मुनीष शर्मा इंदौर। केंद्र सरकार के समग्र स्वच्छता मिशन के तहत इंदौर जिले को शौचालय निर्माण (खुले में शौच मुक्ति) को लेकर मिले अवार्ड पर प्रश्नचिह्न लगता नजर आ रहा है। एक शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से इसकी जांच के आदेश संभागायुक्त संजय दुबे को मिले। संभागायुक्त ने भी कलेक्टर पी. नरहरि को पत्र लिखकर मामले में पक्ष मांगा है। शिकायत करने वाला व्यक्ति अभी तक संभागायुक्त के सामने नहीं आया है। ऐसे में शिकायतकर्ता की तलाश की जा रही है, ताकि उससे जानकारी ली जा सके कि कहां-कहां शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ है।
> भोपाल से संभागायुक्त को पत्र मिला
दो दिन पहले ग्रामीण विकास विभाग भोपाल से संभागायुक्त को पत्र मिला। इसमें जांच के आदेश के साथ किसी क्षेत्र विशेष का उल्लेख न करते हुए शौचालय न बनने की बात कही गई है। पत्र अंग्रेजी में है। हालांकि संभागायुक्त कार्यालय वेबसाइट के जरिए शिकायतकर्ता के पास पहुंचना चाह रहा है। दबंग दुनिया ने संभागायुक्त दुबे से इस मामले में बात करना चाही, लेकिन वे अवकाश पर हैं।
> शौचालय बनवाने का ग्रामीणों पर रहेगा दबाव
ग्रामीणों की परेशानी यह है कि उनकी बात कोई नहीं सुनता। अधिकारियों ने फर्जी आंकड़े दिखाकर अवार्ड ले लिए। अब उन्हें हर हाल में खुद के पैसों से शौचालय निर्माण कराना होगा या फिर शौचालय नहीं बनवाने की कीमत चुकाना होगी। प्रदेश सरकार के नियम अनुसार जिसके घर में शौचालय नहीं होगा, वह पंच-सरपंच का चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
> ग्राम कांकरिया से पहुंची शिकायत
महू तहसील के ग्राम कांकरिया की कुछ महिलाएं मंगलवार को जनपद पंचायत पहुंचीं और कहा कि उनके यहां अभी तक शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे में उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है, वहां उन पर जुर्माना लगाया जाता है।
कलेक्टर रिपोर्ट दें
ग्रामीण विकास विभाग से एक शिकायत व पत्र आया है। इसमें जिले में शौचालय निर्माण की जांच कर रिपोर्ट मांगी है। शिकायत पीएमओ को किसी ने की थी, जो भोपाल से हमारे पास आई। शिकायत पर संभागायुक्त ने कलेक्टर से पक्ष मांगा है। यदि शिकायतकर्ता हमें जानकारी देता तो जांच में सहूलियत होती, क्योंकि उससे हर बिंदु पर जानकारी ली जा सकती थी। वैसे हम कुछ क्षेत्रों में जाकर स्थिति देखेंगे। आगे जैसा संभागायुक्त का निर्देश होगा, उसका पालन किया जाएगा।
-चेतना फौजदार, संयुक्त आयुक्त, विकास