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चंदन नगर रिंग रोड: मुआवजे को लेकर नियमों में उलझे अधिकारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 20 2016 10:15AM | Updated Date: Jul 20 2016 10:15AM
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मुनीष शर्मा इंदौर। पश्चिमी रिंग रोड बनाने की योजना अधिकारियों पर भारी पड़ सकती है। यहां मामला तब उलझेगा, जब बाधक निर्माण हटाने के दौरान पीड़ितों को मुआवजे की बात आएगी। भले ही प्रशासन मुआवजा राशि जुटा ले, लेकिन मुआवजा दिया तो खुद उसके लिए उलझन खड़ी हो जाएगी। ऐसे में सड़क बनाने के लिए कई तकनीकी पहलुओं पर विचार कर अधिकारियों को कड़े कदम उठाना होंगे।

यह रिंग रोड चंदन नगर से मोहताबाग (एअरपोर्ट रोड) तक बनना है। इसमें चंदन नगर, नंदन नगर, नगीन नगर, राज नगर, गंगा बगीची के कई निर्माण बाधक होंगे। मोहता बाग को छोड़ दें तो अन्य सभी कॉलोनियां अवैध हैं। इस सड़क को लेकर 21 जुलाई को आईडीए की बोर्ड बैठक में चर्चा भी होना है, जिसके बाद प्रशासकीय स्वीकृति दी जाएगी। इसके लिए सैटेलाइट इमेज लेकर आईडीए अधिकारी अलाइनमेंट शुरू करेंगे। इसके बाद जहां मकान बने हैं उन्हें बाधक की गिनती में शामिल किया जाएगा। वैसे यह सड़क बनने के बाद धार रोड से एअरपोर्ट रोड तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा, जबकि अभी राजमोहल्ला चौराहा से बड़ा गणपति चौराहा होकर जाना पड़ता है। हालांकि चंदन नगर से एक सड़क जरूर है, लेकिन वह काफी संकरी व कच्ची है और बीच में एक गली से होकर गुजरना पड़ता है।

...तो अन्य क्षेत्रों के पीड़ित करेंगे विरोध
शहर में छावनी, पाटनीपुरा, कनाड़िया आदि क्षेत्र में सड़कें चौड़ी की जा चुकी हैं। वहीं बियाबानी, मूसाखेड़ी, जिंसी में काम चल रहा है। इन क्षेत्रों के बाधक मकान-दुकान मालिकों ने भी मुआवजे की मांग की थी, लेकिन नहीं मिला। अब यदि यहां के पीड़ितों को मुआवजा या फ्लैट्स दिए तो उपरोक्त क्षेत्रों के लोगों का गुस्सा फूट पड़ेगा। बियाबानी में तो लोगों ने बकायदा पोस्टर भी लगाए हैं, जिनमें चंदन नगर के लोगों को भी मुआवजा न दिए जाने की बात लिखी है।

अधिकारियों ने दिया ये तर्क
अधिकारियों का कहना है कि बियाबानी, मूसाखेड़ी या अन्य सड़कें पहले से बनी थीं, जिन्हें मास्टर प्लान के आधार पर चौड़ा किया गया। चंदन नगर रिंग रोड तो नए सिरे से बनेगा, जिसके तहत पहले जमीन लेना होगी। नियमानुसार जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई वास्तविक मालिक से होती है, जबकि यहां तो नोटरी कर कोई और ही रह रहे हैं।

कैसे देंगे पीड़ितों को मुआवजा
समस्या यह भी है कि पीड़ितों को मुआवजा किस आधार पर दिया जाए? जहां से सड़क निकलना है, वह जमीन अलग-अलग निजी मालकियत की है। आईडीए को सड़क बनाने से पहले स्कीम घोषित करना होगी, जिसके तहत नियमानुसार कार्रवाई में एक साल से ज्यादा समय लगेगा। वह भी तब जब सामान्य रूप से प्रक्रिया पूरी हो जाए। इसके बाद भी मुआवजा उनको मिलेगा, जिन्होंने अवैध बसाहट की, लेकिन दस्तावेजों में अभी भी बने हुए हैं।

मास्टर प्लान में भी दिक्कत
आईडीए स्कीम घोषित किए बिना सड़क बनाना चाहे तो मास्टर प्लान को आधार बनाना होगा। इसमें पहले सभी मकान अतिक्रमण मानकर हटाना होंगे, क्योंकि मास्टर प्लान की प्रस्तावित सड़क पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता। इसके बावजूद मुआवजे की बात आई तो वे लोग भी खड़े हो जाएंगे, जिनके मकान मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण में तोड़े गए।

इतने लोगों को कैसे देंगे फ्लैट्स
यह बात भी आ रही है कि बस्ती के लोगों को गरीबों के लिए बनाई जाने वाली मल्टी में शिफ्ट कर दिया जाए, लेकिन इतने लोगों को देना संभव नहीं होगा। प्राथमिक तौर पर चंदन नगर के ही विस्थापितों का आंकड़ा 250 तक पहुंचेगा। ऐसे में चार कॉलोनियों के लोग मिलाकर एक हजार से ज्यादा होंगे। वार्ड दो (चंदन नगर) के पार्षद मुबारिक खान ने दबंग दुनिया को बताया हमारी मांग है क्षेत्र में नजूल की खसरा नं. 128 की जमीन पर इन पीड़ितों को बसा दिया जाए।

टेंडर जारी करेंगे
हम जल्द ही रिंग रोड का टेंडर जारी करेंगे। फिलहाल मुआवजे की कोई बात ही नहीं है। जो निजी जमीन सड़क में आ रही है, उस पर विधिक राय लेकर काम किया जाएगा।
-शंकर लालवानी, अध्यक्ष, आईडीए

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