रफी मोहम्मद शेख इंदौर। पीएफ विभाग में करीब 10 अरब रुपए का अंशदान जमा करा चुके 20 लाख कर्मचारी राशि लेने ही नहीं आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में पिछले सालों में विभिन्न संस्थानों के इन 20 लाख 21 हजार 548 कर्मचारियों के 994 करोड़ 26 लाख 66 हजार 347 रुपए विभाग के पास जमा हैं। विभाग इस राशि को इनआॅपरेटिव अकाउंट में डाल चुका है। देशभर में इनआॅपरेटिव अकाउंट की यह रकम करीब 44 हजार करोड़ रुपए है।
इंदौर में प्रदेश के बजट घाटे से तीन गुना
इंदौर रीजन में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 8,72,947 है। इनके 379 करोड़ 92 लाख 21 हजार 404 रुपए जमा हैं। यह राशि प्रदेश की कुल राशि का एक तिहाई से ज्यादा है। यह राशि मध्यप्रदेश के कुल बजट घाटे (118 करोड़ रुपए) से तीन गुना ज्यादा है। भोपाल में 4.60 लाख सदस्यों की 227 करोड़ और जबलपुर में 2.40 लाख सदस्यों के 165 करोड़ रुपए का कोई दावेदार नहीं मिल रहा है। 4शेष पेज-7
प्रदेश में कहां कितने अकाउंट-जमा
रीजन कुल अकाउंट इतनी रकम जमा
इंदौर 872947 380 करोड़
भोपाल 460064 227 करोड़
जबलपुर 239655 165 करोड़
ग्वालियर 235449 106 करोड़
सागर 112283 70 करोड़
उज्जैन 101150 46 करोड़
पिछले साल बांटे 180 करोड़
पिछले साल कुल 17.79 लाख इनआॅपरेटिव अकाउंट्स में 925.15 करोड़ रुपया था, जो इस साल बढ़कर 994 करोड़ रुपए हो गया है। यह स्थिति तब है जबकि डिपार्टमेंट ने 2015-16 में 45109 ऐसे कर्मचारियों को ढूंढकर 180 करोड़ 68 लाख 72 हजार 88 रुपए का भुगतान कर दिया है। इस मामले में भोपाल रीजन ने 9940 पुराने खाताधारकों को ढूंढकर 75.34 करोड़Þ का भुगतान किया। वहीं इंदौर में 12,389 खाताधारकों को 47.56 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि वापस की गई।
यह है इसका नियम
इम्पलाई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) के नियमानुसार कर्मचारी का खाता अगर 36 महीने से ज्यादा समय तक आॅपरेट नहीं होता है, तो उसे इनआॅपरेटिव अकाउंट में डाल दिया जाता है। प्रदेश के रीजनल पीएफ कमिश्नर अजय मेहरा और कमिश्नर पीसी गुप्ता के अनुसार हम जागरूकता अभियान चला रहे हैं और सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन भी बनाई है।
ये कारण
कई बार कर्मचारी को पता नहीं होता कि उसका पीएफ खाता है।
दावेदार की मृत्यु हो जाने से।
बहुत कम राशि होने के कारण कर्मचारी लेने ही नहीं आते।
जमा राशि निकालने की प्रक्रिया नहीं जानना।
कर्मचारी का नौकरी छोड़ दूसरे संस्थान या प्रदेश में चला जाना।
ब्याज का लालच।
नियोक्ता द्वारा इनके फॉर्म वेरिफाई नहीं करना।