है। फॉर्म पर यूनिवर्सिटी का जरूरी नामांकन नंबर तक नहीं भरा गया है।
यूनिवर्सिटी में ऐसे हुई जांच
इस फर्जीवाड़े में यूनिवर्सिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे विद्यार्थी ने परीक्षा कैसे दे दी, जिसको एडमिशन ही नहीं दिया गया और न ही उसका नामांकन जारी हुआ। परीक्षा व गोपनीय विभाग ने उसे परीक्षा के पहले ही क्यों नहीं रोका। अभी तो 17 विद्यार्थियों की जानकारी से फर्जीवाड़ा सामने आया है, लेकिन अगर सभी फॉर्म की जांच की जाए, तो ऐसे कई विद्यार्थी और भी पकड़ में आएंगे।
हम कॉलेज पर कार्रवाई करेंगे
हमने ही डीओआर के विद्यार्थियों को डीएमएलटी में परीक्षा दिलवाने का मामला पकड़ा था। अब हम पता लगाएंगे कि ऐसे विद्यार्थियों ने परीक्षा कैसे दे दी, जिनके नाम एडमिशन लिस्ट में ही नहीं है। कॉलेज पर कार्रवाई होगी।
- डॉ. अशेष तिवारी
परीक्षा नियंत्रक
सब सही है, यह सिर्फ राजनीति
हमने सभी जानकारी यूनिवर्सिटी को दे दी है। सब सही है। छात्र नेता जबरन राजनीति कर रहे हैं। उन्हें तो किसे एडमिशन दिया-किसने परीक्षा दी, छोड़कर यह देखना चाहिए कि छात्रहित में रुके हुए रिजल्ट घोषित हों।
- अजय हार्डिया, डायरेक्टर
देवी अहिल्या पैरामेडिकल कॉलेज