कृष्णपाल सिंह इंदौर। सफाई व्यवस्था में हमेशा नाकामी का दंश झेलने वाली शहरी सरकार, यानी नगर निगम ने इस बार के बजट में सफाई व्यवस्था पर खासा ध्यान रखा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को चकाचक करने के लिए फिलहाल कागजों पर मंथन चल रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो करीब 550 करोड़ रुपए 365 दिन में खर्च कर शहर को खूबसूरत बना दिया जाएगा। इस लिहाज से 1.5 करोड़ रुपए रोज साफ-सफाई पर खर्च होंगे। अगर बात 85 वार्डों की करें तो यह आंकड़ा 1.75 करोड़ तक पहुंच सकता है। शहरी सरकार का बजट और स्वच्छ भारत मिशन के तहत तैयार की गई डीपीआर के आंकड़े यही बयां कर रहे हैं। स्वच्छता मिशन पर 321 करोड़ और स्वास्थ्य पर 200 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च करने की तैयारी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक वेतन, गाड़ी का बीमा, श्वानों की नसबंदी, नई बड़ी व छोटी मशीनें, डंपर, साइकिल रिक्शा, कचरा पेटियां, दवाइयां, कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाने आदि पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। इससे शहर को गंदगीमुक्त बनाया जा सकेगा। इसमें स्वास्थ्य विभाग के 5400 सफाईकर्मियों के साथ ही नियमित कर्मचारियों व स्वास्थ्य अधिकारियों का वेतन भी शामिल है।
ये है लापरवाही
निगम में मस्टर पर सफाईकर्मी रखे जाते हैं। इनमें से ज्यादातर पार्षद-नेताओं के समर्थक हैं। वे या तो काम पर नहीं आते और यदि आते भी हैं तो सफाई कार्य नहीं करते।
कचरा ट्रांसफर स्टेशन के हिसाब से वाहन खरीदे, लेकिन सिर्फ एक ही स्टेशन बनाया, जबकि चार बनना थे।
कॉलोनियों में डस्टबिन-फ्री करने की योजना शुरू नहीं हो पाई। गीला व सूखा कचरा एक साथ फेंका जा रहा है।
गंदगी और कचरे की शिकायतों को लेकर अफसर गंभीर नहीं।
सभी वार्डों में लागू होंगी व्यवस्थाएं
प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है। इसकी लागत करीब 321 करोड़ है। इसमें केंद्र व राज्य से 64-64 करोड़ रुपए मिलेंगे। स्वास्थ्य पर अलग से बजट में भी मद रखा गया है। सभी 85 वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था दिसंबर तक लागू कर देंगे।
-मालिनी गौड़, महापौर
वाहवाही लूटने वाला खोखला बजट
बजट इतना बड़ा बना दिया कि कोई भी गंभीरता से अध्ययन नहीं करता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य पर अच्छा खासा बजट रख दिया है, लेकिन खर्च नहीं करेंगे। सिर्फवाहवाही लूटने वाला खोखला बजट तैयार किया गया है।
-छोटे यादव, पूर्व नेता
प्रतिपक्ष व पार्षद