25 Apr 2024, 14:04:22 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। जनता और जनप्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयासों से पीपल्याहाना तालाब तो बचता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन शहर में अन्य तालाब भी हैं जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यदि 1956 के राजस्व रिकॉर्ड और जियोग्रॉफिकल सर्वे आॅफ इंडिया की टोपोशीट के आधार पर बाकी तालाबों का सीमांकन किया जाए तो कई चौंकाने वाली बाते समाने आ सकती हैं। इससे मौजूदा तालाबों का वाजिब सीमांकन तो होगा ही, कई ऐसे तालाब भी सामने आएंगे जिनका अस्तित्व सिर्फ राजस्व दस्तावेजों में है।

जलस्रोतों को लेकर इंदौर की स्थिति मजबूत है। राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक यहां शहरसीमा में हर तीसरे-चौथे गांव में तालाब है। यह बात अलग है कि सरकारी अनदेखी से खजराना, छोटा बांगड़दा, पीपल्याकुमार, छोटा सिरपुर जैसे तालाब सिकुड़ गए। वहीं खजराना के तीन और कस्बा इंदौर के एक तालाब सहित आधा दर्जन तालाब कागजों पर सिमट कर रह गए।

चोरी हो गए तालाब
खजराना : खजराना में किसी वक्त चार तालाब हुआ करते थे। आज यहां एक ही तालाब है, वह भी मटमेला। बाकी तीन चोरी हो गए। सर्वे नं. 435/1/1 (खजराना थाने के पास) की जमीन में से पांच एकड़ पर तालाब था। बाद में सरकार ने जमीन एक गृह निर्माण संस्था को दे दी। बाकी दो जगह कॉलोनी कट चुकी है।
नैनोद : यहां तालाब सर्वे नं. 314 पर है जबकि यह जमीन कब्जाग्रस्त है। खसरा नक्शे में सर्वे नं. 313 की जमीन तालाब की तरह नजर आती है जो कई टुकड़ों में बिक चुकी है। गांव के लोग कहते हैं यही तालाब था।
पीपल्याकुमार : यहां सर्वे नं. 138 में तालाब साफ नजर आता है। पाल भी बनी है लेकिन जमीन को तालाब की नहीं माना जाता। बड़े हिस्से में लोगों ने कब्जे किए।
सिरपुर : यहां सर्वे नंबर-2 पर गांव का पुराना तालाब है जो सिर्फ भू-माफियाओं के कब्जों तले दफन हो चुका है। छोटा सिरपुर तालाब राजस्व रिकॉर्ड में करीब 160 एकड़ का तालाब है लेकिन मौके पर तालाब आधा भी नजर नहीं आता। बड़े हिस्से पर नगर निगम ने कॉलोनी बसा दी है।
फतनखेड़ी : सर्वे नं. 30/1/3 से 30/2/1, 35/1 और 40 नंबर की जमीन के साथ ही सर्वे नं. 139 की बड़ी जमीन पर भी किसानों ने कब्जा कर रखा है।
निपानिया: रिकॉर्ड में सर्वे नंबर 212 पर 0.293 हेक्टेयर जमीन पर तालाब है, हालांकि वास्तविकता में यहां कोई तालाब नजर नहीं आता।

सीमांकन कर दें, हम सहेज लेंगे

पीपल्याहाना तालाब ने जनता और जनप्रतिनिधियों को एक कर दिया है। यह लड़ाई सिर्फ पीपल्याहाना तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। कलेक्टर और निगमायुक्त 1956 के दस्तावेज से शहरसीमा के सभी तालाबों का सीमांकन कर दें। इससे तालाबों की वास्तविक स्थिति तो सामने आएगी ही, जो खत्म हो चुके हैं वे तालाब भी सामने आ सकते हैं। सीमांकन के बाद लोगों के क्षेत्रवासियों के सहयोग से तालाब सहेजेंगे। पाल पर पौधारोपण करेंगे। इससे भू-जलसंवर्धन के साथ पर्यावरण भी मजबूत होगा। लोगों को नए पिकनिक स्पॉट भी मिल सकते हैं।
 - उषा ठाकुर, विधायक

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »