25 Apr 2024, 14:11:05 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

अनूप सोनी  इंदौर। जजीरों में बंधी एक ट्रेन। जी हां ट्रेन। मुजरिम नहीं है पर बार-बार फरार हो जाती है। फरारी में उसकी मददगार होती है हवा और दूसरी ट्रेन। लिहाजा रेल वाले ट्रेन को हिरासत में रखते हैं। जंजीरों से बांधकर, लकड़ी के गुटकों में उलझाकर। 

किस्सा रोचक है, लेकिन सच्चा है। लक्ष्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन पर कभी आप जाएं, तो वहां बनी दो पटरियों पर खड़ी ट्रेनों के पहियों पर नजर दौड़ाएं तो आपको इन ट्रेन के पहियों में जंजीरें और ताला बंधा मिलेगा। पहियों में लकड़ी का एक बड़ा सा गुटका भी फंसा मिलेगा। ठीक वैसे ही जैसे में ढलान पर खड़ी कार को लुढ़कने से रोकने के लिए पहियों में ईंट लगा देते हैं।

गलती रेलवे की नहीं है। ट्रेन हैं ही शरारती। खड़े-खड़े अचानक रेलवे स्टेशन छोड़कर अज्ञात मार्ग पर कूच कर जाती हैं। तब इन्हें किसी चालक की जरूरत होती है न हरी झंडी की। ट्रेन की इस चंचलता के पीछे का कारण भी रोचक है। दरअसल लक्ष्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन चारों तरफ से खुला हुआ है। दीवार, परकोटा कुछ नहीं है। इसलिए हवा का वेग भी माशा अल्लाह काफी तेज रहता है। फिर पटरी भी मामूली सी ढलान पर है। बस यही वो कारण है जिससे ट्रेन बिना पूछे, बिना लिहाज रवाना हो जाती है। जिस पटरी पर ये ट्रेन खड़ी होती हैं, यदि उसके पास वाली पटरी से कोई ट्रेन तेजी से गुजर जाए तो गुजरने वाली ट्रेन की हल्की की धमक से ही ये ट्रेन रवाना हो जाती है।

बिना ड्राइवर और हरी झंडी के कूच कर जाती है
बीते समय में दो-तीन बार ऐसा हुआ जब ट्रेन का जहां खड़ा किया गया था, उसके कहीं आगे जाकर खड़ी मिली। पहले तो रेलवे वाले समझे नहीं कि ट्रेन स्वप्रेरणा से क्यों कूच कर जाती है, लेकिन मामले की तह में गए तो पता चला सारी शरारत हवा और संगी-साथी ट्रेनों की है जिनकी संगत में रहकर  खड़ी ट्रेन में पथभ्रष्ट हो जाती है।

इंदौर स्टेशन की ट्रेन खड़ी करते हैं

लक्ष्मीबाई नगर पर ट्रेन खड़ी करने के पीछे मजबूरी है। ये वो ट्रेन होंती हैं जो इंदौर रेलवे स्टेशन पर सवारियां छोड़ चुकी होती हैं और इन्हें अगले सफर पर जाने में काफी वक्त होता है ऐसे में रेलवे की मंशा होती है कि इंदौर रेलवे स्टेशन खाली रहे लिहाजा वे इन ट्रेनों को वापस लक्ष्मीबाई नगर लाकर खड़ा कर देते हैं। ये ही वे ट्रेन हैं जो बार-बार फरार हो जाती हैं। अब तो कर्मचारी भी इस ताला-गुटका प्रक्रिया के अभ्यस्त हो गए हैं। ट्रेन चलने के पूर्व वे एक तय स्थान परजाते हैं वहां उन्हें तालों की चाबी मिल जाती है, ताला खोला और ट्रेन रवाना।

हवा और वाइब्रेशन के कारण यहां ट्रेन अपने आप चलने लगती है, यहीं कारण है कि  लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर खड़ी ट्रेन को जंजीर से बांधकर ताला लगाया जाता है।
- जीतेंद्र कुमार जयंत, सीनियर पीआरओ, पश्चिमी रेलवे

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